बोले उरई: हम पर आफत बनकर टूटता है मानसून, इलाज भी नहीं मिलता
Orai News - उरई में रेलवे कर्मचारी जर्जर आवासों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से परेशान हैं। बारिश में छतों से पानी टपकता है और रेलवे अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों और दवाओं का अभाव है। कई कर्मचारियों के आवास के...
उरई। रेलवे की सेवा कर रहे उरई में कर्मचारियों की सुख सुविधाओं में विभाग कंजूसी कर रहा है। इनको मिले आवास जर्जर हैं, बारिश में छतों से पानी टपकता है और दीवारों के प्लास्टर गिरते रहते हैं। इसके अलावा बेहतर इलाज की भी सुविधा रेलवे अस्पताल से नहीं मिल रही है। अस्पताल में न तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं और न ही पर्याप्त दवाएं। ये हालत तब है जब अमृत भारत योजना के तहत उरई स्टेशन का कायाकल्प करीब पांच करोड़ रुपये से किया गया है। उरई रेलवे कॉलोनी में रह रहे कर्मचारी डर के साये में हैं। कारण उनके आवास जर्जर हो चुके हैं। कब प्लास्टर उखड़कर गिर पड़ेगा यह डर लगा रहता है। दीवारों में दरार आ चुकी है और बारिश में छतों से टपकते पानी की वजह से रात में सो भी नहीं पाते। इसके अलावा इलाज के लिए रेलवे का अस्पताल तो है पर वहां अच्छे डॉक्टर नहीं हैं और न ही सभी दवाएं वहां मिलती हैं। रेलवे कर्मचारी अरविंद कुमार ने बताया कि यहां हम लोग बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं हाल यह है कि आवासों से लेकर मेडिकल की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। कहने को वर्षों पुराना अस्पताल तो है। पर डाक्टरों और मेडिकल लैब का अभाव है। साथ ही रेलवे कॉलोनी जर्जर हालत में है पूरी कॉलोनी में झाड़ियां खड़ी हैं। रोजमर्रा की समस्याओं से परेशान रेलवे कर्मचारियों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपनी समस्याओं और सुझावों पर चर्चा की।
शहर के करमेर रोड स्थित राजेंद्र नगर मोहल्ले से रेलवे कॉलोनी सटी हुई है। वर्षों पुरानी कॉलोनी में कर्मचारियों, अधिकारियों के ग्रेड के हिसाब से टाइप वन, टू और थ्री के आवास बने हैं। रेलवे कर्मचारी केके त्रिपाठी ने बताया कि कॉलोनी में 100 आवास हैं। जबकि इंजीनियरिंग, टेलीकाम, सिग्नल, सीएंडब्लू, टीआरडी, कामर्शियल को मिलाकर छह सौ कर्मचारियों की तैनाती उरई व आसपास के परिक्षेत्र में है। कर्मचारियों के सापेक्ष आवास नहीं हैं। इससे कई कर्मचारियों को किराए के मकान में रहना पड़ता है। जबकि हर विभाग में आठ से दस कर्मचारियों के आवास के लिए रजिस्ट्रेशन पेंडिंग हैं। कर्मचारी रामशंकर यादव ने बताया कि रेलवे अस्पताल में सुविधाओं की कमी है। वहां पर जांच व इमरजेंसी सेवा की व्यवस्था नहीं है। कर्मियों को ब्लड, सुगर, एक्सरे आदि की जांच कराने को बाहर जाना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। इससे हर माह आठ से दस कर्मचारियों को गंभीर स्थिति होने पर रेफर किया जाता है। अभी कुछ दिनों पहले ही तबीयत बिगड़ने पर डिप्टी सीटीआई आरके शाक्य को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ा। आए दिन ऐसे केस आते रहते हैं। वहीं, कई कर्मचारियों के आवास के रजिस्ट्रेशन तीन साल से पेंडिंग हैं। रेलवे कॉलोनी में आवास कम होने से उनका नंबर नहीं आ पा रहा है। नीलेश कुमार, ने बताया कि कॉलोनी में नियमित साफ-सफाई नहीं होती हैै। पूरी कॉलोनी में झांड़ियां खड़ी हैं, साथ ही जगह-जगह कूड़ा पड़ा है। इसी तरह सुरेंद्र सिंह ने कहा कि कॉलोनी में रात में अंधेरा छाया रहता है। स्ट्रीट लाइंटें नहीं लगी हैं जो लगीं हैं वह बंद रहती हैं। इससे रात में आने-जाने में अपराधिक घटनाएं होने का डर रहता है। कॉलोनी के सभी चौक चौराहों पर रोशनी की व्यवस्था कराई जानी चाहिए। इसके अलावा आदित्य ने बताया, कॉलोनी में लीकेज की समस्या भी है।
आवासों के बाहर नहीं बाउंड्रीवाल, दिन भर घूमते मवेशी : दिनेश कुमार ने कहा कि रेलवे कॉलोनी में दिन भर मवेशियों की धमा चौकड़ी होती रहती है। चाहे आरपीएफ बैरक हो या फिर कॉलोनी की अन्य जगह, कहीं पर भी बाउंड्रीवाल नहीं है। कई बार तो रेलवे कर्मी अन्ना मवेशियों की चपेट में आकर चोटिल तक हो चुके हैं। सुमित कुमार ने कहा कि सफाई न होने से पूरी कॉलोनी में इस समय गंदगी फैली है, कॉलोनी के आसपास झांड़ियां खड़ी हो गई हैं, जिनकी कटाई भी नहीं कराई जा रही है। भरत ने बताया कि रेलवे कॉलोनी में सीवर चेंबर खुले पड़े हैं, ड्यूटी कर रात में जब आते हैं तो हादसे का डर बना रहता है। कई बार शिकायत की गई लेकिन इन खुले सीवर चेंबर को बंद नहीं कराया गया, साथ ही कॉलोनी में रोशनी के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं जो स्ट्रीट लाइटें लगी हैं वह बंद रहती हैं, जिससे पूरी कॉलोनी में अंधेरा छाया रहता है।
कॉलोनी में हर तरफ फैली गंदगी
रेलवे कर्मी संतोष कुमार ने कहा कि दो साल से रेलवे कॉलोनी में सफाई का टेंडर नहीं हुआ है। इससे सफाई व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। कॉलोनी में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। दिन भर इस कचरे में अन्ना जानवर मंडराते रहते हैं, इससे बीमारियों का खतरा सताता रहता है। कर्मचारियों ने बताया कि नियमित सफाई न होने की वजह से यह हाल है। रेलवे प्रशासन सब कुछ जानने के बाद भी अनजान बना हुआ है।
मनमाने भेजे जा रहे बिजली बिल
अरुण बाजपेई ने कहा कि एक साल से रेलवे कर्मचारी बिजली विभाग के मनमाने रवैये से परेशान हैं। कारण यह है कि कई कर्मियों के यहां हर माह हजार, डेढ़ हजार रुपये से ऊपर के बिल पहुंच रहे हैं, जबकि इतने की वह बिजली तक यूज नहीं करते हैं। कई बार विभाग से मीटर चेक कराने की बात कही, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। यही वजह है कि कर्मचारी मनमाना बिजली बिल अदा करने को मजबूर हो रहे हैं।
बोले रेल कर्मचारी
रेलवे कॉलोनी को जाने वाली रोड टूट गई है। कर्मचारियों के साथ अन्य लोगों को परेशानी होती है।
- केके त्रिपाठी
रेलवे अस्पताल खासी बुखार की दवा तक ही सीमित है। गंभीर रोगियों के इलाज की व्यवस्था नहीं है।
-रामशंकर
हमारे आवास के पीछे सीवर चेंबर खुले हैं। रात में यहां से निकलने में हमेशा हादसा होने का डर रहता है।
- भरत क्षत्रिय
नई कॉलोनी के आवास बदहाल हैं, बाथरुम की छतों से पानी टपकता है। कई बार कहा लेकिन मरम्मत नहीं कराई।
- नबी मुहम्मद
रेलवे कॉलोनी में झांड़ियां खड़ी हैं कई बार सांप निकल चुके हैं। बच्चों के बाहर खेलने नहीं जाने देते हैं।
- तिलक सिंह
कॉलोनी में नियमित सफाई नहीं होती है। इससे जगह जगह कूड़ा पसरा रहता है।
- नीलेश कुमार
चार से पांच साल हो गए हैं। रेलवे कॉलोनी की मरम्मत नहीं कराई गई, इससे घरों से प्लास्टर गिरने लगा है।
- अरविंद कुमार
कॉलोनी की बाउंड्री टूटी है। इससे रेलवे कर्मचारियों के साथ महिलाओं को परेशानी होती है।
- महताब
रेलवे अस्पताल में डॉक्टर हैं और न ही सुविधाएं। बीमार होने पर निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है।
- गिरजा शंकर
निजी अस्पतालों में इलाज कराने के बाद जब बिल लगाते हैं तो उन्हें पर्याप्त पैसा नहीं मिलता है। पैसा काट लेते हैं।
- प्रशांत कुमार
निजी अस्पताल से अनुबंध कराकर रेलवे कर्मचारियों को राहत दी जाए। गंभीर बीमारी पर भटकना न पड़े।
-ज्ञान बहादुर
कॉलोनी में जो आवास जर्जर हैं, उनकी मरम्मत कराकर कर्मचारियों को आवंटित करने चाहिए।
- रामनिवास मीना
सुझाव
1. नए आवासों का निर्माण कराकर कर्मचारियों को उपलब्ध कराए जाए।
2. टेंडर कराकर रेलवे कॉलोनी में सफाई कर्मियों की विधिवत तैनाती की जाए।
3. नालियों में जमा कीचड़ को साफ कराकर जलभराव की समस्या से राहत दी जाए।
4. रेलवे कॉलोनी में खड़ी झाड़ियों को कटवाया जाए।
5. रेलवे कालोनी में बाहरी लोगों की आवाजाही रोकने के लिए जगह जगह खुले प्रवेश द्वार बंद किए जाए।
6. रेलवे कॉलोनी में सीसीटीवी कैमरे लगाकर सुरक्षा बढ़ाई जाए।
7. रेलवे पार्क को दुरुस्त कराकर वहां पर खेलने की सुविधा प्रदान की जाए।
शिकायतें
1. रेलवे कॉलोनी का पार्क बदहाल हो गया है। घास और झाड़ियां उग आई हैं।
2. नई रेलवे कॉलोनी में सफाई के कोई इंतजाम नहीं है। इससे गंदगी पड़ी रहती है।
3. नई रेलवे कॉलोनी के कई आवासों में फर्श उखड़ने से लेकर कई कमियां हैं।
4. रेलवे अस्पताल की बाउंड्री टूटी होने से बाहरी लोगों की आवाजाही रहती है।
5. पर्याप्त आवास न होने से रेलवे कर्मचारी कॉलोनी से बाहर प्राइवेट तौर पर रहने को मजबूर हैं।
6. बारिश में कॉलोनी में जलभराव होता है।
7. रेलवे कॉलोनी में नियमित नहीं होती सफाई, जगह-जगह कूड़ा जमा रहता है।
बोले जिम्मेदार
कर्मचारी रेलवे की रुीढ़ हैं। उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। अब रही रेलवे कॉलोनी में मूलभूत सुविधाओं की बात तो अगर कहीं पर कोई कमी है तो उसे अफसरों से विचार विमर्श करने के बाद हल कराया जाएगा।
-मनोज कुमार सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, उ.म. रेलवे, झांसी मंडल झांसी
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