धान की फसल को नुकसान, आलू की बोआई पिछड़ी

क्षेत्र में रुक-रुककर हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ी दी है। सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को है। कई खेतों में धान की फसल गिर गई है तो कई जगह धान की बाली पानी में डूबने से फसल खराब होने की आशंका...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रतापगढ़ - कुंडाThu, 24 Sep 2020 04:12 PM
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क्षेत्र में रुक-रुककर हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ी दी है। सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को है। कई खेतों में धान की फसल गिर गई है तो कई जगह धान की बाली पानी में डूबने से फसल खराब होने की आशंका बढ़ गई है। आलू की बोआई के लिए तैयार हो रहे खेतों में भी अब कुछ दिन काम रुक जाएगा।

बुधवार को दिन में भले ही हल्की बूंदाबांदी हुई हो लेकिन रात से शुरू हुई बारिश गुरुवार दिनभर जारी रही। इस दौरान रुक-रुककर बारिश होती रही। वहीं, इन दिनों धान की फसल खेतों में तैयार है। अगले माह से धान की कटाई शुरू हो जाएगी। ऐसे में बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। बढ़िया मानसून के कारण सावन माह में हुई अच्छी बारिश के बाद अब सितंबर के अंत में बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। हवा के साथ हो रही बारिश से सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को है।

क्षेत्र के सलाहपुर, डेईडीह धौरहरा सरायमधई, बहुता, रामकोला, रमईपुर नेवादा, गजरिया आदि गांवों में कई स्थानों पर किसानों की धान की फसल गिर गई है। कई स्थानों पर पानी में डूब गई है। इससे धान की फसल बर्बाद हो सकती है। सरायमधई के किसान राजकुमार मिश्र ने बताया कि उन्होंने पांच बीघा धान की अगैती फसल लगाई थी। फसल तैयार हो गई थी। काटने की तैयारी में लगे थे, लेकिन बरसात के कारण फसल गिर गई। फसल गिरने से 20 फीसदी से ज्यादा नुकसान हो गया है।

गजरिया के साधू सिंह का कहना है कि बारिश से उनकी तीन बीघा धान की फसल बिछ गई है। कई साल से फसल में नुकसान हो रहा है। इस बार फसल अच्छी थी। इसलिए पैदावार भी अच्छी होने की उम्मीद थी। लेकिन बरसात से फसल बिछ गई है। डेईडीह धौरहरा के रामजी यादव ने बताया कि आलू की बोआई के लिए खेत तैयार हो गया था। लेकिन अब कुछ दिन बोआई का काम रुक जाएगा।

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