बंदरों के आतंक से लोगों का जीना मुश्किल
कई गांवों में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। वे खाने-पीने का सामान चुराने के साथ-साथ घरों में घुसकर तोड़फोड़ करते हैं। स्थानीय लोग घायल हो रहे हैं और ग्राम प्रधानों ने प्रशासन से इनकी समस्या का...
कई गांव में अर्से से बंदरों का आतंक है। वे खाने-पीने का सामान ले जाने के साथ ही घरो में घुसकर तोड़फोड़ भी करते हैं। मौका पाते ही रसोई में भी घुस जाते हैं। भगाने पर हमलावर हो जाते हैं। इनके काटने से अब तक इलाके के दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। कुंडा तहसील के कुंडा ब्लाक इलाके के पूरे धनऊ, गोतनी, गढ़ी, भरचक, कालाकांकर के आलापुर, कुसुवापुर, ऐंठू, लाला बाजार, मिरगढ़वा आदि गांवो में बंदरों का आतंक है। बाबागंज में किंधौली, चौंरग, राजापुर, बिहार इलाके के उमरी बुजुर्ग, बिहार, सरांय आदि दर्जनों गांव में बंदरों का आतंक है। टीम बागों के अलावा छत पर डेरा डाले है। बंदर घरों दुकानों के सामने लगे टीन शेड, छतों की चहारदीवारी, रेलिंग, छप्पर पर चहलकदमी करते हैं। पूर्व प्रधान प्रेम चन्द्र जायसवाल, राम चन्द्र कश्यप, प्रभाकर जायसवाल, हसन इमाम गुडडू, रुप कुमार सिंह, भारत लाल, सूरजपाल, हरिशंकर प्रजापति, पवन कुमार, सुरेश सिंह,महेश कुमार आदि ने बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।
बंदरों को पकड़वाने के लिए ग्राम प्रधानों, नगर पंचायत अध्यक्षों को डीएम ने आदेश दिया है। फिर भी प्रयास करते हैं कि बंदरों को पकड़वाकर बाहर भेजा जाए, जिससे लोगों की समस्या का समाधान हो सके।
- आशीष सिंह, वन क्षेत्राधिकारी कुंडा
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