घरों से गायब हो रहे गुल्लक, बचत खाते में कम हो रही रकम; नए तरीके आजमा रहे युवा
- सिर्फ साल भर पहले बैंकों की कुल पूंजी का 58 फीसदी हिस्सा बचत खाते में था। ताजा आकड़े के मुताबिक यह रकम 52 के करीब पहुंच गई है। अब सोना-चांदी, म्यूचुअल फंड बचत या निवेश के नये तरीके हैं। युवा अब इन तरीकों को ज्यादा आजमा रहे हैं।
Saving Money: गुल्लक बचत का प्रतीक रहा है। वित्तीय संस्थाएं वजूद में आईं तो बैंक खाते गुल्लक का दूसरा रूप बने। लेकिन बदल रहे दौर में घरों से गुल्लक तो गायब हुए ही, बचत खाते में रकम भी कम हो रही है। साल भर पहले बैंकों की कुल पूंजी का 58 फीसदी हिस्सा बचत खाते में था, लेकिन ताजा आकड़े के मुताबिक यह रकम 52 के करीब पहुंच गई है। अब सोना-चांदी, म्यूचुअल फंड बचत या निवेश के नये तरीके हैं। युवा वर्ग अब इन तरीकों को ज्यादा आजमा रहा है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े के मुताबिक, गोरखपुर में फिक्स डिपाजिट, आरडी, किसान विकास पत्र आदि में कुल निवेश 1.25 लाख करोड़ रुपये है। एसबीआई के आंकड़े भी इसे सच बता रहे हैं। मसलन, गोरखपुर में एसबीआई की कुल पूंजी करीब 31 हजार करोड़ रुपये है। इसमें 22 हजार करोड़ रुपये बचत और करेंट एकाउंट में है। होमलोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन के चलन से बचत की आदत में बदलाव दिख रहा है। एसबीआई के डीजीएम कुमार आनंद बताते हैं कि बचत खाते में रकम कुछ कम हुई है तो वही एफडी व म्यूचुअल फंड में बढ़ोतरी हुई है। अब यूनो एप से ग्राहक खुद ही 7 दिन से लेकर 10 वर्ष के लिए एफडी कर ले रहे हैं।
म्यूचुअल फंड की तरफ आकर्षित हो रहे लोग
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया की वेबसाइट के आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि गोरखपुर में 17,300 निवेशकों ने म्यूचुअल फंड में 10,514 करोड़ रुपये निवेश किया है। पिछले वित्तीय वर्ष में म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों की संख्या 12,600 थी। यानी एक साल में करीब 5000 नये निवेशक एमएफ की तरफ बढ़े हैं।
क्या बोले एक्सपर्ट
वित्तीय सलाहकार विजय कुमार मित्तल ने कहा कि बचत खाते में रकम कम होने की वजह महंगाई के साथ ही लोगों के शौक या फिर जरूरतें हैं। अब 12 लाख की पैकेज वाला युवा 25 हजार की ईएमआई पर तत्काल फ्लैट ले रहा है। 20 साल में वह दो करोड़ के फ्लैट का मालिक होता है। वित्तीय सलाहकार कृष्णमूर्ति राय ने कहा कि युवा वर्ग बचत और निवेश का अंतर समझ रहा है। म्यूचुअल फंड में अभी भागीदारी सिर्फ 5 फीसदी तक ही है। जबकि बढ़ने वाले नये निवेशकों की संख्या अच्छी है। अब सोना-चांदी, रियल इस्टेट में निवेश हो रहा है।
वहीं डीडीयू के वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर अजेय कुमार गुप्ता ने कहा कि कभी विश्व में बचत का ट्रेंड भारत में सर्वाधिक था। लोगों के खर्च का बढ़ना देश की ग्रोथ स्टोरी को बता रहा है। वैश्विक मंदी के बीच भारत में मांग और आपूर्ति में बैलेंस बना हुआ है। विकास के लिए बचत का अधिक होना ठीक नहीं है। एसबीआई के डीजीएम कुमार आनंद ने कहा कि बचत में आंशिक कमी है लेकिन एफडी में बढ़ोतरी है। बैंक म्यूचुअल फंड से लेकर पीएफ एकाउंट आदि में ग्रोथ कर रहा है। स्मार्ट ग्राहक ऐप के जरिये ही शार्ट टर्म के लिए एफडी कर ले रहे हैं।