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क्‍लर्क के पद खाली नहीं, चतुर्थ श्रेणी का पद चाहिए नहीं; 789 मृत आश्रितों की नौकरी के मामले लटके

  • कई मामलों में निधन के पांच साल तक मृतक आश्रित की नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं करने के कारण चयन मुश्किल हो गया है। ऐसे परिजनों ने 5 साल बाद आवेदन किया जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, प्रयागराज। मुख्‍य संवाददाताWed, 9 Oct 2024 07:09 AM
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Jobs of deceased dependent: यूपी के 789 मृत शिक्षकों के आश्रितों की नौकरी का मामला लटका हुआ है। इन्‍हें अपने बारे में किसी फैसले का इंतजार है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में सेवा के दौरान इन शिक्षकों का निधन हो गया था। अधिकांश मामले इसलिए लंबित हैं क्योंकि विभाग में क्लर्क के पद खाली नहीं हैं और नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाले मृतक आश्रित चतुर्थ श्रेणी के पद पर काम करने को राजी नहीं हैं।

परिषद मुख्यालय की ओर से नियुक्ति के सभी प्रकरणों की सूचना शासन को भेज दी गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी का कहना है कि मृतक आश्रित प्रकरणों में नियुक्ति प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।

दो-तीन साल से खंड शिक्षा अधिकारी स्तर पर लंबित मामले

कई मामले खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) स्तर पर लंबित हैं। कंपोजिट विद्यालय शादीपुर टप्पल अलीगढ़ के प्रधानाध्यापक रहे अजय कुमार अत्री का निधन दो मई 2021 को हो गया था। उनके आश्रित मोहित अत्री की नियुक्ति का मामला बीईओ स्तर पर लंबित है।

पांच साल बीतने के कारण कई का चयन फंसा

कई मामलों में निधन के पांच साल तक मृतक आश्रित की नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं करने के कारण चयन मुश्किल हो गया है। ऐसे परिजनों ने पांच साल बाद आवेदन किया जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है।

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