गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई करेगी 22 नालों के पानी का शोधन
प्रयागराज में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई 22 नालों के पानी को शोधित करेगी। शहरी नालों का शोधन दिसंबर से शुरू होने की संभावना है। एनएमसीजी ने जल निगम के माध्यम से इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी है। लगभग...
प्रयागराज। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई गंगा-यमुना में गिरने वाले 22 नालों के पानी को शोधित करेगी। शहरी नालों के पानी का शोधन दिसंबर से शुरू होने की संभावना है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) ने नालों का पानी साफ कर गंगा-यमुना में बहाने की जिम्मेदारी जल निगम के माध्यम से गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को सौंपी है। नगर निगम कई साल से नालों के पानी का बायोरेमेडियल ट्रीटमेंट कर रहा था। एनएमसीजी ने महाकुम्भ के दौरान नालों का पानी साफ कर गंगा-यमुना में बहाने की जिम्मेदारी नगर निगम को देने की तैयारी में था। नगर निगम इस काम से पीछे हटा तो एनएमसीजी ने जल निगम को जिम्मेदारी सौंप दी। जियो ट्यूब और ओजोन विधि से नालों का पानी साफ करने की तैयारी शुरू हो गई है।
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई (नगरीय) के अधीक्षण अभियंता अमित कुमार ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान को बताया कि नालों के लगभग 80 एमएलडी पानी शोधन पर 50 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। शोधन के लिए नालों में जियो ट्यूब के साथ कंटेनर रखे जाएंगे। जियो ट्यूब के बाद कंटेनरों में भरकर केमिकल की मदद से साफ किया जाएगा। मानकों के अनुरूप नालों के पानी की सफाई पर 24 घंटे निगरानी होगी। अधीक्षण अभियंता के अनुसार वर्तमान में 39 नाले गंगा-यमुना में सीधे गिर रहे हैं। इनमें 17 नालों को अलग-अलग सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जा रहा है।
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