बाघ का मूवमेंट तलाशने में जुटी वन विभाग की टीम, नहीं मिली लोकेशन
बाघ द्वारा ग्रामीण केदारी लाल को निवाला बनाने के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है। शासन ने बाघ को पकड़ने की अनुमति दी है और पिंजरे में पकड़ने की योजना बनाई गई है। लोग रात में बाहर नहीं निकल रहे हैं।...
बाघ द्वारा ग्रामीण को निवाला बनाने की घटना के बाद से क्षेत्रीय लोगों में दहशत है। हालांकि बाघ को पकड़ने के लिए शासन द्वारा अनुमति मिल चुकी है। पिंजरे में पकड़ने और ट्रैंकुलाइजस करने की रणनीति तैयार है पर रेसक्यू आसान नहीं होगा। गांव में लोगों को रात में बाहर न निकलने को कहा गया है। बुधवार को भी बाघ की लोकेशन ट्रेस करने का प्रयास करती रही लेकिन सफलता नहीं मिली। कलीनगर क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बाघ द्वारा कई लोगों की जान ली जा चुकी है। दो दिन पहले गांव बांसखेड़ा के रहने वाले केदारी लाल भी बाघ का शिकार हो गए थे। घटना के तीसरे दिन भी क्षेत्र में बाघ की दहशत का माहौल रहा। हालांकि बाघ को पकड़ने के लिए शासन से अनुमति मिलने के बाद से अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। टीमें लगाकर बाघ की निगरानी कराई जा रही है। बाघ को पकड़ने के लिए दो पिंजरा भी लगाए गए हैं। केदारी की मौत के गुनहगार बाघ को पकड़ने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है। बुधवार को भी वन विभाग की टीम बाघ का मूवमेंट तलाशने में जुटी रही। बताते हैं कि बारिश की बजह से उसके पगचिन्ह न मिलने से लोकेशन ट्रेस नहीं हो सकी। दिन में भी समूह बनाकर खेतों में जाने को कहा गया है। वहीं लोगों का कहना है कि इस वक्त खेतों में फसल की सिंचाई के लिए पंपिंग सेट रखे हैं। बाघ की दहशत के चलते लोग खेतों पर भी नहीं जा पा रहे हैं। इससे कृषि कार्य प्रभावित हैं। ग्रामीणों ने बाघ को जल्द पकड़ने की मांग की है। ताकि बाघ के खौफ से निजात मिले। डीएफओ मनीष सिंह ने बताया कि पिंजरा लगा कर और ट्रैंकुलाइज करने की दोनों युक्तियां अपनाई जा सकती है। पर पहले संबंधित बाघ की लोकेशन और उसको ट्रेस कर लें उसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी।
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