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बोले बेल्हा : दिखने में छोटे लेकिन जानलेवा हैं हाईवे के गड्ढे

Pratapgarh-kunda News - प्रयागराज-अयोध्या हाईवे पर श्रद्धालुओं की वाहनों की भीड़ से गड्ढों और झटकों की वजह से हादसों का खतरा बढ़ गया है। एनएच विभाग द्वारा गड्ढों की मरम्मत न किए जाने से स्थानीय लोग परेशान हैं। चिलबिला और आसपास...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रतापगढ़ - कुंडाTue, 29 April 2025 03:13 PM
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बोले बेल्हा : दिखने में छोटे लेकिन जानलेवा हैं हाईवे के गड्ढे

प्रयागराज-अयोध्या हाईवे पर श्रद्धालुओं के वाहनों की भीड़ बढ़ गई है। ऐसे में हाईवे के छोटे-छोटे गड्ढे या जर्क वाहनों को अचानक उछालकर अनियंत्रित कर दे रहे हैं। इससे हाईवे पर हादसे का खतरा बढ़ गया है। जब से भारी वाहनों के अनियंत्रित होकर हाईवे किनारे स्थित घरों में घुसने की घटनाएं बढ़ी हैं तब से स्थानीय लोग भी परेशान हैं। किन्तु एनएच विभाग इन गड्ढों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर रहा है। स्थानीय लोगों की मानें तो वहां जितनी बार भी सड़क बनी है, बनने के कुछ ही दिन में जर्क या ऐसे ठोकर बन जाते हैं जो मामूली दिखते हैं किन्तु वाहनों के पहियों को उछाल देते हैं। ओवरटेक करते समय हादसे की वजह बन जाते हैं, फिर भी इनकी मरम्मत नहीं की जाती है। इससे परेशान लोगों ने आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार के बोले बेल्हा अभियान में समस्या से निजात दिलाने की मांग की है।

प्रयागराज-अयोध्या हाईवे के उक्त गड्ढे या जर्क दिखने में बहुत मामूली हैं। किन्तु सुबह के समय जब कई चालकों पर सुस्ती हावी होती है तो इन्हीं जर्क या मामूली दिखने वाले गड्ढों पर तेज रफ्तार वाहन के पहिए उछल जाते हैं। ऐसे में स्टेयरिंग पर नियंत्रण खोने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। चिंता की बात यह है कि उक्त गड्ढे या जर्क जहां-जहां हैं वहीं पर सबसे अधिक दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। शहर के जोगापुर में हादसे होते हैं। वहां देवकली के पास हाईवे पर गड्ढा हो गया है। इसके बाद चिलबिला बाजार और पॉलिटेक्निक के बीच में हादसे अधिक होते हैं। वहां भी सड़क पर वाहनों के पहिए उछालने की क्षमता रखने वाले जर्क या गड्ढे बन गए हैं। महाकुम्भ के समय अयोध्या में राम मंदिर दर्शन से लौटकर प्रयागराज जा रहे श्रद्धालुओं की कार चिलबिला पॉलिटेक्निक के पास अनियंत्रित होकर डंपर से टकरा गई थी। जिसमें महिला सहित तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और कई श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसी जगह एसजीएस सिटी स्कैन एमआरआई अजीत नगर के एमडी सर्वेश मिश्रा की कार भीषण हादसे का शिकार हो गई थी। जिसमें तीन महीने इलाज के बाद उनकी हालत में सुधार आया था। मामूली रूप से चोटिल होने वालों की संख्या अधिक है। यहां सड़क नई बनी दिखती है इससे इन जर्क व गड्ढों पर आसानी से ध्यान नहीं जाता। इसी चूक से कई बार वाहन अनियंत्रित हो जाते हैं।

महाकुम्भ में भी नहीं दूर हो पाया ओवरब्रिज का जर्क

प्रयागराज-अयोध्या हाईवे पर चिलबिला पुलिस चौकी के सामने स्थित रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर ओवरब्रिज बना है। ओवरब्रिज मोड़ पर बना है। ऐसे में इस पर जब वाहन चढ़ते हैं तो ऊपर जाकर उन्हें मुड़ना पड़ता है। इसी मोड़ पर लगे एक्पेंशन ज्वाइंट (पुल के छत की दो प्लेट को जोड़ने वाली लोहे की पटिया) में गैप हो गया है। वहां पर गड्ढे हो गए हैं। जब तेज रफ्तार वाहन ऊपर चढ़कर मुड़ते हैं तो उक्त एक्सपेंशन ज्वाइंट के गड्ढों में उछलकर अनियंत्रित होने का खतरा रहता था। लोड ट्रक और बस ही नहीं बल्कि लक्जरी कार तक यहां खराब हो जाती हैं। इससे हाईवे पर लंबा जाम लग जाता है। बेल्हा देवी पुल के एक्सपेंशन ज्वाइंट पर भी गड्ढे हो गए हैं। जिससे हादसों की आशंका बनी रहती है। लेकिन इसकी भी मरम्मत नहीं कराई जा रही है।

ओवरब्रिज पर हुए बड़े हादसे

1-29 फरवरी 2024 को कार की टक्कर से बाइक सवार की ब्रिज के नीचे गिरकर मौत।

2-30 जनवरी 2024 को ऑडी कार सवार व्यापारी पुत्र की दर्दनाक मौत।

3-24 दिसम्बर 2022 को दो ट्रक आमने-सामने से टकराकर चकनाचूर।

4-9 जुलाई 2021 को अनियंत्रित बस से कुचलकर महिला की मौत।

5-10 फरवरी 2019 को कार की टक्कर से बाइक सवार की ओवर ब्रिज से गिरकर मौत।

हाईवे किनारे खड़े ट्रकों से भी ट्रैफिक को राहत नहीं

चिलबिला के सोनांवा में जितनी दूर में सबसे अधिक हादसे होते हैं वहां पर सड़क के दोनों तरफ काफी संख्या में ट्रक खड़े हो जाते हैं। इससे हाईवे किनारे पटरी पर वाहनों को उतारने की जगह नहीं बचती। रात में यही ट्रक जानलेवा हो जाते हैं। वाहन जरा भी अनियंत्रित हुए तो इन ट्रकों से टकराकर हादसे का शिकार हो जाते हैं। सबसे अधिक परेशानी बाइक सवारों के लिए होती है। आए दिन कोई न कोई बाइक सवार सामने से आ रहे वाहनों की तेज लाइट से चौंधियाकर हाईवे किनारे अवैध रूप से पार्क किए गए इन ट्रकों में टकराकर हादसे का शिकार हो जाते हैं। इन ट्रकों को महाकुम्भ के समय प्रशासन ने हटवा दिया था। किन्तु महाकुम्भ समाप्त होते ही फिर पहले की तरह हाईवे के दोनों किनारे काफी संख्या में ट्रक खड़े होने लगे हैं। इससे हाईवे पर तेज रफ्तार कोई वाहन यहां बने जर्क या गड्ढों में उछलकर अनियंत्रित होता है तो उसे नियंत्रण में लाने की जगह नहीं मिलती। हाईवे किनारे खड़े ट्रकों से टकराने या हाईवे पर सामने से आ रहे वाहन में टकराने का ही विकल्प उसके पास बचता है।

छात्रों पर भी खतरा

सोनांवा में प्रयागराज-अयोध्या हाईवे किनारे स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक चिलबिला बाजार से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर ही है। इसलिए अधिकांश छात्र चिलबिला बाजार से कॉलेज तक पैदल ही आवागमन करते हैं। लेकिन हाईवे के दोनों तरफ खड़े ट्रकों से उन्हें बहुत परेशानी होती है। इस दौरान यदि हाईवे पर कोई वाहन अनियंत्रित होता है तो दोनों तरफ पार्क किए गए ट्रक छात्र-छात्राओं के भागने में बाधा बन जाते हैं। ऐसे में उनकी जान पर खतरा बढ़ा रहता है।

शिकायतें

1-हाईवे पर छोटे-छोटे गड्ढे दिखते नहीं।

2-हाईवे पर बने गड्ढे या जर्क मरम्मत न किए जाने से लम्बे समय तक बने रहते हैं।

3-हाईवे किनारे ट्रक या अन्य वाहनों की अवैध पार्किंग से जगह कम हो जाती है।

4-चिलबिला रेलवे ओवरब्रिज के एक्सपेंशन ज्वाइंट पर वाहन को झटके लगते हैं।

5-बेल्हा देवी सई नदी पुल के एक्सपेंशन ज्वाइंट की पटिया टूटने से परेशानी।

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सुझाव

1-हाईवे पर हुए गड्ढों को रेडिएम से हाइलाइट करना चाहिए।

2-गड्ढों या जर्क का पता चलते ही उसकी मरम्मत करा दी जाए।

3-हाईवे किनारे से अवैध पार्किंग पर कार्रवाई कर हटाई जाए।

4-चिलबिला रेलवे ओवरब्रिज के एक्सपेंशन ज्वाइंट ठीक कराए जाएं।

5-बेल्हा देवी सई नदी पुल के एक्सपेंशन ज्वाइंट ठीक कराए जाएं।

जरा हमारी भी सुनिए....

हाईवे के जिन गड्ढों या जर्क को एनएच के कर्मचारी मामूली समझकर नजरअंदाज कर रहे हैं यदि उन पर रेडियम, रंगीन पट्टी लगा दें कि वह दूर से ही दिखने लगे तो भी हादसों को कम करना आसान हो जाएगा। दरअसल उक्त गड्ढे या जर्क बड़े नहीं हैं, बल्कि दिखते नहीं हैं इसलिए नुकसान पहुंचा रहे हैं। अचानक इन पर पहिया चढ़ने पर पता चलता है तो कई बार वाहन अनियंत्रित हो जाता है।

-आशीष

महाकुम्भ के समय गड्ढे की वजह से डंपर और अयोध्या से लौट रहे श्रद्धालुओं की कार में टक्कर से तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। यहां वाहन अब भी पहले की तरह ही उछल जाते हैं। शायद ऐसी ही लापरवाहियों की वजह से इस स्थान पर हादसे भी अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक हो रहे हैं।

-रंजीत

यहां यातायात के लिए हाईवे के दोनों किनारों पर अवैध रूप से पार्क किए गए ट्रक आदि भारी वाहन बाधक हैं। इन वाहनों की अवैध पार्किंग से आवागमन के लिए जगह कम हो जाती है। महाकुम्भ के समय प्रशासन ने सख्ती की तो कुछ दिन के लिए राहत मिली थी। किन्तु अब फिर पहले जैसा ही अतिक्रमण हो गया है। इससे भी हादसे बढ़ रहे हैं।।

-दिनेश उमरवैश्य

चिलबिला रेलवे ओवर ब्रिज घुमावदार है। इसके मोड़ पर पुल के छत की दो प्लेटों को जोड़ने वाले एक्सपेंशन ज्वाइंट में गड्ढा हो गया है। तेज रफ्तार में मुड़ते समय वाहनों के पहिए जब इन एक्सपेंशन ज्वाइंट पर चढ़ते हैं तो उछल जाते हैं। इस ओवर ब्रिज पर अब तक कई बड़े हादसे हो चुके हैं। जिनमें स्थानीय लोगों से लेकर बाहरी लोग तक जान गंवा चुके हैं। फिर भी इसकी मरम्मत नहीं कराई जा रही है।

-सच्चिदानंद

बेल्हा देवी मंदिर के पास सई नदी पर बने पुल से होकर अयोध्या या प्रयागराज जाने वाले वाहनों को भी पुल के दो प्लेट के जोड़ वाले एक्सपेंशन ज्वाइंट पर झटका झेलना पड़ रहा है। इन एक्सपेंशन ज्वाइंट पर बने गड्ढे के झटके से कई बार भारी वाहन खराब हो जाते हैं तो सदर मोड़ से चिलबिला तक ट्रैफिक जाम लग जाता है। तेज रफ्तार वाहन अनियंत्रित होकर हादसे का शिकार हो जाते हैं।

-अमन

चिलबिला के पास सोनांवा में हाईवे तो है लेकिन उसकी पटरी पर अवैध पार्किंग से अतिक्रमण हो चुका है। कई बार तो अवैध तरीके से पार्क किए गए ट्रक को हटाने के लिए स्थानीय लोगों से विवाद भी हो जाता है। फिर भी प्रशासन यहां पर हाईवे की पटरी को इन भारी वाहनों की पार्किंग से मुक्त नहीं करा पा रहा है। जबकि इनसे हादसे का खतरा बना रहता है।

-राहुल

चिलबिला बाजार से राजकीय पॉलिटेक्निक की दूरी बहुत कम है। इसलिए वहां तक छात्र-छात्राओं को सवारी वाहन नहीं मिल पाते। ऐसे में वे पैदल आते-जाते हैं। किन्तु सोनांवा में हाईवे की पटरी पर अतिक्रमण के चलते उन्हें जगह नहीं मिल पाती। मजबूरी में हाईवे पर चढ़कर पैदल जाना पड़ता है। इससे हादसे का खतरा बना रहता है। छात्रों ने कई बार हाईवे की पटरी खाली कराने की मांग की फिर भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

-बबलू यादव

यहां सड़क पर बने गड्ढे ऐसे हैं कि दूर तो छोड़िए नजदीक पहुंचने पर भी नहीं दिखते। ऐसे में जब वाहन का पहिया उछलता है तब पता चलता है। रविवार दोपहर प्रयागराज से कार लेकर अयोध्या जा रहे सुशील शुक्ला की कार भी ऐसे किसी गड्ढे या ठोकर से उछली जिसे वे नहीं देख सके और उनकी कार का मडगार्ड बाहर निकल गया। संयोग अच्छा था जो उस समय कोई वाहन वहां से नहीं गुजर रहा था अन्यथा हादसा हो सकता था।।

-रवीन्द्र जायसवाल

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फोटो-19

यहां हाईवे पर ऐसे-ऐसे गड्ढे या ठोकर बन गए हैं जो नजदीक से नहीं दिखते। लेकिन इनके ठोकर की उंचाई ऐसी होती है कि वाहन का पहिया उस पर चढ़ते ही ड्राइवर ही नहीं वाहन में बैठे सभी लोगों को अहसास करा देता है। जब तक इन गड्ढों को ठीक न किया जाए तब तक कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे दूर से ही दिख जाए।

-संतोष सिंह

स्थानीय लोग इन गड्ढों या ठोकर को जानते हैं इसलिए वे वहां अलर्ट रहते हैं, लेकिन बाहर के लोग उसे नहीं देख पाते और हादसे के शिकार हो जाते हैं। एनएच को अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। इन गड्ढों या एक्सपेंशन ज्वाइंट की मरम्मत में इतनी बड़ी रकम नहीं लगनी है कि उसे टाला जाए। समय पर इनकी मरम्मत हो जाए तो हादसों को टाला जा सकता है।

-रोशन सिंह

महाकुम्भ के समय भुपियामऊ से चिलबिला पॉलिटेक्निक तक सड़क की मरम्मत कराई गई। लेकिन मरम्मत का यह काम पॉलिटेक्निक के गेट पर जहां खत्म हुआ वहां पर्याप्त ढाल नहीं बनाया गया है। इससे वहां वाहनों को अचानक झटका लगता है। जोड़ पर पर्याप्त ढाल न बनाने से बना उक्त ठोकर दूर से बिल्कुल नहीं दिखता।।

-सचिन गुप्ता

हाईवे को बनाने का काम जिस कंपनी को दिया जाता है उसके मेंटीनेंस की जिम्मेदारी भी उसी की होती है। किन्तु यहां ऐसा कुछ नहीं दिख रहा। एनएच के अधिकारी कर्मचारी न संबंधित कंपनी से इन गड्ढों, ठोकर, एक्पेंशन ज्वाइंट की मरम्मत करा रहे हैं और न ही विभागीय स्तर से कोई मरम्मत करा रहे हैं। जबकि इस पर अधिकारी गंभीरता बरतें तो इससे निजात मिल सकती है।

-रमन शर्मा

बोले जिम्मेदार

अयोध्या-प्रयागराज राजमार्ग पर बने गड्ढों का सर्वे कराने के बाद उसे दुरुस्त कराने के लिए एनएचएआई के अफसरों को निर्देशित करेंगे। जिससे हाईवे का आवागमन सुलभ हो सके।

-शिव सहाय अवस्थी, डीएम

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