बिजली चोरी के मामले में नया कनेक्शन देने का आदेश खारिज, आयोग का फैसला
यूपी में बिजली चोरी के मामले में नया कनेक्शन देने का आदेश विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि बिजली चोरी के मामले में जब तक निर्धारित राजस्व जमा नहीं हो जाता, तब तक नया कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है।
बिजली चोरी के मामलों में फंसा होने पर भी चार किलोवाट तक के घरेलू व व्यवसायिक कनेक्शन को वसूली से पहले नया कनेक्शन दिए जाने के पावर कारपोरेशन के आदेश को विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया है। आयोग ने इसे विद्युत अधिनियम 2003 का उल्लंघन बताया है। आयोग द्वारा आदेश खारिज किए जाने के बाद अब पावर कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिस मामले में अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव आयोग में विचाराधीन था, उसमें आदेश कैसे जारी हो गया।
बीते दिनों पावर कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल ने प्रस्ताव पास किया था कि 4 किलोवाट तक के घरेलू व व्यवसायिक बिजली कनेक्शनों में बिजली चोरी के मामलों में राजस्व वसूली के पहले ही नया कनेक्शन दिया जा सकता है। निदेशक मंडल ने तय किया था कि बिजली चोरी के मामलों में एफआईआर दर्ज हो तो भी सादा कागज पर लिखित शपथपत्र ले लिया जाए कि भविष्य में जो भी निर्णय होगा वह संबंधित को मान्य होगा। उपभोक्ता परिषद ने इस आदेश पर सवाल उठाए थे। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इस आदेश को आयोग में चुनौती भी दी थी।
राजस्व जमा हुए बिना नहीं दे सकते नया कनेक्शन
इस आदेश को आयोग ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह विद्युत अधिनियम-2003 और विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन है। लिहाजा इस आदेश को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि बिजली चोरी के मामले में जब तक निर्धारित राजस्व जमा नहीं हो जाता, तब तक नया कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है। आदेश की प्रति पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक सहित निदेशक कमर्शियल को भी भेज दी गई है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह का आभार जताया।