VIDEO: लखनऊ के KGMU में इलाज के लिए हाथ जोड़ता रहा मरीज, फिर भी नहीं मिला वेंटिलेटर, मौत
लखनऊ के केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी विभाग में संवेदनहीनता की हदें पार करती एक वीडियो वायरल हो रहा है। मरीज हाथ जोड़कर इलाज की गुहार लगा रहा लेकिन डॉक्टर नहीं पसीजे और उसकी मौत हो गई।
लखनऊ के केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी विभाग में संवेदनहीनता की हदें पार करती एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उखड़ती सांसों के बीच ऑक्सीजन मास्क लगाए मरीज डॉक्टरों से इलाज की गुहार लगा रहा है। तीमारदार भी मरीज की उखड़ती सांसों की दुहाई देते रहे। आरोप है कि इसके बाद भी डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा और वेंटिलेटर नहीं मिलने से उसकी सांसें थम गईं। इससे नाराज परिवारीजनों ने हंगामा किया। हालांकि, केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि हार्ट फेल होने के बाद मरीज को लाया गया था। उसको वेंटिलेटर की जरूरत थी पर खाली न होने से रेफर कर दिया गया। इस दौरान मरीज की मौत हो गई।
दुबग्गा के छंदोईया निवासी सैफ के मुताबिक पिता अबरार अहमद (55) का 2018 से ही लारी में इलाज चल रहा था। रविवार रात लगभग 12:30 बजे उन्हें सीने में तेज दर्द हुआ। वह खुद ही मोटरसाइकिल से छोटे भाई को लेकर लारी कार्डियोलॉजी विभाग पहुंचे। वहां सीने में तेज दर्द को कम करने के लिए डॉ. नीरज कुमार के कहने पर तीन से चार इंजेक्शन लगाए गए। आरोप है कि इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद ही उनकी नाक और मुंह से खून निकलने लगा।
इसके बाद खुद ही पिता ने डॉक्टर से हाथ जोड़कर अपनी जान बचाने की गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टरों को तरस नहीं आया। वहां मौजूद परिवारीजनों ने भी डॉक्टरों से उन्हें देखने का अनुरोध किया। डॉक्टरों से गुहार लगाते अबरार का मार्मिक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
ये ज्यादा शोर कर रहे हैं इन्हें नहीं देख जाएगा
बेटे सैफ का आरोप है कि डॉक्टरों ने कह दिया यह ज्यादा शोर कर रहे हैं, इनके मरीज को नहीं देखा जाएगा। उनकी सांसें थम गईं, तब डॉक्टरों ने उन्हें देखा और बताया कि मौत हो गई। यहां से लेकर जाओ। सैफ ने बताया कि वजीरगंज थाने में डॉ. नीरज कुमार के खिलाफ लिखित शिकायत कर कार्रवाई करने की मांग की है।
केजीएमयू प्रवक्ता ने कहा, हर संभव प्रयास किया गया
वहीं, केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह का कहना है कि मरीज को वर्ष 2018 में कोरोनरी आर्टरी डिजीज (दिल की बीमारी) की पुष्टि हुई थी। इस पर एंजियोप्लास्टी कराई थी। इसके बाद डॉक्टर ने समय-समय पर जांच के लिए बुलाया, लेकिन वह ओपीडी में फॉलोअप के लिए नहीं आए। तबीयत बिगड़ने पर गंभीर अवस्था में इमरजेंसी में लाया गया था, जहां डॉक्टरों ने तुरंत भर्ती कर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। जरूरी जांच कराई गई।
जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने जरूरी दवाएं दी थीं। ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। उनकी हालत गंभीर थी। हार्ट फेल था। सांस लेने में तकलीफ थी। डॉक्टरों ने वेंटिलेटर की जरूरत बताई। विभाग के सभी आईसीयू-वेंटिलेटर बेड फुल थे। इसलिए तुरंत पीजीआई व लोहिया संस्थान ले जाने की सलाह दी गई। इसके लिए केजीएमयू से एम्बुलेंस भी उपलब्ध कराई गई थी। सारे प्रयास के बावजूद दुर्भाग्य से मरीज को बचाया नहीं जा सका।