दूरबीन से हर्निया का ऑपरेशन तो दोबारा होने की संभावना कम
Prayagraj News - पहले हर्निया के ऑपरेशन के बाद 10-12 प्रतिशत लोगों में फिर से ऑपरेशन की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब दूरबीन और अन्य उन्नत तकनीकों के कारण यह दर 2-3 प्रतिशत रह गई है। हर्निया पेट की दीवार की कमजोरी से...
पहले हर्निया का ऑपरेशन कराने के बाद 10-12 प्रतिशत लोगों में दोबारा ऑपरेशन कराने की गुंजाइश रहती थी। लेकिन अब दूरबीन व अन्य उन्नत तकनीक से ऑपरेशन करने पर 2-3 प्रतिशत ही संभावना रह गई है। हर्निया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेट की दीवार की एक कमजोर जगह से आंत या अन्य अंग बाहर निकल जाते हैं। आमतौर पर हर्निया के कारण पेट का निचला भाग प्रभावित होता है। ऐसा कई बार देखा गया है कि रोगी को हर्निया की समस्या होती है, लेकिन उन्हें कोई भी लक्षण नहीं मिलते हैं। तेज दौड़ने व खांसते समय महसूस होता है। यह बात शनिवार मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग, उप्र चैप्टर ऑफ एएसआई और इलाहाबाद सर्जन्स एसोसिएशन की ओर से सभागार में आयोजित दो दिवसीय हर्निया कॉन्क्लेव-2025 में एसोसिएशन सर्जन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रवीण सूर्यवंशी ने कही।
उन्होंने ऑपरेशन के व्यावहारिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ सर्जन डॉ. संजय सोनार ने कहा कि हर्निया में पेट की दीवार की एक कमजोर जगह से आंत व अन्य अंग बाहर निकल जाते हैं। इससे बचने के लिए नियमित व्यायाम जरूर करना चाहिए। इसलिए कहा गया है हरकत से बरकत होती है। जिन महिलाओं में ऑपरेशन से डिलीवरी होती है उनमें हर्निया की समस्या अधिक रहती है। कुछ बच्चों में हर्निया की आनुवांशिक बीमारी होती है। डॉ. प्रवीण भाटिया ने ऑपरेशन की जटिलताओं के कुशल प्रबंधन और डॉ. प्रमोद शिंदे ने दूरबीन विधि से हर्निया के ऑपरेशन तकनीक पर विचार व्यक्त किए। समिति की ओर से अतिथि वक्ताओं को सम्मानित किया गया। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रोबाल नियोगी, सचिव डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने विचार व्यक्त किए। इस क्रम में रविवार को हर्निया ऑपेशन की एसआरएन अस्पताल से लाइव प्रस्तुति की जाएगी। विशिष्ट अतिथि डॉ. शिवाकांत मिश्रा, डॉ. निखिल सिंह रहे। डॉ. अक्षय आनंद, डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. सुजीत सिंह, डॉ दिनेश कुमार, डॉ. राजीव सिंह, डॉ. संजय सिंह, डॉ. मयंक सिंह, डॉ. राजकुमार चौधरी, डॉ. राहुल सिंह, डॉ. संतोष सिंह,डॉ. अभिनव अग्रवाल मौजूद रहे।
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