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देवरहा बाबा की मचान के नीचे अनसुने किस्से

Prayagraj News - महाकुम्भ नगर में सिद्ध महापुरुष देवरहा बाबा की समाधि के बाद भी उनके किस्से जीवित हैं। उनके प्रिय शिष्य आचार्य ब्रह्मऋषि देवदास शिविर में बाबा के अलौकिक किस्से सुनाते हैं। उन्होंने 1989 के कुम्भ में...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजSun, 16 Feb 2025 11:20 AM
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देवरहा बाबा की मचान के नीचे अनसुने किस्से

महाकुम्भ नगर मुख्य संवाददाता सिद्ध महापुरुष देवरहा बाबा के समाधि में जाने के साढ़े तीन दशक बाद भी उनके किस्सों से कुम्भनगरी गुंजायमान है। देवरहा बाबा के प्रिय शिष्य और समाधि स्थल वृंदावन के आचार्य ब्रह्मऋषि देवदास के सेक्टर 18 स्थित शिविर में ये किस्से सुने जा सकते हैं। शिविर में उन्होंने 12 फिट उंची लकड़ी की मचान बनवाकर उसमें देवरहा बाबा का धातु से निर्मित विग्रह स्थापित कर रखा है। इसी मचान के नीचे बैठकर वह देवरहा बाबा के अलौकिक किस्से सुनाते रहते हैं।

1989 के कुम्भ का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उस बार बहुत चढ़ावा चढ़ा था। हमने बाबा से कहा सरकार बोरे में रुपया भरा है। उन्होंने पूछा कितने बोरा है, मुझे याद नहीं उस समय 60 से अधिक बोरे थे। बाबा ने बोला शाम को एसएसपी राय आएंगे तो उस समय बोलना। दर्शन करने आए तो बाबा बोले ये रुपया पीएसी की गाड़ी में भरकर भिखमंगों को भर-भरकर दो। पीएसी की गाड़ी में रुपया भरा गया और पीएसी के जवानों ने निकाल-निकालकर जितना हाथ में आया देने लगे।

कोई साड़ी में भरकर तो गमछे में रुपये भरकर भागने लगे ताकि कोई छीन न ले। इसके अलावा कई संतों, गौशालाओं के यहां भिजवाया गया रुपया। रेजगारी की कोई गिनती ही नहीं। बाद में इक्कागाड़ी में भरकर गांवों में सड़क किनारे रेजगारी गिरवा दी गई। एक और किस्सा बताते हैं कि एक कुम्भ में अधिकारी आए और बोले की बहुत भिखारी हो गए हैं अच्छा नहीं लगता, बाबा क्या करें। देवरहा बाबा ने कहा ये मेले की शोभा हैं। दिनरात भगवान का नाम लेते हैं गंगा मईया की जय बोलते हैं इन्हें हटाने की जरूरत नहीं है, पूरे मेले में फैला दो तो अधिक नहीं लगेंगे।

भगदड़ के मृतकों का किया पिंडदान

मौनी अमावस्या पर भगदड़ में मृत श्रद्धालुओं की आत्मा की शांति के लिए ब्रह्मऋषि देवदास ने सभी का पिंडदान किया था। उन्होंने बताया कि बाबा की प्रेरणा से जिन श्रद्धालुओं ने शरीर छोड़ दिया उनके निमित्त गरुण पुराण का पाठ करने के साथ ही विधिवत स्वयं पिंडदान किया। बाबा कहते थे ये जो गांव से लोग आते हैं वही सबसे बड़ी पुण्य आत्मा हैं।

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