अरैल तट से अक्षयवट की महिमा का होगा बखान
Prayagraj News - अक्षयवट की महिमा पर केंदित मानस की इन्हीं पंक्तियों को साकार करती हुई संत मोरारी बापू की रामकथा अरैल में होगी। 29 फरवरी से शुरू हो रही नौ दिवसीय मानस कथा में दिव्य कुम्भ की आभा...
संगम सिंहासनु सुठि सोहा। छत्रु अखयबटु मुनि मनु मोहा। चवंर जमुन अरु गंग तरंगा। देखि होहिं दुख दारिद भंगा। यानी संगम ही उसका अत्यंत सुशोभित सिंहासन है। अक्षयवट छत्र है, जो मुनियों के भी मन को मोहित कर लेता है। यमुना और गंगा की तरंगें उसके चंवर (श्याम और श्वेत) हैं, जिनको देखकर ही दुख और दरित्रता नष्ट हो जाती है। अक्षयवट की महिमा पर केंदित मानस की इन्हीं पंक्तियों को साकार करती हुई संत मोरारी बापू की रामकथा अरैल में होगी। 29 फरवरी से शुरू हो रही नौ दिवसीय मानस कथा में दिव्य कुम्भ की आभा झलकेगी। धर्म-संस्कृति का यह अद्वितीय समागम विश्व के लिए अनुकरणीय बनेगा। बापू की अक्षयवट प्रसंग पर केंद्रित हैं। इससे पूर्व महेवाघाट में रत्नावली थीम पर कथा हुई थी।
11 लाख वर्गफीट में बस रही कथा नगरी
बापू की कथा के लिए अरैल में त्रिवेणी पुष्प के सामने भव्य तैयारियां चल रही हैं। व्यवस्थापक नितिन अमेटा के अनुसार 11 लाख वर्गफीट में बस रही कथा नगरी की मनोरम छटा देश-विदेश के श्रद्धालुओं को मुग्ध करेगी। कथा में देश-विदेश से खास मेहमानों के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कथा श्रवण के लिए अरैल पहुंचेंगे। श्रोताओं के लिए अलग-अलग नाम से दीर्घाएं बनाई जा रही हैं। कथा स्थल पर बन रहे 11 पंडालों में 60 हजार लोगों के रहने की व्यवस्था की जा रही है। इसमें 100 कमरे टेंट सिटी के तर्ज पर तैयार किए जा रहे हैं। कथा स्थल पर बन रही भोजशाला में प्रतिदिन हजारों लोगों को प्रभु का प्रसाद वितरित किया जाएगा।
कैलास पर रहेगा बापू का आवास
संत मोरारी बापू का आवास अत्याधुनिक कैलास स्टीमर पर होगा। दो मंजिला एसी युक्त स्टीमर वाराणसी से मंगायी गयी है जो गऊघाट के पास यमुना में खड़ी है। सोनू निषाद के नेतृत्व में कारीगर उसकी साज-सज्जा में जुटे हैं। लगभग दो करोड़ की लागत से बनी स्टीमर के भूतल में चार कमरे और किचन और शौचालय हैं। ऊपर की मंजिल में हवन कुंड और सभागार है।
व्यासपीठ पर अक्षयवट की छटा
कथा के लिए तैयार व्यास पीठ का मुख अक्षयवट की ओर है। इसलिए कथा के दौरान यमुना की हिलारें और अक्षयवट की लटकती टहनियां मानस कथा को और प्रसांगिक बनाएंगी। व्यासपीठ का निर्माण राजकोट गुजरात के चित्रकार और कारीगर तैयार कर रहे हैं।
किसानों ने जताई नाराजगी
व्यासपीठ के लिए अधिग्रहित जमीन में गड्ढा कर दिए जाने से स्थानीय किसानों में काफी नाराजगी है। उनका कहना है कि जमीन कथा के लिए ली गयी है, लेकिन गढ्ढा कर दिए जाने के खेती करने में परेशानी होगी। अरैल के किसान गणेश निषाद ने कहा कि जमीन लेते हुए उसमें खुदाई किए जाने की बात नहीं बतायी गयी।
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