बोले बेल्हा : पाइप बिछे तो मिले शुद्ध पानी, जर्जर सड़क बता रही विकास की कहानी
Pratapgarh-kunda News - ग्राम पंचायत घरहिया में शुद्ध पेयजल के लिए 2.72 करोड़ रुपये का बजट खर्च किया गया, लेकिन पानी की आपूर्ति के लिए पाइप नहीं बिछाई गई। नतीजा, दो वर्ष से पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। ग्रामीणों को...
शुद्ध पेयजल के लिए पौने तीन करोड़ रुपये का बजट खर्चकर पेयजल की टंकी बनाई गई लेकिन पानी की आपूर्ति के लिए पाइप नहीं बिछाई गई। नतीजा दो वर्ष से बनकर तैयार टंकी से ग्रामीणों को पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है। यही नहीं जिम्मेदार यह भी स्पष्ट नहीं बता पा रहे कि आपूर्ति कब शुरू होगी। सबसे अधिक समस्या गरीब परिवारों को है। ऐसे परिवारों के लोग आसपास स्थित इंडिया मार्का हैंडपंप में सुबह से ही लाइन लगाए रहते हैं। इसी तरह गांव में प्रवेश करने के लिए 15 वर्ष बनाई गई सड़क खस्ताहाल हो चुकी है जिस पर बाइक से चलना तो दूर पैदल चलना भी जान जोखिम में डालने जैसा है।
सड़क को देखकर यह नहीं लगता कि यह कभी काली रही होगी, कारण गिट्टियों का पता नहीं हैं और धूल उड़ती रहती है। गांव में पंचायत राज विभाग की ओर से लाखों रुपये खर्च कर पंचायत भवन का निर्माण कराया गया है,लेकिन पंचायत भवन में ताला लटकता रहता है। अफसरों से मिलने के लिए ग्रामीणों को ब्लॉक और तहसील का चक्कर लगाना पड़ता है। यही नहीं ऑनलाइन सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को चार किमी दूर स्थित बाजार जाना पड़ता है और साइबर कैफे संचालकों को मनमानी कीमत देनी पड़ती है। यह दर्द है आसपुर देवसरा विकास खंड की घरहिया ग्राम पंचायत के ग्रामीणों का। बेल्हा के आसपुर देवसरा विकास खंड की ग्राम पंचायत घरहिया की वर्तमान में कुल आबादी करीब 3500 है। ग्राम पंचायत में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता के लिए जलजीवन मिशन के तहत जलनिगम की ओर से दो वर्ष पहले 2.72 करोड़ रुपये की लागत से पेयजल टंकी का निर्माण कराया गया लेकिन कार्यदायी संस्था की ओर से पेयजल आपूर्ति के लिए पाइप नहीं बिछाई गई। नतीजा अब तक पेयजल की आपूर्ति नहीं हो सकी। नतीजा करोड़ों रुपये के बजट से बनवाई गई पेयजल टंकी भी ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझा सकी। इसके अलावा पेयजल के लिए स्थापित इंडिया मार्का हैंडपंप भी खराब हैं जिससे गांव में पानी की किल्लत बरकरार है। प्रशासन की ओर से अभियान चलाकर खराब हंडपंप दुरुस्त कराने का दावा किया जा रहा है लेकिन घरहिया गांव के खराब हैंडपंप दुरुस्त कराने की जरूरत जिम्मेदारों ने नहीं समझी। ऐसे में ग्रामीण दूर से पानी ढोकर लाते हैं और गला तर करते हैं। ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी समस्या सड़क बन गई है जिसका निर्माण 15 वर्ष पहले कराया गया था। यही एकमात्र सड़क ऐसी है जो गांव को अमरगढ़ बाजार से जोड़ती है। यह सड़क वर्तमान में बेहद खस्ताहाल है जिस पर बाइक से चलना तो दूर की बता है पैदल चलने में भी डर लगता है। कारण सड़क के बोल्डर तक गायब हो चुके हैं और दूर से ही धूल उड़ती नजर आती है। सफाई कर्मचारी के नियमित नहीं आने से जलनिकासी की नालियां बजबजा रही हैं और जगह जगह कूड़े का ढेर जमा रहता है। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत पूरे जिले की ग्राम पंचायतों को लकदक करने के साथ दवाओं का छिड़काव कराने का दावा किया जा रहा है लेकिन पंचायत राज विभाग का यह अभियान इस गांव तक पहुंचा ही नहीं है। पंचायत का निर्माण पूरा कराया जा चुका है लेकिन उसमें कभी अफसर नहीं बैठते, जिससे ग्रामीणों को तहसील और विकास खंड का चक्कर लगाना पड़ता है। अफसरों की लापरवाही और अनदेखी का नतीजा यह है कि गांव के तमाम विकास कार्य अधूरे पड़े हैं। सरकारी बजट का अफसर कर लेते हैं बंदरबांट ग्राम पंचायत घरहिया के ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायतों को सजाने, संवारने के लिए शासन स्तर से मिलने वाला लाखों रुपये का बजट अफसर आपस में बांट लेते हैं। जिससे गांव के विकास कार्य अधूरे रह जाते हैं। योजना वित्त, राज्य वित्त के मद में दिए जाने वाले बजट से ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी गांव का विकास कराते हैं। इसी मद से हैंडपंप रिपयेर, नाली निर्माण, मरम्मत आदि के कार्य कराए जाते हैं। शासन से मिलने वाला बजट ग्राम पंचायत की आबादी के सापेक्ष तय किया जाता है। बावजूद इसके ग्राम पंचायत के छोटे छोटे विकास कार्य भी अटके हैं। भीषण गर्मी में भी ग्रामीणों को पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है जबकि इस परियोजना पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जा चुका है। इससे सबसे अधिक समस्या गरीब परिवारों को है जो पानी के लिए सबमर्सिबल पंप लगवाने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे परिवार आसपास स्थित इंडिया मार्का हैंडपंप अथवा पड़ोसियों के घर लगे सबमर्सिबल पंप से पानी ढोकर लाते हैं। संचारी अभियान में भी गंदगी का बोलबाला ग्राम पंचायत के घरहिया के ग्रामीण कहते हैं कि जिले भर में एक से 30 अप्रैल तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा था। इसके तहत प्रत्येक गांव में अभियान चलाकर सफाई कराने का दावा किया गया। नाले नालियों की सफाई कराने के बाद उसमें दवाओं का छिड़काव कराने के साथ ग्रामीणों को मच्छरजनित बीमारियों से बचाने के लिए फॉगिंग कराने का दावा किया गया लेकिन इस गांव तक यह अभियान पहुंचा ही नहीं। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे फेज के तहत गांवों की सफाई के लिए 50-50 लाख रुपए का बजट दिया गया है लेकिन हमारे गांव में जगह-जगह बिखरी गंदगी और बजबजाती नालियां देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि शासन से मिले बजट का उपयोग किस तरह से किया गया है। गांव में लगाए गए इंडिया मार्का हैंडपंपों की टूटी फर्श, घरों से निकलने वाले गंदे पानी से पैदा हो रहे मच्छर, गांव के सार्वजनिक शौचालय की दशा स्वच्छ भारत मिशन की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। आरआरसी तो बना लेकिन बंद रहता है ताला घरहिया गांव में घरों से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण करने के लिए गांव में पंचायती राज विभाग की ओर से आरआरसी (रिसोर्स रिकवरी सेंटर) का निर्माण कराने के लिए 12 लाख रुपये आवंटित किए गए थे। आरआरसी सेंटर का पूरा कराया जा चुका है। बावजूद इसके कूड़ा निस्तारित नहीं किया जा रहा है। यही नहीं बजट की कमी होने के कारण घर घर से कूड़ा भी नहीं उठाया जा रहा है। नतीजा आरआरसी नशेड़ियों का अड्डा बनकर रह गया है। शाम को सेंटर पर नशेड़ियों का जमावड़ा होता है और देर रात तक वहीं ठहाके लगते रहते हैं। पंचायत भवन तैयार लेकिन नहीं बैठते कर्मचारी ग्राम पंचायत घरहिया के ग्रामीण कहते हैं कि गांव में पंचायत भवन का निर्माण कराया जा चुका है। पंचायत भवन का संचालन करने के लिए कम्प्यूटर, इनवर्टर, कुर्सी, मेज, इंटरनेट आदि की व्यवस्था पर भी लाखों रुपये का बजट खर्च किया जा चुका है। पंचायत सहायक की नियुक्ति कर उसके मानदेय की धनराशि भी खारिज की जा रही है लेकिन पंचायत भवन में न सहायक बैठता है और न कोई अफसर। ग्रामीणों को छोटे छोटे काम के लिए तहसील और विकास खंड का चक्कर काटना पड़ता है। जनसेवा केंद्र की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से ऑनलाइन सुविधा के लिए ग्रामीणों को साइबर कैफे पर जाना पड़ता है और मुंहमांगे पैसे देने पड़ते हैं। सार्वजनिक शौचालय का नहीं हो सका निर्माण ग्राम पंचायत घरहिया में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सामुदायिक शौचालय का निर्माण नहीं कराया जा सका है। जबकि विकास खंड की अधिकतर ग्राम पंचायत की दलित बस्ती में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जा चुका है। पंचायती राज विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले की शत प्रतशित ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जा चुका है। घरहिया की दलित बस्ती में सामुदायिक शौचालय नहीं होने से ग्रामीण खुले में शौच के लिए जाते हैं। ओडीएफ प्लस घोषित किए जा चुके जनपद के लिए यह भी शर्मनाक है। शिकायतें 0 सफाई कर्मचारी के मनमाने रवैए से गांव की गलियों और सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी बिखरी रहती है। 0 गांव के सार्वजनिक रास्ते और सार्वजनिक स्थानों पर स्ट्रीट लाइट न लगने से शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। 0 गांव में बनाई गई पेयजल टंकी से आपूर्ति नहीं की जा रही है। इससे पानी की किल्लत बनी हुई है। 0 पंचायत भवन का निर्माण पूरा होने के बाद भी उसमें अफसर नहीं बैठते। इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। 0 आरआरसी का निर्माण पूरा कराया जा चुका है लेकिन उसमें ताला बंद रहता है। सुझाव 0 आरआरसी का निर्माण पूरा हो चुका है जिम्मेदारों को प्राथमिकता से इसका संचालन कराना चाहिए। 0 पंचायत भवन में पंचायत सहायक सहित अफसरों के बैठने का रोस्टर निर्धारित किया जाए। 0 गांव के सार्वजनिक स्थलों और रास्तों पर पर्याप्त रोशनी के लिए स्ट्रीट लाइटें लगवाई जाएं। 0 गांव में तैनात सफाई कर्मचारी को पूरे गांव के सार्वजनिक रास्तों पर सफाई के लिए निर्देशित किया जाए। 0 पानी किल्लत दूर करने के लिए पाइप लाइन बिछवाई जाए और पानी की टंकी से आपूर्ति कराई जाए। जरा हमारी भी सुनिए... विकास कार्य कराने के लिए ग्राम पंचायतों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में लाखों रुपये का बजट मिलता है, बावजूद इसके हमारे गांव में छोटे-छोटे काम नहीं हो पा रहे हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही के कारण शासन की मंशा के सापेक्ष विकास नहीं हो पा रहा है। साहेबदीन शाम होते ही गांव के सार्वजनिक स्थलों और रास्तों पर अंधेरा हो जाता है। गांव मेंस्ट्रीट लाइटें लगवाई जानी चाहिए। इससे गांव में पर्याप्त रोशनी की सुविधा रहेगी और चोरी की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा। नीरज ग्रामीणों के घर से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण करने के लिए शासन के निर्देश पर गांव में लाखों रुपये की लागत से आरआरसी का निर्माण कराया गया है लेकिन उसमें ताला बंद रहता है। इससे सेंटर का लाभ नहीं मिल रहा है। इसका संचालन होना चाहिए। कमला देवी ग्रामीणों की सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च कर गांव में पंचायत भवन का निर्माण कराया गया है। बावजूद इसके पंचायत भवन की सुविधाओं का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। कारण अफसर कभी यहां बैठते ही नहीं। पंचायत सहायक भी भवन में नहीं बैठता। शोभा देवी सफाई कर्मचारी गांव में स्थित परिषदीय स्कूल की सफाई कर वापस चला जाता है। जिससे गांव के सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी बिखरी रहती है। इसके लिए कई बार जिम्मेदारों से शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आशीष वर्मा गांव में 2.72 करोड़ रुपये की लागत से पानी की टंकी का निर्माण कराया गया है। बावजूद इसके पेयजल की आपूर्ति नहीं की जा रही है। कारण आपूर्ति के लिए पाइप नहीं बिछाई गई है। कार्यदायी संस्था भुगतान लेकर फरार हो गई है। जिम्मेदार भी इस पर चुप्पी साधे हैं। शाहजहां ग्राम पंचायत घरहिया के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। शासन से मिलने वाले बजट को विकास के नाम पर अफसर बांट लेते हैं। इससे गांव के तमाम विकास कार्य अटके हैं। पंचायत भवन का निर्माण पूरा होने के बाद भी उसमें अफसर नहीं बैठते। आरआरसी में कूड़ा निस्तारित नहीं किया जाता। सावित्री देवी ग्रामीणों के लिए लाखों रुपये खर्च कर पेयजल टंकी का निर्माण कराया गया लेकिन पाइप बिछाने का बजट जिम्मेदार डकार गए। नतीजा पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है। जलनिगम के अफसरों की इस लापरवाही की जांच कराने के साथ टंकी से पेयजल की आपूर्ति कराना चाहिए। रामहित गांव में लाखों रुपये की लागत से बनाए गए आरआरसी में ताला बंद रहता है। इसे शासन के बजट का दुरुपयोग ही माना जाएगा। जिम्मेदारों को गांव को स्वच्छ रखने के लिए कूड़ा निस्तारण प्लांट संचालित कराना चाहिए। जिससे ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सके। रामप्रसाद गांव को अमरगढ़ बाजार से जोड़ने वाली सड़क का निर्माण करीब 15 वर्ष पहले कराया गया था, इसके बाद से इसकी मरम्मत नहीं कराई गई। वर्तमान में इस सड़क पर पैदल चलना भी जान जोखिम में डालने के बराबर है। लोग इस पर गिरकर चोटिल हो रहे हैं। इसकी मरम्मत होनी चाहिए। गुलाब विश्वकर्मा बोले जिम्मेदार ग्राम पंचायतों को उनकी आबादी के मुताबिक विकास कार्यों के लिए शासन से बजट मिलता है। जिससे मरम्मत और निर्माण सम्बंधी कार्य कराए जाते हैं। घरहिया गांव की समस्याओं की जानकारी ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी से कर प्राथमिकता से समाधान किया जाएगा। गांव में सफाई की व्यवस्था भी दुरुस्त कराई जाएगी। धर्मेंद्र प्रताप सिंह, बीडीओ
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