शिक्षा के सौदागरों पर 31 जुलाई के बाद होगी एफआईआर
बच्चों को पढ़ाने के नाम पर वर्षों से अपनी दुकान चला रहे शिक्षा के सौदागरों पर अब शासन से लेकर प्रशासन तक का डंडा चलने वाला है। शासन के निर्देश पर डीएम ने जिले में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के...
बच्चों को पढ़ाने के नाम पर वर्षों से अपनी दुकान चला रहे शिक्षा के सौदागरों पर अब शासन से लेकर प्रशासन तक का डंडा चलने वाला है। शासन के निर्देश पर डीएम ने जिले में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के संचालकों के खिलाफ 31 जुलाई के बाद एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश बीएसए को दिए हैं। 31 जुलाई तक इन स्कूल संचालकों को मानक पूरा कर मान्यता लेने का मौका दिया गया है।बेसिक शिक्षा विभाग की नाक के नीचे वर्षों से चल रहे गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का खेल अब खत्म होने की उम्मीद बंधी है। शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलावाड़ करने वाले इन अवैध स्कूलों के खिलाफ शासन ने कार्रवाई करने आदेश किए थे। इसके बाद से बेसिक शिक्षा विभाग इन स्कूलों की कुंडली खंगालने में जुटा। इस संबंध में बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों को उनके क्षेत्र में चल रहे ऐसे स्कूलों को चिन्हित कर सूचना देने का आदेश किया था। इस मामले में डीएम के तेवर तीखे होने पर विभाग ने जिले में बिना मान्यता के चल रहे कुल 258 स्कूलों को चिन्हित किया। चिन्हित इन स्कूलों की सूची विभाग ने डीएम को सौंप दी थी। इस बीच विभाग ने 17 जुलाई को इन स्कूलों को कार्रवाई के लिए नोटिस भी भेजे थे। गैर मान्यता के चल रहे स्कूलों के बारे में जानने के बाद डीएम ने कार्रवाई के आदेश के साथ फाइल विभाग को लौटाई है। इसमें उन स्कूलों को मान्यता लेने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया है जिन स्कूलों ने मानक पूरा करते हुए मान्यता के लिए आवेदन किया है। 31 जुलाई के बाद उन्होंने बीएसए को सभी स्कूल संचालकों के खिलाफ एफआईआर कराने के आदेश दिए हैं। डीएम के इस आदेश से विभाग के साथ ही खंड शिक्षा अधिकारियों की मेहरबानी से अब तक बिना मान्यता के अपनी शिक्षा की दुकान चला रहे स्कूल संचालकों की बेचैनी बढ़ गई है।कमाई का जरिया होते हैं गैर मान्यता के स्कूलजिले में वर्षों से बिना मान्यता के चल रहे सैकड़ों स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक में यह स्कूल धड़ल्ले से चलते हैं। ग्रीमीण क्षेत्रों में यह स्कूल कहीं छप्परपोश कमरों में चल रहे हैं तो कहीं छोटे से एक या दो कमरों में। स्कूल खोलने के सरकारी मानक यहां कोई मायने नहीं रखते हैं। ब्लाक क्षेत्रों में चल रहे इन स्कूलों की जानकारी खंड शिक्षा अधिकारियों के साथ ही विभाग के बड़े अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को भी रहती है। जांच के नाम पर इन स्कूलों में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी समय-समय पर पहुंचते हैं। स्कूल संचालकों को कड़ी चेतावनी देकर उनपर दबाव भी खूब बनाया जाता है। दबाव की रणनीति को यह स्कूल संचालक भलीभांति जानते हैं। दबाव की कीमत चुकाने के बाद यह स्कूल संचालक फिर से एक साल के लिए बेखौफ हो जाते हैं। जब कोई अधिकारी इन पर सख्ती बरता है तो उसे ही राजनीतिक दबाव के साथ ही कई अन्य तरह के दबाव का सामना करना पड़ जाता है। इससे ईमानदार अधिकारी भी इस ओर अपनी आंखें बंद किए रहते हैं।
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