गन्ने के खेत में ट्रैश मल्चिंग कराने से मिलेगी ज्यादा पैदावार
Pilibhit News - किसानों को गन्ने के साथ सह फसली खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ट्रैश मल्चिंग से गन्ने की पैदावार में वृद्धि, पर्यावरण प्रदूषण में कमी और मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार होगा। मार्च और अप्रैल का...

गन्ने के साथ सह फसली लेकर किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसके लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। किसान अपने गन्ने के खेत में ट्रैश मल्चिग करके अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इससे गन्ना किसानों की पैदावार बढ़ने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण पर भी रोक लगेगी। गन्ना के खेत में ट्रैश मल्चिग करने से होने वाले फायदे बताने के लिए टीमें गठित कर दी गई, जो किसानों को जानकारी देने का काम करेंगी। तराई क्षेत्र के जनपद में मुख्यत: गन्ने की फसल के साथ गेहूं, धान, सब्जी समेत अन्य फसलों की खेती की जा रही है। सह फसली खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। डीसीओ खुशीराम ने बताया कि अधिकतर किसान अपना गन्ना काटने के बाद पत्तियों को खेत में ही जला देते हैं। ऐसा करने से जमीन के लाभदायक जीवाणु मर जाते हैं और वायुमंडल भी प्रदूषित होता है। गन्ना किसानों को ऐसा करने से रोकने के लिए ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षकों की अध्यक्षता में जोनवार टीमों का गठन कर दिया गया है, जिसमें सहकारी गन्ना विकास समिति पीलीभीत, बीसलपुर, पूरनपुर और मझोला शामिल हैं। यह टीमें गन्ना पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को ट्रैश मल्चिंग के प्रयोग की जानकारी देने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि ट्रैश मल्चिंग से गन्ने की सूखी पत्तियों को दो पक्तियों के बीच आठ से दस सेंटीमीटर की मोटाई में बिछा देते हैं, जिससे खेत में नमी अधिक समय तक सुरक्षित रहती है। खेत में बार-बार सिंचाई करने की जरूरत नहीं होती है। इसके साथ ही खरपतवार नहीं जम पाते हैं। मल्चिंग के रूप में उपयोग होने वाली सूखी पत्तियां कुछ समय के बाद खाद में बदल जाती हैं। इन पत्तियों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। मल्चिंग विधि अपनाने से किसान की जमीन की भौतिक और जैविक दशा में भी सुधार होता है।
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मार्च और अप्रैल माह सबसे उपयुक्त
गन्ना के खेत में ट्रैश मल्चिंग कराने के लिए मार्च और अप्रैल का महीना सबसे उपयुक्त है। यह प्रक्रिया उन खेतों में ठीक से हो पाती है, जिसमें ट्रेंच विधि से 3-4 फीट की दूरी पर गन्ना बोया गया है। इस तरह से मल्चिग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और जल धारण क्षमता के साथ ही पैदावार में भी बढ़ोत्तरी होती है। यह खरपतवार के नियंत्रण और पानी की बचत में सहायक है। मई और जून के महीने में कम सिंचाई की जरूरत होती है। इसके लिए गन्ना किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
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ट्रैश मल्चिंग का लक्ष्य पूरा करने के निर्देश
वर्तमान वर्ष में 57939 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पेड़ी गन्ना है, जिसमें 53304 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल ट्रैश मल्चिंग का लक्ष्य दिया गया है। इसके अनुसार गन्ना विकास परिषद पीलीभीत 14400 हेक्टेयर, बीसलपुर परिषद को 14400 हेक्टेयर, पूरनपुर परिषद को 14350 हेक्टेयर, बरखेड़ा परिषद को 8000 हेक्टेयर, मझोला परिषद को 2160 हेक्टेयर ट्रैश मल्चिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गन्ना आयुक्त ने किसानों के बीच विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिए।
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