बोले बेल्हा : धूप और गर्मी बेहिसाब, खुद पानी मांग रहे मॉडल तालाब
Pratapgarh-kunda News - बेल्हा जिले में बनाए गए मॉडल तालाबों में पानी की कमी है। लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद तालाब सूखे पड़े हैं और झाड़ियां उगी हुई हैं। प्रशासन की लापरवाही के कारण इन तालाबों का अस्तित्व खतरे में है,...
गर्मी में बेजुबान पशु-पक्षियों को राहत देने और जलस्तर बरकरार रखने के लिए लाखों रुपये की लागत से बनाए गए मॉडल तालाबों में धूल उड़ रही है। जिले में कई ऐसे मॉडल तालाब भी हैं जिसमें बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हैं जिसे दूर से देखकर यह नहीं माना जा सकता कि यह तालाब है और इसका निर्माण कराने में मनरेगा खाते से लाखों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही का आलम यह है कि तमाम मॉडल तालाबों के किनारे बनाई गई बैरिकेडिंग टूट गई है और मार्निंग वॉक करने के लिए गनाया गया ट्रैक जगह जगह धंस गया है। ऐसा नहीं है कि जिले में बनाए गए सभी मॉडल तालाबों की दशा ऐसी है कुछ मॉडल तालाब ऐसे भी हैं जिन्हें देखकर सिर्फ गांव वाले ही नहीं बल्कि दूर दराज से आने वाले लोग भी तारीफ करते हैं लेकिन जिले के अधिकतर मॉडल तालाबों में पानी होने से उनके निर्माण की मंशा पूरी नहीं हो रही है। इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार जिले के अलाधिकारियों को माना जा सकता है। कारण शासन से मिलने वाले अलग अलग मद के तमाम बजट खर्च करने की जिम्मेदारी इनकी ही है। लाखों रुपये की लागत से बनाए गए मॉडल तालाबों के सूखे होने के मुद्दे पर आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने एक स्वर से कहा कि तालाबों में पानी ही नहीं रहता तो इनके निर्माण पर लाखों रुपये खर्च करने की जरूरत क्या थी। ग्रामीणों ने मॉडल तालाबों में पानी भरवाने के तरीके भी बताए।
बेल्हा जिले की अलग अलग ग्राम पंचायत में प्रशासन की ओर से कुल 890 मॉडल तालाब का निर्माण कराया गया है। एक मॉडल तालाब के निर्माण पर औसतन आठ से नौ लाख रुपये खर्च किए गए हैं। प्रत्येक मॉडल तालाब का रकबा एक एकड़ से अधिक है। कई मॉडल तालाब को सजाने, संवारने के लिए चारों और बैरिकेडिंग करा मार्निक वॉक करने वालों के लिए ट्रैक बनाया गया है। ऐसे तालाबों के निर्माण पर कुछ अधिक बजट खर्च किए गए हैं। तालाबों का निर्माण कराने के पीछे वर्षा जल का संरक्षण कर जलस्तर बराबर करना और गर्मी के दिनों में बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए पानी उपलब्ध कराना था। मनरेगा खाते से लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए मॉडल तालाबों का निर्माण पूरा कराने के बाद अफसर उसे भूल गए। नतीजा बरसात को छोड़कर अन्य महीनों में इन तालाबों में धूल उड़ती नजर आती है, कारण इन तालाबों में पानी भरवाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। वर्तमान में तेज गर्मी और उमस की शुरुआत हो चुकी है, इससे पशु पक्षियों को पानी की सख्त जरूरत है लेकिन प्रशासन के मॉडल तालाब सूखे पड़े हैं। कई ऐसे तालाब भी हैं जिनमें बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हैं। तमाम तालाबों के बंधे टूट चुके हैं, कई की बैरिकेडिंग टूट गई है। जिन तालाबों के बंधे टूटे हैं उनमें बरसात का पानी भी संरक्षित नहीं किया जा सकता, लेकिन जिम्मेदार उसकी मरम्मत कराने की जरूरत नहीं समझ रहे। नतीजा लाखों रुपये की लागत से बनाए गए मॉडल तालाब बेजुबानों के लिए बेकार साबित हो रहे हैं।
सूखे पड़े हैं सरकारी तालाब, पंप लगते तो बनती बात
जिले में मॉडल तालाब के अलावा छोटे-बड़े करीब 1500 सरकारी तालाब और भी हैं जो फिलहाल तो सूखे पड़े हैं। ग्राम पंचायतों की देखरेख वाले इन तालाबों के संरक्षण के लिए प्रशासन खासी सक्रियता दिखाता है लेकिन तालाबों में पानी भरवाने की कोई सुविधा नहीं होने से यह किसी काम के नहीं हैं। खासतौर पर गर्मी के दिनों में यदि इन तालाबों में पानी भरा रहे तो सबसे अधिक फायदा पशु-पक्षियों को मिलेगा। तालाबों के संरक्षण का उद्देश्य भी यही है लेकिन जिम्मेदार सिर्फ इन पर किए गए अवैध कब्जे हटवाने तक सिमट कर रह गए हैं। नतीजा इनका फायदा न पशु पक्षियों को मिल रहा है और न ग्रामीणों को। ग्रामीण बताते हैं कि तालाबों की खोदाई कराने के नाम पर जिम्मेदारों ने मनरेगा खाते से लाखों रुपये खारिज कर बंदरबांट कर लिया लेकिन इसका लाभ एक फीसदी भी नहीं मिल रहा है। कई तालाब ऐसे हैं जिनकी खोदाई हर वित्तीय वर्ष कराई जाती है और मनरेगा खाते से मोटा बजट खारिज कर हजम कर लिया जाता है। बार-बार तालाब की खोदाई करने से बेहतर होता कि यदि एक बार इसी बजट से सबमर्सिबल पंप की स्थापना करा दी जाती तो, तालाबों में लगातार पानी की उपलब्धता बनी रहती।
खतरे में हैं तालाबों का अस्तित्व
ग्रामीण बताते हैं कि जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही के कारण शहर से ग्रामीण इलाकों तक सैकड़ों तालाब ऐसे हैं जिनका अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है। तालाबों पर सबसे अधिक अवैध कब्जों के मामले शहरी क्षेत्र में हैं। कारण शहर की भूमि कीमती होती है और लोग आसानी से तालाब खाते की भूमि पर अवैध कब्जा कर मकान का निर्माण करा लेते हैं। नगरपालिका बेल्हा और नगर पंचायत पट्टी में सरकारी खाते के तालाब की भूमि पर अवैध कब्जा भू माफियाओं ने बेच डाला है लेकिन जिम्मेदारों ने अबतक उसे खाली कराने की हिम्मत नहीं जुटाई।
शिकायत पर ही सक्रिया होते हैं राजस्व कर्मचारी
ग्रामीणों का कहना है कि तालाब खाते की कीमती भूमि पर भू माफियाओं की नजर रहती है। मौका देखकर भूमाफिया तालाब खाते की भूमि पर अवैध कब्जा कर लेते हैं और धीरे-धीरे उसे बेच लेते हैं। ऐसे मामलों में राजस्व कर्मचारी तभी सक्रिय होते हैं जब उसकी शिकायत की जाती है। शिकायत करने से भी ग्रामीण बचते हैं क्योंकि इससे आपस में मनमुटाव हो जाता है। भूमाफिया इसके लिए पूरी प्लानिंग करके अवैध कब्जा करते हैं, इसमें लेखपाल सहित अन्य राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत रहती है। यही कारण है कि ऐसे प्रकरण उच्चाधिकारियों तक पहुंचते ही नहीं हैं।
जिले के 2017 फार्म पॉन्ड में भी नहीं है पानी
प्रशासन की ओर से जिले की अलग-अलग ग्राम पंचायत में 2017 फार्म पॉन्ड का निर्माण कराया गया है। एक महीने के अंदर 2017 फार्म पॉन्ड का निर्माण कराने पर प्रशासन को पुरस्कार भी मिल चुका है। फार्म पॉन्ड बनवाने के लिए प्रशासन की ओर से किसानों की ऐसी भूमि चिह्नित की गई थीं जो ऊबड़-खाबड़ थीं, जिस पर किसान खेती नहीं करते थे। इसके पीछे मंशा यह थी कि सरकारी खर्च से फार्म पॉन्ड का निर्माण कराने के बाद उसे किसान को हैंडओवर कर दिया जाएगा। इससे किसान मछली पालन सहित अन्य रोजगार कर सकेगा। फार्म पॉन्ड के पानी से जलस्तर सुधारने में भी मदद मिलेगी। हालांकि जिले के अधिकतर फार्म पॉन्ड अब भी सूखे पड़े हैं। कुछ फार्म पॉन्ड ऐसे हैं जिनमें किसानों ने मछली पालन किया है ऐसे किसान लगातार उसमें पानी भरत रहते हैं।
नहर में पानी आने के बाद भी नहीं भराए जाते मॉडल तालाब
ग्रामीण बताते हैं कि जिले के तमाम तालाब ऐसे हैं जिनके आसपास से नहरें गुजरी हैं। इन तालाबों में नहरों की मदद से समय-समय पर पानी भराया जा सकता है लेकिन ऐसी कोई पहल आज तक नहीं की गई। यही कारण है कि तालाबों में बरसात का मौसम खत्म होते ही धूल उड़ने लगती है। ग्राम पंचायतों को यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए कि नहर में पानी आने के बाद तालाब में पानी भरवाने की व्यवस्था कराया जाए। इसके लिए नहरों से तालाब तक नाली की व्यवस्था करानी होगी, जिससे नहर में पानी आने के बाद तालाब में पानी भरा जा सके।
मॉडल तालाबों पर रोपे गए लाखों पौधे हो गए गायब
जिले के मॉडल तालाब और अमृत सरोवर के किनारे प्रशासन के निर्देश पर प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अभियान के तहत फलदार और छायादार पौधे रोपे जाते हैं। यही नहीं पौधे रोपने के बाद उनके संरक्षण का संकल्प दिलाया जाता है लेकिन वर्तमान में तालाबों के किनारे इक्का, दुक्का पौधे भले ही बचे हों, शेष पौधे गायब हो चुके हैं। खास बात यह कि पौधे रोपने के बाद जिम्मेदार कभी पलट कर यह जानने का प्रयास भी नहीं करते कि रोपे गए पौधे किस हालत में हैं। अनदेखी और लापरवाही के कारण पौधे सूखकर चंद दिनों में ही खत्म हो जाते हैं। वनविभाग के जिम्मेदार पौधों की जियो टैगिंग कर अपनी पीठ थपथपा लेते हैं।
शिकायतें
1. मॉडल तालाबों के निर्माण पर लाखों रुपये खर्च किए गए लेकिन पानी भरवाने की कोई सुविधा नहीं है।
2. मॉडल तालाबों की देखरेख के लिए प्रशासन की ओर से कोई नियम नही निर्धारित किए गए हैं।
3. मॉडल तालाबों का निर्माण कराने के बाद से उनकी सफाई नहीं कराई गई जिससे झाड़ियां उगी हैं।
4. मॉडल तालाब के चारों ओर लाखों रुपये खर्च कर मार्निंग वॉक के लिए बनाए गए ट्रैक उखड़ चुके हैं।
5. शहर से गांव तक स्थित कई तालाबों पर अवैध कब्जा कर मकान बनवा लिए गए हैं।
सुझाव
1. शहरी क्षेत्र से ग्रामीण इलाके तक के तालाब चिन्हित कर अवैध कब्जों से मुक्त कराए जाएं।
2. मॉडल सहित सभी तालाबों में पानी भरवाने की सुविधा प्राथमिकता से कराई जाए।
3. ग्रामीण इलाके के तालाबों के किनारे मार्निंग वॉक के लिए बनाए गए ट्रैक रिपेयर कराए जाएं।
4. मॉडल तालाबों की प्रत्येक वित्तीय वर्ष साफ-सफाईकराई जाए, जिससे उनमें उगी झाड़ियां साफ हो सकें।
5. मॉडल तालाबों की देखरेख के लिए ग्राम पंचायतों के मानक और नियम निर्धारित किए जाएं।
हमारी भी सुनिए...
अमृत सरोवर और मॉडल तालाबों में पानी की जगह धूल उड़ रही है। ऐसे में यह ग्रामीणों के लिए किसी काम के नहीं हैं। जिम्मेदारों को तालाबों में पानी भराने की व्यवस्था प्राथमिकता से करानी चाहिए, जिससे पुश पक्षियों को राहत मिल सके।
मजीबुल अंसारी
सूर्यदेव की तपिश दिनों दिन बढ़ती जा रही है। पशु-पक्षी प्यास से व्याकुल दिखने लगे हैं लेकिन प्रशासन के तालाबों में पानी नदारद है। लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए तालाब आखिर किस काम के हैं। इसमें पानी की उपलब्धता पर विचार करना चाहिए।
मेजान अंसारी
गर्मी धीरे-धीरे अपना प्रचंड रूप अख्तियार करती जा रही है, इससे ग्रामीण इलाकों में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। खासतौर पर फसलों में आग की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। यदि तालाबों में पानी उपलब्ध रहे तो ऐसी घटनाओं के समय राहत मिल सकती है।
विकास तिवारी
अवैध कब्जे वाले तालाबों को अभियान के तहत चिह्नित कराना चाहिए, सरकारी तालाबों को चिह्नित कर उनका सौन्दर्यीकरण कराया जाए। जिससे सरकारी सम्पत्ति का संरक्षण किया जा सके और भूमाफियाओं पर नकेल कसी जा सके।
रमाशंकर जायसवाल
जलस्तर में सुधार करने के लिए बनाए गए मॉडल तालाबों में जब पानी ही नहीं है तो मंशा कहां से पूरी होगी। इसके लिए जिम्मेदारों को गंभीरता से प्लानिंग करना चाहिए। अन्यथा तालाबों पर खर्चकिए गए लाखों रुपये फिलहाल तो किसी काम के नहीं हैं।
नईम
मॉडल तालाबों में धूल उड़ रही है और बड़ी बड़ी झाड़ियां उगी हैं। कई तालाब ऐसी दशा में हैं जिन्हें देखकर यह अनुमान लगाना कठिन है वह तालाब हैं और उनके सौन्दर्यीकरण पर लाखों रुपये खर्च किए गए हैं। जिम्मेदारों के लिए गंभीर विषय है।
रवीन्द्र सरोज
जिले के मॉडल तालाब और अमृत सरोवर के पास सबमर्सिबल पंप स्थापित कराने की जरूरत है। इससे तालाब में पानी की उपलब्धता भी बनी रहेगी और आस-पास के ग्रामीणों को पेयजल की सुविधा भी मिल जाएगी। इसकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को दी जाए।
नायब शर्मा
जिन तालाबों के आसपास से नहरें गुजरी हैं। उनमें पानी भराने के लिए ग्राम पंचायतों की निधि से नाली निर्माण कराने का निर्देश देना चाहिए। जिससे नहरों से तालाब को जोड़ा जा सके और जब नहरों में पानी छोड़ा जाए तो तालाब में भी पानी भरा जा सके।
बंटी
जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए मॉडल तालाबों में धूल उड़ रही है। इससे पशु पक्षियों सहित ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। तालाबों में पानी भरने में अधिक मशक्कत करने की जरूरत नहीं है। आसपास स्थित पम्पिंग सेट से पानी भराया जा सकता है।
पिंटू
जिले के सभी तालाबों में पानी भराने का निर्देश डीएम की ओर से पखवारे भर पहले दिया गया था लेकिन अब भी तालाबों में धूल उड़ रही है। जबकि गर्मी बढ़ने के कारण पशु पक्षी प्यास से व्याकुल दिखने लगे हैं। तालाबों में प्राथमिकता से पानी भराने की जरूरत है।
राजेन्द्र सिंह
बोले जिम्मेदार
ऐसे अमृत सरोवर जिनके पास सबमर्सिबल पंप स्थापित किए गए हैं, उनमें पानी भराने की शुरुआत कर दी गई है। शेष तालाबों में पानी भराने की व्यवस्था कराई जा रही है। तालाबों में पानी भरा रहे, इस व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है।
दयाराम यादव, डीडीओ
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