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बोले बेल्हा : खर्च और भागदौड़ से वादकारी बेदम, ग्राम न्यायालय से दिक्कतें होंगी कम

Pratapgarh-kunda News - रानीगंज तहसील की स्थापना 2000 में हुई थी, लेकिन अब यह बदहाल स्थिति में है। अधिवक्ताओं और वादकारियों को बैठने के लिए उचित स्थान नहीं मिल रहा, शौचालय बंद हैं और पेयजल की भी समस्या है। स्थानीय लोग ग्राम...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रतापगढ़ - कुंडाSun, 27 April 2025 04:09 PM
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बोले बेल्हा : खर्च और भागदौड़ से वादकारी बेदम, ग्राम न्यायालय से दिक्कतें होंगी कम

15 सितंबर 2000 को अस्तित्व में आई बेल्हा की पांचवीं तहसील रानीगंज में भवन नए बनने के साथ ही अन्य सुविधाएं भी बहाल की गईं लेकिन दो दशक में ही सब कुछ बदहाल हो गया है। अधिवक्ताओं के साथ ही वादकारियों को भी बैठने के लिए आवश्यकता के अनुसार स्थान नहीं मिल पा रहा है। लोग टिनशेड डालकर तहसील में बैठ रहे हैं। शौचालय की सुविधा पर भी ताला है। मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित तहसील मुख्यालय बना लेकिन इलाका जौनपुर और प्रयागराज की सीमा तक है। ऐसे में रानीगंज के भी अवधिवक्ता इलाके के लोगों की सुविधा के लिए यहां भी ग्राम न्यायालय की स्थापना की मांग कर रहे हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से तहसील के अधिवक्ताओं ने अपनी समस्या साझा की। कहा कि जौनपुर और प्रयागराज की सीमा से जुड़े लोगों को जिला मुख्यालय जाने के लिए 40 से 45 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी होती है। तहसील मुख्यालय की दूरी भी पट्टी तहसील के बराबर है। ऐसे में इलाके के लोगों की सहूलियत के लिए यहां भी ग्राम न्यायालय की स्थापना किया जाना नितांत आवश्यक है।

जिले की स्थापना के साथ रानीगंज का अस्तित्व सिर्फ एक बाजार का था। 2001 में तत्कालीन मंत्री प्रो. शिवाकांत ओझा के प्रयास से यह बाजार जिले की पांचवीं तहसील बन गई। इससे पहले रानीगंज का पूरा इलाका पट्टी तहसील में शामिल था। जौनपुर और प्रयागराज के सीमावर्ती इलाके के लोगों के लिए पट्टी जाना दो-तीन दशक पहले बहुत मुश्किल हुआ करता था। तहसील में किसी जरूरत पर लोग 30 से 40 किलोमीटर तक साइकिल से जाते थे। तहसील बनने के बाद लोगों को पट्टी जाने से राहत मिली। अब इलाके के लोगों के साथ ही तहसील के अधिवक्ताओं को भी जिला मुख्यालय की दूरी अखर रही है। उनका कहना है कि सरकार की मंशा के अनुसार रानीगंज तहसील में ग्राम न्यायालय की स्थापना आवश्यक है।

रानीगंज तहसील परिसर में मौजूद अधिवक्ताओं ने खुद के साथ ही इलाकाई लोगों की भी समस्या गिनाई। बताया कि कुंडा, लालगंज के साथ ही पट्टी तहसील में भी ग्राम न्यायालय की स्थापना हो चुकी है। देखा जाए तो मुख्यालय से पट्टी के समान ही रानीगंज की भी दूरी है। ऐसे में अगर पट्टी में ग्राम न्यायालय की स्थापना हो सकती है तो रानीगंज में क्यों नहीं। अधिवक्ताओं का कहना है कि यहां भी जौनपुर और प्रयागराज के इलाके के लोगों को ऐसे रास्तों से आना होता है कि उनके लिए तहसील पहुंचना मुश्किल होता है। इलाके के लोग रानीगंज के अपने अधिवक्ता के पास सिविल मामले लेकर आते हैं तो सबके लिए दिक्कत होती है। इलाके के हजारों लोग इस हालत में हैं कि मुख्यालय जाना उनके लिए कठिन होता है लेकिन मजबूरी में जाना पड़ता है। इसके लिए उन्हें अधिक खर्च करना पड़ता है। कई लोगों को तो मजबूरी में कर्ज लेना पड़ता है। ऐसे में अगर रानीगंज में ग्राम न्यायालय की स्थापना होती है तो यह इलाके के लोगों के लिए बड़ी राहत होगी। साथ ही ग्राम न्यायालय की परिकल्पना भी साकार होगी।

कर्मचारी आवास में रह रहे सिपाही, शौचालय में ताला

ढाई दशक पहले बनी रानीगंज तहसील में कार्यालय भवन के साथ ही अधिकारी और कर्मचारियों के लिए आवास भी बने। अधिवक्ता और वादकारियों के लिए शौचालय और तीन शेड भी बने। एक ऑयल कंपनी ने भी आमजन की सुविधा के लिए शौचालय का निर्माण कराया। आज आलम यह है कि सफाई के अभाव में पूरा परिसर बदहाल दिखता है। शौचालय बंद रहते हैं। आवासों में सिर्फ एक नायब तहसीलदार के अलावा अन्य अधिकारी निवास नहीं करते। तहसील के ही एक आवास में सीओ रह रहे हैं। कर्मचारियों के नाम पर तहसील में आवास एलॉट हुए लेकिन अधिकांश कर्मचारी इलाकाई होने के कारण अपने घर चले जाते हैं। कर्मचारियों के आवास में थाने के सिपाही रह रहे हैं। चर्चा है कि आवास एलॉट करने वाले कर्मचारियों ने ही इन्हें सिपाहियों को किराए पर दे रखा है। पानी की टंकी आए दिन खराब रहने से लोगों को पेयजल के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। परिसर में लगे तीन इंडिया मार्का हैंडपंप के पास गर्मी के दिनों में लोगों की भीड़ दिखती है।

भवन बना लेकिन नहीं चल सकी कैंटीन

ढाई दशक पहले तहसील की स्थापना के समय ही कार्यालय, आवास के साथ परिसर में अधिवक्ता और वादकारियों के लिए कैंटीन का भी भवन बनाया गया था। हालांकि यहां कैंटीन की शुरुआत अब तक नहीं हो सकी। अधिवक्ताओं ने बताया कि इसके लिए कई बार प्रयास किए गए लेकिन अधिकारियों ने रुचि नहीं दिखाई।

शिकायत

0 तहसील में आने वाले लोगों के लिए नहीं है बैठने की जगह।

0 पेयजल के लिए भी वाटर कूलर नहीं, हैंडपंप का भी अभाव।

0 परिसर में लगा है गंदगी का अंबार, उगी हैं झाड़ियां।

0 अधिवक्ताओं के लिए शेड का अभाव ।

0 अधिवक्ताओं और अधिकारियों के लिए शौचालय का अभाव।

समाधान

0 तहसील में कराया जाए शेड का निर्माण।

0 पेयजल के लिए इंडिया मार्क का हैंडपंप के साथ ही लगे वाटर एटीएम।

0 सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए हो स्थाई कर्मियों की तैनाती।

0 तहसील परिसर में बनवाया जाए सार्वजनिक शौचालय ।

0 तहसील परिसर में अधिवक्ताओं और अधिकारियों के लिए खोली जाए कैंटीन ।

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बोले अधिवक्ता

रानीगंज में प्रयागराज और जौनपुर की सीमा के गांव तहसील मुख्यालय से काफी दूर हैं। ऐसे में वहां के लोगों को जिला मुख्यालय जाने में दिक्कत होती है। रानीगंज में ग्राम न्यायालय की स्थापना अत्यंत जरूरी है।

आजाद उपाध्याय

रानीगंज तहसील की स्थापना आम लोगों की सहूलियत के लिए हुई थी। इससे लोगों को सहूलियत मिली भी। लेकिन जब ग्राम न्यायालय की परिकल्पना लालगंज और पट्टी में साकार हुई है तो रानीगंज के भी लोगों की उम्मीद लाजमी है।

शैलेश कुमार पांडेय

तहसील क्षेत्र का पूरा इलाका ग्रामीण है। हाल में ही तहसील मुख्यालय को नगर पंचायत का दर्जा मिला लेकिन इसके वार्ड को आज भी लोग गांव ही जानते हैं। यहां गांव में तमाम गरीब रहते हैं और उनका मुख्यालय जाना मुश्किल हो जाता है। तहसील में ग्राम न्यायालय की स्थापना की नितांत आवश्यकता है।

शिवेंद्र प्रताप सिंह

रानीगंज जिले की सबसे नई तहसील है। यहां सबसे आधुनिक सुविधाएं होनी चाहिए थी। लेकिन कार्यालय और आवास बनवाने के बाद ध्यान नहीं दिया गया।

देवेश प्रताप सिंह

तहसील आने पर वादकारियों के साथ ही अधिवक्ताओं को भी लघुशंका तक के लिए भी दिक्कत होती है। जो शौचालय बना है वह आम लोगों के काम नहीं आ रहा है।

राधे यादव

रानीगंज तहसील में कर्मचारियों की भी कमी है। इसके चलते अधिवक्ताओं से ज्यादा इलाके के लोगों को दिक्कत हो रही है। इस कमी को दूर करने की जरूरत है।

मनोज कुमार त्रिपाठी

तहसील में करोड़ों की लागत से अधिकारी और कर्मचारियों के लिए आवास बने हैं। सरकारी आवास कर्मचारियों ने दूसरे लोगों को किराये पर दिया है। शासन की मंशा के अनुरूप कर्मचारियों को अपने आवास में रुकना चाहिए।

रविंद्र कुमार मिश्र

स्थायी सफाई कर्मियों के अभाव में कार्यालय के साथ ही पूरे परिसर में गंदगी का अंबार लगा है। कार्यालय, आवास और परिसर की सफाई के लिए नियमित कर्मचारियों की तैनाती की जानी चाहिए।

ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव

अब गर्मी आ गई है। ऐसे में परिसर में लगे इंडिया मार्का हैंडपंप लोगों की प्यास नहीं बुझा पाते। परिसर में और हैंडपंप की स्थापना के साथ ही वाटर कूलर लगाए जाने की भी जरूरत है।

आरजू गुप्ता

तहसील मुख्यालय नया है। यहां सुविधा ज्यादा होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं है। अधिवक्ताओं के साथ ही अधिकारियों के लिए भी और शौचालय बनवाने की आवश्यकता है।

सीताराम विश्वकर्मा

अब गर्मी परेशान करने लगी है, इसके साथ ही तहसील में समस्याएं भी बढ़ गई हैं। गर्मी में लोगों की पेयजल सबसे बड़ी आवश्यकता है। यहां पेयजल की समस्या बनी हुई है। आए दिन टंकी भी खराब रहती है। परिसर में दो वाटर कूलर लगाया जाना चाहिए।

वसीम अहमद

बोले जिम्मेदार

कर्मचारियों को एलॉट सरकारी आवास में अगर कोई दूसरा रह रहा है तो इसकी जानकारी कर कार्रवाई की जाएगी। अधिवक्ताओं को बैठने के लिए शेड निर्माण के साथ ही पेयजल की भी व्यवस्था और सुदृढ़ करने की कार्रवाई की जा रही है।

दीपक वर्मा ,एसडीएम, रानीगंज

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