ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने पर छिड़ी रार
Prayagraj News - महाकुम्भ में फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने को लेकर किन्नर अखाड़ा चर्चा में है। अजय दास ने आचार्य महामंडलेश्वर को निष्कासित करने का दावा किया है, जबकि डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी...
महाकुम्भ नगर वरिष्ठ संवाददाता फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने को लेकर किन्नर अखाड़ा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इस बार अखाड़े के संस्थापक और आचार्य महामंडलेश्वर के बीच रार छिड़ गई है। एक तरफ खुद को अखाड़े का संस्थापक बताते हुए अजय दास ने आचार्य महामंडलेश्वर को निष्कासित करने का दावा किया तो वहीं आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि अजय दास को चरित्रहीनता के आरोप में वर्ष 2017 में ही अखाड़े से बाहर कर दिया गया है।
किन्नर अखाड़े ने इस बार महाकुम्भ में अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया। जिसका विरोध करते हुए खुद को अखाड़े का संस्थापक बताते हुए अजय दास और महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता की। इस दौरान अजय दास ने दावा किया कि वर्ष 2015 में उन्होंने किन्नर समुदाय को जोड़ने के लिए अखाड़े का गठन किया था। जिसमें लोगों को पद दिए। उज्जैन कुम्भ में उन्हीं के नाम पर जमीन मिली थी। इसके बाद उनके साथ राजनीति की गई और धीरे-धीरे उन्हें किनारे कर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अखाड़े पर कब्जा कर लिया और वर्ष 2019 के कुम्भ मेले में जूना अखाड़े के साथ समझौता कर लिया और वो गिरि बन समुदाय में चली गईं। अब उन्होंने ममता कुलकर्णी को अखाड़े का महामंडलेश्वर बना दिया, जिनका नाम अंडरवर्ल्ड से जुड़ा। उन्हें 12 घंटे में महामंडलेश्वर कैसे बना दिया गया। उनका मुंडन संस्कार क्यों नहीं किया गया। जबकि महामंडलेश्वर बनने के लिए 12 वर्ष भी कम लग जाते हैं। इसे लेकर किन्नर अखाड़ा प्रमुख को उन्होंने अखाड़े से निष्कासित कर दिया।
वहीं किन्नर अखाड़ा प्रमुख डॉ.लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि अजय दास को वर्ष 2017 में चरित्रहीनता के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था। उनसे हमारा कोई रिश्ता नहीं है। उन्होंने विवाह किया और उनकी एक बेटी भी है, वो संन्यासी नहीं हैं। उन्होंने दावा कि कि किन्नर अखाड़े की संस्थापक वह स्वयं हैं।
2014 में बना अखाड़ा
किन्नर अखाड़ा 2014 में बना। डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अखाड़ा बनाने के बाद वर्ष 2016 के उज्जैन कुम्भ में शिविर भी लगाया। जहां से अखाड़ा चर्चा में आ गया। वर्ष 2019 के कुम्भ में जूना और किन्नर अखाड़े के बीच समझौता हुआ। तब से दोनों अखाड़े एक साथ हैं।
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