‘सुनो जोगी मन को रोशन करने वाला कविता संग्रह : अलका
वरिष्ठ कथाकार अलका सरावगी ने प्रियदर्शनी अपार्टमेंट में आयोजित कवयित्री संध्या नवोदिता के पहले कविता संग्रह 'सुनो जोगी' पर बातचीत की। उन्होंने कविताओं की गहराई और प्रेम, प्रकृति एवं प्रतिरोध के मिश्रण...
सुनो जोगी की कविताएं अपने संसार को आत्म से लपेटने वाली कविताएं हैं। ये कविताएं मन को रोशन करने वाली हैं। हमारे जीवन में जो अंधेरा फैला हुआ हैं, इन कविताओं को पढ़ने से हम उस अंधेरे को काफी हद तक कम कर सकते हें। जिसमें कवि का आत्म अपने को विस्तारित करता हुआ समूची धरती का आत्म बन जाता है। यह बातें वरिष्ठ कथाकार अलका सरावगी ने सोमवार को बतौर मुख्य अतिथि प्रियदर्शनी अपार्टमेंट के लान में आयोजित कवयित्री संध्या नवोदिता के पहले कविता संग्रह सुनो जोगी और अन्य कविताएं पर बातचीत कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि प्रेम, प्रकृति और प्रतिरोध यहां इस तरह से घुलमिल कर आते हैं कि एक-दूसरे से अलग होकर देख पाना संभव नहीं होता है। संग्रह पर अपनी बात रखते हुए आलोचक प्रो. बसंत त्रिपाठी ने कहा कि संध्याजी की कविताओं में महादेवी वर्मा की कविताओं जैसा ताप देखने को मिलता है। कथाकार अनिता गोपेश ने कहा कि हमारे समय में स्त्री लेखन पर प्राय: यह आरोप लगाया जाता है कि उनका साहित्य संसार बहुत सीमित है लेकिन कवयित्री इस धारणा को आसानी से तोड़ देती हैं।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. प्रणय कृष्ण ने कहा कि कवयित्री की प्रेम कविताएं पीड़ा से भरी हैं, जो होना स्वाभाविक है। समापन पर कवयित्री संध्या नवोदिता ने अपनी कुछ कविताओं का भावपूर्ण पाठ किया। इसके पहले बातचीत का प्रारंभ प्रकर्ष मालवीय ने किया। संचालन डॉ. सूर्य नारायण सिंह ने किया। सुरेंद्र राही ने आभार ज्ञापित किया। इस मौके पर कवि हरीशचंद्र पांडे, रामजी राय, अजामिल, आनंद मालवीय, नसीम अंसारी, सुधांशु मालवीय, गायत्री गांगुली, अनुपम परिहार, पद्मा सिंह, विवेक निराला, अरिंदम घोष, अनीता त्रिपाठी, प्रियंका गोपेश, झरना मालवीय आदि मौजूद रहे।
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