जिंदा बेटी का महाकुंभ में करेंगे पिंडदान, माता-पिता ने जूना अखाड़े को दान कर दी अपनी लाडली
- प्रयागराज महाकुंभ के भव्य आयोजन में करोड़ों भक्त शामिल होने वाले हैं। इसकी तैयारियां जोरशोर से जारी हैं। इसी बीच 13 वर्षीय बालिका राखी के संन्यास लेने और माता-पिता द्वारा उन्हें जूना अखाड़े को दान में दे देने की खबर आई है। आगरा का यह दंपत्ती 19 जनवरी को अपनी 13 साल की बेटी का पिंडदान करेगा।
Mahakumbh 2025 : यूपी के आगरा से महाकुंभ-2025 में आए एक परिवार ने अपनी 13 साल की लाडली बेटी राखी को जूना अखाड़े को दान कर दिया है। राखी अब साध्वी गौरी कहलाएंगी। 19 जनवरी को माता-पिता अपनी लाडली जिंदा बेटी का पिंडदान कर देंगे। इसके बाद राखी का परिवार से नाता पूरी तरह टूट जाएगा। वह पूरी तरह से साध्वी बन जाएंगी।
प्रयागराज महाकुंभ के भव्य आयोजन में करोड़ों भक्त शामिल होने वाले हैं। इसकी तैयारियां जोरशोर से जारी हैं। इसी बीच 13 वर्षीय बालिका राखी के संन्यास लेने और माता-पिता द्वारा उसके निर्णय को स्वीकार कर जूना अखाड़े को दान में बेटी दे देने की खबर आई। आगरा के इस दंपत्ती और उनके परिवार की खूब चर्चा हो रही है। 19 जनवरी को वे अपनी 13 साल की जिंदा बेटी का पिंडदान करेंगे। इसके बाद राखी पूरी तरह साध्वी बन जाएंगी।
बेटी को दान करने वाले संदीप सिंह पेठा व्यापारी हैं। वह आगरा के थाना बमरौली कटारा क्षेत्र के तर्रकपुर गांव के रहने वाले हैं। जबकि उनकी पत्नी रीमा गृहणी हैं। राखी के अलावा संदीप और रीमा की एक और बेटी है। राखी बड़ी हैं। वह 9 वीं की छात्रा हैं। राखी के साध्वी बनने के बारे में अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार यह परिवार पिछले करीब चार साल से गुरु की सेवा से जुड़ा था।
उनके मोहल्ले में कौशल गिरि ने भागवत कथा कराई थी। इसी से उनके मन में भक्ति भाव का उदय हुआ। संदीप और रीमा अपनी दोनों बेटियों के सााि 26 दिसम्बर को महाकुंभ मेला क्षेत्र में आए थे। वहां शिविर में राखी ने साध्वी बनने की इच्छा जाहिर की। बताया जा रहा है कि बेटी की इस इच्छा के सामने आने के बाद माता-पिता, दादा, नाना-नानी, मौसी, स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल सहित खुद श्रीमहंत कौशल गिरि ने भी उसे समझाने-बुझाने की कोशिश की लेकिन राखी की सोच को नहीं बदल सके। आखिरकार श्रीमहंत ने परंपराओं का पालन करते हुए उसे अखाड़े में शामिल कर लिया।
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संदीप और रीमा ने संगम की रेती पर अपनी 13 साल की बेटी राखी सिंह ढाके को जूना अखाड़े को दान कर दिया। राखी का शिविर प्रवेश हुआ और नामकरण किया गया। वह अब साध्वी गौरी कहलाएंगी। 19 जनवरी को उनका पिंडदान और अन्य सभी धार्मिक संस्कार संपन्न कराए जाएंगे। इसके बाद राखी गुरु के परिवार का हिस्सा हो जाएंगी। अपने मूल परिवार से उनका नाता हमेशा के लिए टूट जाएगा। राखी के बारे में बताया जा रहा है कि वह एक मेधावी छात्रा रही हैं। अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल आती रही हैं। पढ़ाई-लिखाई के साथ धार्मिक कामों में भी हमेशा से उनकी रुचि रही है।