रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे, मारे नजरिया सांवरिया रे... पर झूमे श्रोता
Prayagraj News - संस्कृति विभाग और एनसीजेडसीसी के मेले में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। श्रद्धालुओं ने संतों के प्रवचन का आनंद लिया और लोक कलाकारों ने भव्य मंच पर प्रस्तुतियाँ दीं। नाटक...
संस्कृति विभाग और एनसीजेडसीसी की ओर से मेला से आयोजित विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से मंच गुलजार रहे। मेले में आए श्रद्धालुओं ने संतों के शिविरों में जहां सत्संग, प्रवचन का आनंद लिए। वहीं, कला मंच पर प्रस्तुत लोकगीत, नृत्य व सुर लहरियों में गोते लगाए। देश के कई प्रांतों से आए लोक कलाकारों ने एक से बढ़कर प्रस्तुतियों से भव्य मंच का ऊंचाई प्रदान की। कलाग्राम में जहां इमर्सिव जोन व अविरल शाश्वत कुम्भ की मोहक दृश्य भावविभोर कर करते रहे। भव्य पंडालों में भारतीय कला और संस्कृति की अनुपम झलक विविध कला शैलियों और नाट्य प्रस्तुति में जीवंत हुई। संस्कृति विभाग की ओर से अरैल के यमुना पंडाल में आयोजित कार्यक्रम में भजन गायक अंजुल शर्मा और डॉ़ सुभद्रा देसाई ने भगवान रामचंद्र पर केंद्रित भजन की प्रस्तुति कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। शास्त्रीय गायक ऋषि मिश्रा की सुरमयी आवाज में रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे, मारे नजरिया सांवरिया रे प्रस्तुत कर समां बांधा। लोक गायिका प्रियंका के डम-डम डमरू बजावे ला हमार जोगिया की प्रस्तुति की। विनीता द्विवेदी ने कठपुतली नृत्य,चंद्रभान ने आल्हा, रथीश बाबू ने भरतनाट्यम, प्रिया त्रिपाठी और प्रियंका चौहान लोक गीत की प्रस्तुति की। संचालन निदेशक दीपेन्द्र यादव ने कलाकारों को सम्मानित किया।
कलाग्राम में आसिफ अली के लिखे नाटक का समुद्र मंथन का चितरंजन त्रिपाठी के निर्देशन में मंचन किया गया। नाट्य प्रस्तुति नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली की रही। नाटक में ऋषि दुर्वासा देवराज इंद्र से नाराज होकर उन्हें हीन और शक्तिहीन होने का श्राप दे देते हैं। इसका का लाभ उठाकर दैत्यराज बलि इंद्र जैसे देवताओं को परास्त कर स्वर्ग के लोगों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लेते हैं दैत्यों की प्रवृत्ति को जानकर उन्हें मंथन में प्राप्त रत्नों पर समान अधिकार का प्रलोभन दिया जाता है।
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