अनुज कनौजिया दोनों हाथों से करता था फायरिंग, हत्या, लूट के 23 मुकदमे, मुख्तार के शूटर का ऐसा था आतंक
- मुख्तार अंसारी के शूटर अनुज कन्नौजिया को पुलिस एनकाउंटर ढेर कर दिया गया है। अनुज कनौजिया की विशेषता थी कि वह दोनों हाथों में पिस्टल लेकर एक साथ फायर कर सकता था।हत्या, लूट, रंगदारी और गैंगस्टर समेत 23 मुकदमे दर्ज थे।

जमशेदपुर (झारखंड) में मुठभेड़ में ढेर हुए मुख्तार अंसारी के शूटर अनुज कन्नौजिया की काल भी अजब संयोग है। अनुज की मौत उसके आका की बरसी के ठीक दूसरे दिन हुई है। बीते साल 28 मार्च में बांदा जेल में मुख्तार अंसारी की मौत हुई थी। अभी शुक्रवार को ही मुख्तार अंसारी की बरसी थी। मुठभेड़ में मारा गया अनुज कन्नौजिया, मुख्तार अंसारी गैंग का एक कुख्यात शूटर था। उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश के मऊ, आजमगढ़ और गाजीपुर जिलों में हत्या, लूट, रंगदारी और अन्य संगीन अपराधों के 23 से की दर्ज थे। मुख्तार अंसारी गिरोह अनुज कन्नौजिया का इस्तेमाल जमीन पर कब्जा कराने, सरकारी ठेकों में दखल के लिए करता था। अनुज कनौजिया की विशेषता थी कि वह दोनों हाथों में पिस्टल लेकर एक साथ फायर कर सकता था। इसी खूबी से वह जल्द गैंग का सक्रिय सदस्य बन गया।
गैंग चलाने की भी जंग
पूर्वांचल में सक्रिय रहे माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद गैंग को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आती रही हैं। नजदीकियों, गैंग में शामिल रहे शार्प शूटरों और परिवार के सदस्यों द्वारा गैंग संचालन की बात सामने आती रही है। स्पष्ट नहीं है कि इस समय उसका गैंग कौन संचालित कर रहा है। मुख्तार की मौत के बाद उसके गैंग की गतिविधियों पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू किया।
देवरिया के हैं घायल डिप्टी एसपी डीके शाही
यूपी एसटीएफ में डिप्टी एसपी धर्मेश कुमार शाही देवरिया जिले के नौतन गांव के रहने वाले हैं। उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर जाना जाता है। पुलिस सूत्रो के मुताबिक उन्होंने अब तक करीब 50 बदमाशों का एनकाउंटर किया है। 2004 में दो सिपाहियों की हत्या के आरोपी एक लाख के इनामी बदमाश सुलतान की गिरफ्तारी के बाद वह चर्चा में आए थे। सब इंस्पेक्टर से 2001 में गोंडा जिले से पुलिस की नौकरी शुरू करने वाले डीके शाही 2010 में इंस्पेक्टर और 2019 में डिप्टी एसपी बने। उन्हें वीरता पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
इनाम राशि बढ़ने के 24 घंटे में ढेर हुआ अनुज
मुख्तार अंसारी गैंग के फरार शार्प शूटर अनुज कन्नौजिया के ऊपर डीजीपी कार्यालय से इनाम की धनराशि ढाई गुना होने के 24 घंटे बाद एनकाउंटर में ढेर हो गया। 2020 में 50,000 का इनाम था, जिसे दो दिन पहले डीजीपी कार्यालय से ढाई लाख कर दिया गया। अनुज के पिता हनुमान कनौजिया सरकारी टीचर थे। अनुज तीन भाई विनोद, मनोज में छोटा था। 2006-07 की बात है। पट्टीदारों से झगड़े के बीच क्षत्रियों ने आकर मनोज को पीटकर फेंक गए। बदला लेने को अनुज ने आरोपियों में से एक का कत्ल कर जरायम की दुनिया में कदम रख दिए थे।