अखाड़े क्यों नहीं मानते, ‘बंटेंगे तो कटेंगे : हिमांगी सखी
प्रयागराज में किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने महाकुम्भ 2025 में वैष्णव किन्नर अखाड़े के गठन की बात कही। उनका मानना है कि सनातन धर्म के लिए यह आवश्यक है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत...
प्रयागराज वरिष्ठ संवाददाता सनातन धर्म का लगातार प्रचार-प्रसार और विस्तार हो रहा है। अखाड़ों की संख्या भी किसी समय में चार थी और बाद में आठ और वर्तमान में 13 हो गए। जब अखाड़े चार से 13 हो सकते हैं तो 14 और 16 क्यों नहीं। यह बातें किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने मंगलवार को प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि हम हमारे मुख्यमंत्री आज कह रहे हैं कि बंटेंगे तो कटेंगे, फिर अखाड़े के संत ये क्यों नहीं मानते। हम सनातन धर्म से अलग हो चुके किन्नरों की वापसी ही तो चाहते हैं। ऐसा है तो किन्नर अखाड़े का भी गठन होना चाहिए और वैष्णव किन्नर अखाड़े का भी गठन होना चाहिए।
महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने सोमवार को महाकुम्भ 2025 में वैष्णव किन्नर अखाड़े के गठन की बात कही थी। उनका कहना है कि वो यहां पर अर्धनारीश्वर धाम के नाम से शिविर लगाएंगी। इसके बाद सर्व सम्मति से वैष्णव किन्नर अखाड़े के रूप में 14वें अखाड़े का गठन करेंगी। इसका विरोध करना बेहद गलत है। लोकसभा चुनाव 2024 में वाराणसी लोकसभा सीट की प्रत्याशी रहीं महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने 30 नवंबर को नगर प्रवेश का ऐलान किया। साथ ही पांच भाषाओं में भागवत के पाठ की बात कही।
बच्चों का खेल नहीं, सनातन की परंपरा हैं अखाड़े
प्रयागराज। इस बारे में पूछने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी ने कहा कि अखाड़ों की संख्या हमेशा से 13 ही रही है। अखाड़ा गठित करना बच्चों का खेल नहीं है। यह सनातन धर्म की परंपरा है। महाकुम्भ पास होने के कारण तमाम लोग ऐसे बयान देते रहते हैं। इसका अखाड़ा परिषद विरोध करता है और करेगा।
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