Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़पीलीभीतTeachers will get residential facility in council schools of India from Nepal border

नेपाल सीमा से भारत के परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों को मिलेगी आवासीय सुविधा

बॉर्डर एरिया डवलपमेंट प्रोग्राम (बीओडीपी) के अंतर्गत इंडो-नेपाल सीमाक्षेत्र के भारत के परिषदीय स्कूलों को पूरी तरह से अपडेट किया जा रहा है। ऐसा पहली...

Newswrap हिन्दुस्तान, पीलीभीतTue, 2 March 2021 03:24 AM
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पूरनपुर (पीलीभीत)। हिन्दुस्तान संवाद

बॉर्डर एरिया डवलपमेंट प्रोग्राम (बीओडीपी) के अंतर्गत इंडो-नेपाल सीमाक्षेत्र के भारत के परिषदीय स्कूलों को पूरी तरह से अपडेट किया जा रहा है। ऐसा पहली बार है कि जब शिक्षकों को स्कूल में ही आवास मिलेगा। इससे लंबी दूरी तय करके आने से निजात तो मिलेगी। साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होगी।

खास तौर पर ट्रांस शारदा क्षेत्र के 45 विद्यालयों को इसमें चिह्नित कर लिया गया है। बीएसए चंद्रकेश सिंह ने स्थलीय निरीक्षण कर ऐसा प्रस्ताव बना कर भेज दिया है। अब जिले में नेपाल सीमा से सटा भारतीय क्षेत्र गुरुजनों की दिक्कतें दूर होने से मुस्कुरा उठेगा। साथ ही पढ़ाई में आने वाली रुकावटें भी दूर हो जाएंगी।

पूरनपुर बीआरसी क्षेत्र के कई परिषदीय स्कूल नेपाल बार्डर से लगे हैं। यहां दुर्गम रास्ते और शारदा नदी का जब तब उफान मारना मुश्किल पैदा करता है। इससे शिक्षकों की स्कूल तक पहुंचने में लेट-लतीफी सीधे तौ पर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित करती है। वर्तमान में ट्रांस शारदा क्षेत्र में लगभग 48 स्कूल संचालित हो रहे हैं। स्कूलों में पहुंचने के लिए शिक्षकों को शारदा नदी पार करनी पड़ती है।

बीओडीपी के अंतर्गत आवास बनाने की तैयारी है। विद्यालयों को चिह्नित कर लिया है। यह आवास स्कूल परिसर या उसके आसपास बनेंगे। ताकि पढ़ाई और आवाजाही में दिक्कत न हो।

- चंद्रकेश सिंह, बीएसए

इंडो-नेपाल बार्डर से लगे इन गांव में हैं परिषदीय स्कूल

तहसील क्षेत्र के कई गांव नेपाल सीमा से लगे हैं। इनमें सिघाड़ा उर्फ टाटरगंज, टिल्ला नंबर चार, भगवानपुरी, बैल्हा, राघवपुरी, बाजारघाट, कंबोजनगर, खजुरिया, सुंदरनगर, बंदरबोझ, बूंदीभूड़, नौजल्हा नकटहा, महाराजपुर, गभिया सहराई, ढकिया ता. महाराजपुर, रमनगरा, मटैया लालपुर, पुरैना ता. महाराजपुर, सेल्हा, धुरिया पलिया, मझारा, सिमरा ता. महाराजपुर, मैनी गुलड़िया, फैजुल्लागंज सहित कई गांव अंतरराष्ट्रीय बार्डर से लगे हैं। इनमें परिषदीय स्कूल भी संचालित हो रहे हैं। यहां जंगल में बाघ और नदी का डर रहता है।

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