बोले उरई: फर्नीचर की लकड़ी, दुश्वारियों का आरा.. कट रहे हैं हम
Orai News - उरई के फर्नीचर कारोबारी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जैसे बाजार में जाम, लकड़ी की कमी और महंगा जीएसटी। पुलिस की जांच और बिजली की कटौती भी व्यापार को प्रभावित कर रही है। कारोबारियों का कहना है कि...
उरई। अपने हुनर से फर्नीचर बनाने वाले उरई के कारोबारी और कारीगर कई समस्याओं से घिरे हैं। बाजार में लगने वाले जाम और गंदगी से तो यह वर्ग परेशान है ही साथ ही व्यवसाय में आ रही परेशानियां भी इन्हें कमजोर कर रही हैं। कभी फर्नीचर के लिए आसानी से शीशम और चीड़ की लकड़ी नहीं मिलती तो कभी फर्नीचर लाने वाले वाहनों को नो इंट्री के नाम पर घंटों रोक दिया जाता है। रही-सही कसर बिजली की महंगी दरें पूरी कर रही हैं। पुलिस और अन्य विभाग आए दिन परेशान करते हैं। यहां इनकी समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। घरों की खूबसूरती में चार चांद लगाना हमारा काम है। बैठने-सोने से लेकर जरूरी सामान तक हम बनाते हैं, पर हमारी दिक्कतें देखने वाला कोई नहीं है। कई बार आवाज उठाई पर इन्हें दूर करने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। क्या करें, हमारा कोई खुद का संगठन तो है नहीं जो हमारी आवाज को बुलंद करे। यह समस्या किसी एक फर्नीचर कारोबारी की नहीं है। इससे यहां का हर करोबारी प्रभावित है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से यह दर्द बयां किया फर्नीचर कारोबारी हाफिज मुहम्मद अहमद ने। उन्होंने बताया कि अफसरों की अनदेखी का खामियाजा फर्नीचर कारोबारी भुगत रहे हैं। फर्नीचर बाजार में रोज हजारों ग्राहकों का आना जाना होता है, यहां न तो पार्किंग है और न ही सामुदायिक शौचालय। पीने के पानी के लिए भी भटकना पड़ता है। ऐसे में व्यापारियों के साथ कई जगह से काम करने आए कारीगरों को असुविधा होती है। ऐसा नहीं है कि अफसरों को समस्याओं के बारे में पता नहीं है, बावजूद इसके स्थितियां ठीक नहीं हो रही हैं।
शहर में फर्नीचर का प्रमुख गढ़ जिला परिषद, घंटाघर, माहिल तालाब, आंबेडकर चौराहा, जालौन रोड, झांसी बाईपास, कोंच रोड हैं। फर्नीचर दुकानदार हाफिज मुहम्मद अहमद ने बताया कि फर्नीचर बाजार में बड़ी संख्या में ग्राहकों का आना-जाना रहता है, पर पार्किंग की व्यवस्था न होने से दिन भर जाम लगा रहता है। इससे ग्राहक भी रास्ते से लौट जाते हैं। इससे दुकानदारी पर असर पर पड़ रहा है। इतना ही नहीं, फर्नीचर बाजार में एक भी शौचालय तक नहीं है। कारीगरों के साथ कारोबारियों को असुविधा होती है। पीने के पानी के लिए दूर-दूर तक सरकारी हैंडपंप नहीं है। जिला परिषद रोड पर दुकान किए बलवीर ने बताया फर्नीचर कारोबार से जुड़े कई साल हो गए, लेकिन रोशनी के इंतजाम न होने से हम रात में काम नहीं कर पाते हैं। कई बार फर्नीचर बाजार में स्ट्रीट लाइट लगाने की मांग की गई लेकिन किसी ने नहीं सुनी। साथ ही बिजली की कटौती से मशीनें न चलन से काम बाधित होता है। कारीगरों के लिए विश्वकर्मा योजना जरूर चल रही है, पर ट्रेनिंग के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है, इससे कला में पारंगत कारीगरों को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है। यामीन अंसारी का कहना है कि दुकान के पास एक शौचालय है, जिसमे ताला लटका रहता है। इससे कर्मचारियों के साथ ग्राहकों को असुविधा होती है। नियमित रूप से शौचालय खुलवाने के लिए कई बार कहा गया पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
आसानी से नहीं मिल रही लकड़ी: शहर में उरई के अलावा औरैया, बरेली और सहारनपुर से लकड़ी आती है। कारोबारियों की मानें तो जब सहालग का समय होता है तो ग्राहक डिमांड के अनुसार बेड और अन्य सामान बनवाते हैं, ग्राहकों को समय पर फर्नीचर तैयार कर के देना होता है। ऐसे में लकड़ी आसानी से नहीं मिल पाती है। कई बार तो जरूरत के समय लकड़ी के रेट बढ़ा दिए गए। ऐसे में मजबूरन औरैया से लकड़ी लानी पड़ती है, कई ग्राहक शीशम और चीड़ की लकड़ी से फर्नीचर तैयार कराते हैं ऐसे में शीशम व चीड़ की लकड़ी आसानी से नहीं मिल पाती है।
बोले कारोबारी
कई साल से फर्नीचर का काम कर रहे हैं, पर किसी भी विभाग ने जागरूकता कैंप लगाकर योजनाओं के बारे में बताने का प्रयास नहीं किया है। इससे फर्नीचर कारीगर आगे नहीं बढ पा रहे हैं।
- हाफिज मुहम्मद अहमद
फर्नीचर के क्षेत्र में जीएसटी ने कमर तोड़ रखी है। 18 फीसदी टैक्स दे कर काम करने को मजबूर हैं। इससे जो भी इस कारोबार से जुड़े हुए हैं, सभी की हालत खराब है। अगर जीएसटी में थोड़ी छूट मिल जाए तो सहूलियत हो।- बलवीर सिंह जादौन
फर्नीचर के काम में पहले से गिरावट आई है। ऊपर से आएदिन पुलिस की परेशानी सिरदर्द बनती है। कई बार चेकिंग के दौरान माल पकड़ा गया है। कागजात होने के बाद भी माल से लदी गाड़ी को छोड़ने में तमाम चक्कर काटने पड़े।
-यामीन अंसारी
फर्नीचर का काम करते करते बुजुर्ग हो गए हैं। सरकारी सुविधाएं न मिलने से अब कारोबार आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इसलिए बाजार में कैंप लगाकर योजनाओं की जानकारी दी जाए। इससे कारोबार आगे बढ़े।
- जाकिर
फर्नीचर कारीगर सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति से गुजर रहे हैं। सहालग में ही थोड़ा बहुत काम धंधा चल पता है। अन्य दिनों में तो स्थिति यह हो जाती है कि रोज ढाई से तीन सौ रुपये तक की ही कमाई हो पाती है, उसमें भी कर्मचारी को भी पैसे देने पड़ते हैं।
- मनोज कुमार
फर्नीचर कारोबार में कई आ गए हैं, इन युवाओं में हुनर की कोई कमी नहीं है। पर अफसरों की अनदेखी का खामियाजा भुगत रहे है। अगर युवा कारीगरों को विधिवत ट्रेनिंग दी जाए तो इन युवाओं के कारोबार को पंख लग जाएं, साथ फर्नीचर बाजार में समय-समय पर कैंप लगाया जाए।
- अभिषेक
योजनाओं से तो वंचित ही हैं, मजदूरी भी तय नहीं है। इससे घर के खर्च के अलावा बच्चों की पढ़ाई लिखाई में भी दक्कित आती है। अच्छी मजदूरी के साथ सुख-सुविधाएं मिलने लगे तो समस्या दूर हो जाए।
- सलमान खां
काम करने की उम्र है। सोचा था सरकार के स्वरोजगार से जुड़ कर अलग से काम करेंगे, इससे दो पैसे बचेंगे और आगे भी अवसर मिलेंगे। जब उद्योग व डूडा विभाग में सहयोग के लिए गए तो वहां पर कोई तवज्जो नहीं मिली।
- सलमान
फर्नीचर कारीगरों की प्रतिभा का दमन हो रहा है। अगर विभाग चाहे तो योजनाओं से लाभाविंत कर कला को निखार सकते हैं, पर अफसरों की उदासीनता से फर्नीचर कारोबार से जुड़े कारीगरों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
-इब्राहीम
एक तरह से दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहे हैं, चार से पांच साल हो गए है पर श्रम विभाग ने उनकी कोई सुध नहीं ली, जब श्रमिक कार्ड बनाने की विभाग को फुर्सत नहीं है तो फिर योजनाएं कौन बताने आए।
- अजय
सुझाव
1. हर माह फर्नीचर कारीगरों को विधिवत ट्रेनिंग देकर बारीकियों से अवगत कराया जाए।
2. योजनाओं का लाभ देने के लिए उद्योग, ग्रामोघोग और डूडा विभाग कैंप लगाए।
3. अतक्रिमण अभियान से फर्नीचर कारोबारियों को दूर रखा जाए।
4. फर्नीचर के कच्चे माल को रियायती दरों पर उपलब्ध कराया जाए।
5. फर्नीचर कारोबारियों पर जीएसटी में छूट प्रदान की जाए।
6. ऑनलाइन विक्रेताओं से प्रतिस्पर्धा करने के लिए जिले व कस्बे के दुकानदारों को सहूलियतें दी जाएं।
7. स्टार्टअप के तहत ब्याज मुक्त ऋण मिले। इस पर अनुदान अलग से दिया जाए।
शिकायतें
1. बिजली की कटौती से आएि दन फर्नीचर से जुड़े काम प्रभावित होते हैं।
2. फर्नीचर पर जीएसटी ज्यादा होने से तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
3. फर्नीचर कारीगरों को कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई। इससे काम की बारीकियों से वंचित है।
4. दो-तीन साल से 15 से 20 फीसदी बढ़ी हुई दरों पर कच्चा माल मिल रहा है। इससे न के बराबर मुनाफा होता है।
5. अतिक्रमण के नाम पर आएदिन फर्नीचर कारोबारियों को परेशान किया जाता है।
6. शीशम, चीड़ की लकड़ी आसानी से नहीं मिल रही है।
7. बाजारों में जाम की समस्या गंभीर है। फर्नीचर लादकर वाहन नहीं पहुंच पाते हैं।
बोले जिम्मेदार
फर्नीचर बाजार में पार्किंग की समस्या को दूर कराने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। बोर्ड बैठक में मेन बाजारों में गर्मी से निपटने के लिए पेयजल व्यवस्था के लिए सहमति बनाई जाएगी, इसके साथ ही फर्नीचर बाजार में जहां पर भी कूड़ा जमा रहता है उसको प्राथमिकता के आधार पर साफ कराया जाएगा। साथ ही फर्नीचर व्यापारियों से मिलकर समस्याएं सुनी जाएंगी।
-रामअचल कुरील, ईओ, नपा उरई
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