ईडी की जांच: शुआट्स के पदाधिकारियों की बढ़ेगी मुश्किल
शुआट्स के कुलपति आरबी लाल और उनके परिजनों के खिलाफ दोहरी जांच शुरू हो गई है। एक तरफ एक्सिस बैंक में 22 करोड़ 37 करोड़ के गबन और हाईकोर्ट में...
प्रयागराज। वरिष्ठ संवाददाता
शुआट्स के कुलपति आरबी लाल और उनके परिजनों के खिलाफ दोहरी जांच शुरू हो गई है। एक तरफ एक्सिस बैंक में 22 करोड़ 37 करोड़ के गबन और हाईकोर्ट में फर्जीवाड़ा करने की सीबीआई जांच कर रही है तो दूसरी ओर इसी मुकदमे को आधार बनाते हुए प्रयागराज प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है। यीशु दरबार से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों समेत करछना सर्किल में करोड़ों की जमीन हड़पने की मामले में अब नए सिरे से जांच होगी।
2017 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद से शुआट्स के खिलाफ मिली शिकायतों के आधार पर कार्रवाई शुरू हो गई थी लेकिन करोड़ों के फर्जीवाड़ा केस में पुलिस ने छोटे कर्मचारियों पर ही कार्रवाई की थी। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी ने एक्सिस बैंक घोटाले में कुलपति समेत अन्य अफसरों को जेल भेजा गया था। सीबीआई ने शुआट्स के कुलपति आरबी लाल, जे. नागर, अमित नेगी व गुलाब चंद्र समेत अन्य के विरुद्ध चार फरवरी 2021 को मुकदमा दर्ज किया था। यह मुकदमा गत 16 जून 2017 को प्रयागराज के कैंट थाने में दर्ज किया गया था। इसमें हाईकोर्ट में फर्जी याचिकाएं कर उनका भुगतान करने का मामला था। हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिकाएं फर्जी पाई गईं। इसमें याची व गवाह फर्जी दोनों पाए गए। फर्जीवाड़े की जांच के लिए वर्ष 2017 में जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर अदालत ने जांच के आदेश दिए थे।
मुकदमे के अनुसार संस्था के कुलपति आरबी लाल की नियुक्ति, संस्थान में अनाधिकृत कोर्स चलाने तथा परिसर में यीशु दरबार आयोजित किए जाने समेत कई मुद्दों पर कई याचिकाएं दाखिल हुईं। इन याचिकाओं में कोई पैरवी नहीं की गई और लगभग सभी खारिज हो गईं। जांच में सामने आया कि सभी याचिकाएं समान थीं, सिर्फ याची व गवाह के नाम बदले हुए थे। इतना ही नहीं जिन नाम से याचिकाएं दाखिल की गईं और उनमें जो गवाह दर्शाए गए उन सभी के नाम व पते फर्जी पाए गए। जांच में सामने आया कि यह याचिकाएं अधिवक्ता गुलाब चंद्र ने की थीं। जब इस संबंध में संस्था के न कुलपति आरबी लाल व संस्था के अधिवक्ताओं से पूछताछ की गई तो वे भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। अब इस केस की सीबीआई के साथ ईडी भी जांच कर रही है कि इस फर्जीवाड़ा करने से क्या फायदा था। कहीं आर्थिक लाभ के लिए साजिश के तहत फर्जीवाड़ा तो नहीं किया गया।
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