Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़प्रयागराजChhath Puja Women Embrace 36-Hour Fast for Family Prosperity

घर में जन्मे कन्हाई, अखंड तप का संकल्प लेंगी माई

प्रयागराज में 5 नवंबर से शुरू हो रहे छठ महापर्व में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी। यह पर्व परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजTue, 5 Nov 2024 11:07 AM
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प्रयागराज, संवाददाता। लोक आस्था का महापर्व पांच नवंबर को नहाए खाए के साथ शुरू होने होने जा रहा है। चार दिनों तक चलने वाले पर्व के दूसरे दिन खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करेंगी। पहली बार कठिन व्रत की शुरुआत करने वाली महिलाओं के लिए यह किसी तपस्या से कम नहीं होगा लेकिन उनके लिए यह दोगुनी खुशी जैसा है। इसकी बड़ी वजह है कि वर्षों से अपने घर परिवार में छठ पूजा देखती आ रही जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति हुई है, उन्हें आस्था की परंपरा में खुद को मां के रूप में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त होगा।

पति-पत्नी एक साथ रखेंगे व्रत

झूंसी में रहने वाले रितेश श्रीवास्तव और उनकी पत्नी नेहा पहली बार चार दिवसीय पर्व की खुशियों को मनाने जा रहे हैं। नहाए खाए से लेकर खरना और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से लेकर अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने तक पर्व में शामिल होते-होते पति पत्नी की आस्था मजबूत होती गई। इनकी आस्था संकल्प में बदल गई और अपने चार वर्षीय पुत्र की खुशहाली तथा परिवार की सुख समृद्धि के लिए दोनों ने व्रत रखने का निर्णय लिया। खास बात है कि निजी क्षेत्र की एक बड़ी दवा कंपनी में कार्यरत रितेश ने इस पर्व के लिए तीन दिनों की छुट्टी भी ली है।

पुत्र की कामना लेकर रखेंगी व्रत

डॉ. गोपेश सिंह बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं। वह और उनकी पत्नी डॉ. गिरिजा सिंह प्रत्येक वर्ष परिवार के साथ पर्व को पूरी आस्था के साथ मनाते हैं। लेकिन इस बार उनकी पत्नी ने पुत्र की कामना के लिए कठिन व्रत का संकल्प लेने का निर्णय लिया है। इसलिए डॉ. गिरिजा कॉलेज से छुट्टी लेकर उत्तराखंड से दारागंज स्थित अपने ससुराल आईं हैं। उन्होंने बताया कि छठी मां से अपने जीवन में संतान की प्राप्ति के लिए इस बार व्रत रखने का संकल्प लिया है। मुझे उम्मीद है कि मां मेरी मनोकामना को पूरा करेंगी।

दो वर्ष पहले जुड़वा बच्चे हुए हैं। अब मुझे भी इस पर्व का हिस्सा बनने का अवसर प्राप्त हो रहा है। व्रत कठिन होगा लेकिन संतान होने का सपना पूरा होने के बाद छठी मइया के आशीर्वाद से व्रत का संकल्प भी शुरू करने जा रही हूं। मेरे परिवार में तीन पीढ़ी से सूर्योपासना के पर्व की खुशियां मनाई जा रही हैं।

शालिनी विश्वकर्मा, हिम्मतगंज

हम मूल रूप से बिहार के नालंदा के रहने वाले हैं। बचपन से छठ महापर्व को देखते आए हैं। घर में माता जी और बाद में भाभी लोगों को व्रत करते देखकर मन में इच्छा होती थी कि मैं भी अपने पुत्र के लिए यह व्रत करूंगी। अब भगवान ने यह मौका मुझे दिया है तो ढाई वर्ष के बेटे के लिए व्रत रखना है।

निभा सिंह, तेलियरगंज

हम जिस कॉलोनी में रहते हैं वहां आसपास के घरों में चार दिनों तक उल्लास और खुशियों का माहौल देखा करती हूं। हर बार उनकी खुशियों में शामिल होती थी। सब कहते थे तुम भी बच्चों के लिए व्रत रखा करो और मेरी भी इच्छा होती थी। इसलिए इस बार मैंने व्रत रखने का संकल्प लिया है।

रमा मिश्रा, राजरूपपुर

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