बोले उरई: पंख जख्मी हैं मगर परवाज का मौका तो दो...
Orai News - उरई में दिव्यांगों को सम्मानित नाम मिलने के बावजूद, सरकारी दफ्तरों में उन्हें सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ता है। पेंशन, राशन कार्ड और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में बाधाएं आ रही हैं।...
उरई। विकलांगों को नई पहचान देकर उन्हें दिव्यांग का सम्मानजनक नाम दिया गया लेकिन सिस्टम अब भी उन्हें उसी पुरानी नजरों से ही देख रहा है। हालात ऐसे हैं कि दिव्यांग अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं और सिस्टम उन्हें सुविधाओं से ‘विकलांग बनाए हुए है यानी उन्हें मिलने वाली पेंशन, राशन कार्ड और आयुष्मान कार्ड तक के लिए परेशान कर रहा है। दिव्यांगों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपनी समस्याएं साझा कीं। उन्होंने बताया कि पेंशन, आवास समेत तमाम चीजों के लिए साहबों की चौखट नापनी पड़ रही है। आखिर कब तक हमे अपने अधिकारों के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी। दिव्यांग सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए जूझ रहे हैं। तमाम अभी ऐसे हैं, जिन्हें अब तक किसी भी योजना का लाभ नहीं मिला है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान अजय सिंह ने कहा कि महंगाई के इस दौर में पेंशन की धनराशि पांच हजार किए जाने की जरूरत है। जो एक हजार मिलती है उसमें भी ईकेवाईसी से लेकर तमाम झंझट होने से कई लोगों की पेंशन अटकी है। कई दिव्यांगों को तो छह माह से पेंशन नहीं मिली है। हालांकि ईकेवाईसी कराने के बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिला। हमारे पंख जरूर जख्मी हैं लेकिन परवाज का मौका मिला तो हम भी अपनी काबिलियत दिखाने से पीछे नहीं हटेंगे।
प्रहलाद सिंह ने बताया कि आयुष्मान कार्ड का लाभ, अंत्योदय कार्ड, नि:शुल्क शिक्षा, रोजगार, आवास आदि के लाभ भी उनसे दूर हैं। दिव्यांगों का कहना है कि दिव्यांगता की दहलीज में खड़े होने के कारण जैसे-तैसे अपना खर्च चला रहे हैं। इस बीच बच्चों की शिक्षा भी जरूरी है। इसलिए दिव्यांग माता-पिता के बच्चों की शिक्षा नि:शुल्क होनी चाहिए। अनिल कुमार कहते हैं कि रोडवेज में यात्रा के दौरान दिव्यांगों को परेशान किया जाता है। समय से उपकरण भी नहीं मिल पाते जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अरुण कुमार यादव ने कहा कि पेंशनरों के भरण पोषण के लिए सरकार रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही पेंशन की धनराशि पांच हजार करे और दिव्यांगों को मुफ्त में बिजली प्रदान करने के साथ ही सांसद निधि से स्कूटी एवं सरकारी अस्पतालों एवं अन्य कार्यालय में कैंटीन लगाने के आदेश पारित करे, जिससे वह आसानी से अपना भरण पोषण कर सकें। लक्ष्मी नारायण और राजू ने कहा कि दिव्यांगों को जिला पंचायत एवं नगर पालिका की ओर से आवंटित की जाने वाली दुकानों में प्राथमिकता दी जाए, जिससे वह अपना जीविकोपार्जन कर सकें। राशन कार्ड बनाने के साथ अन्य सरकारी योजनाओं में भी दिव्यांगों को प्राथमिकता प्रदान की जाए और जिलेभर में अभियान चला कर दिव्यांगों का चयन किया जाए, जिससे दिव्यांगों की सही संख्या सामने आ सके, और हमे योजनाओं का लाभ मिल सके। सरकारी कार्यालयों में भी उनके लिए रैंप की सुविधा की जाए।
रोडवेज में पास होने के बाद भी किया जाता परेशान: दिव्यांग कमल प्रताप ने बताया कि जब कोई दिव्यांग रोडवेज से सफर करता है और परिचालक को वह अपना पास दिखाता है तो परिचालक टेढ़ी निगाह से देखते हैं जबकि शासन और प्रशासन ने उनको यह सुविधा दे रखी है पर रोडवेज विभाग उनसे अभद्रता तक कर देता है, इस पर सख्ती से नियम बनाने चाहिएं।
बोले- दिव्यांग
दिव्यांगता के कारण गृहस्थी का बोझ उठाना कठिन है। सरकार बच्चों की फीस माफ करे, जिससे पढ़ाई बाधित न हो।
- अजय सिंह
दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। इसलिए कैंप लगाकर प्रमाण पत्र बनाए जाएं।
- अनिल कुमार
अस्सी प्रतिशत दिव्यांगों को आवागमन के लिए मुफ्त में स्कूटी प्रदान की जाए। समय से उपकरण मुहैया कराए जाएं।
- ज्ञानेंद्र
विभाग से रोजगार के लिए शासन द्वारा बिना ब्याज के धनराशि की व्यवस्था की जाए जिससे कुछ परेशानी कम हो।
- अभिषेक
शहर में बनाई गई कॉलोनियों में दिव्यांगों को आवास आवंटित किए जाएं जिससे किराए का भार खत्म हो।
- राकेश
सभी दिव्यांगों के अंत्योदय कार्ड नहीं बने हैं। इससे पर्याप्त राशन नहीं मिल पाता। अनिवार्य रूप से अंत्योदय कार्ड बनाए जाएं।
- विवेक
सरकारी विभागों में रिक्त बैकलॉग के पदों पर दिव्यांगों की भर्ती की जाएं। रोजगार के अभाव में स्थिति खराब है।
- लक्ष्मी नारायण
जिले के तमाम विभागों में रैंप की सुविधा नहीं है। ऐसे में उनको दोमंजिला कार्यालयों तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
- संतोष
दिव्यांगों को पेंशन के लिए आय सीमा से लेकर किसी प्रकार की कोई शर्त न रखी जाए, जिससे हमारा जीवन आसान हो सके।
- जगदीश
ई-केवाईसी या आधार प्रमाणीकरण के नाम पर कई लोगों की पेंशन रुकी है। बार बार कार्यालय तक आना पड़ता है।
- वीर सिंह
विभाग से मिली वैशाखी और अन्य उपकरण खराब हो गए हैं फिर से प्राप्त करने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- करण सिंह
दिव्यांगों के प्रमाण पत्र कम से कम 40 प्रतिशत दिव्यांगता के बनाए जाएं। इससे कम होने पर योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
- प्रहलाद
सुझाव
1. नगर पालिका एवं जिला पंचायत की दुकान आवंटन में मिले प्राथमिकता।
2. सांसद निधि से दिव्यांगों को मुफ्त में स्कूटी दी जाए। सरकारी कार्यालयो में रैंप बनाई जाए।
3. अभियान चलाकर जिले के दिव्यांगों को चयनित किया जाए। इसके बाद सूची सार्वजनिक की जाए।
4. ई-ट्राई साइकिल की मरम्मत के लिए तहसील स्तर पर सर्विस सेंटर खुलने चाहिए।
5. दिव्यांगों की समस्याओं के समाधान के लिए सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित किया जाए।
6. अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले दिव्यांगों को सम्मानित किया जाए।
6. राशन कार्ड सहित अन्य सरकारी योजनाओं में लाभ के लिए दिव्यांगों का वरीयता दी जाए।
शिकायतें
1. दिव्यांगों के राशन और अंत्योदय कार्ड बनाने में अधिकारी रुचि नहीं लेते हैं।
2. तिपहिया गाड़ी के नियम इतने जटिल हैं कि पात्र योजनाओं के फेर में फंसकर रह जाते हैं।
3. दिव्यांगों को रोजगार से जोड़ने के लिए जिला स्तर पर व्यवसायिक प्रशिक्षण नहीं मिलता है।
4. अधिकारियों से मिलने में दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। महीनों चक्कर-घंटो इंतजार करना पड़ता है।
5. रोडवेज बसों में पास होने के बाद भी दिव्यांगों को परेशान किया जाता है ।
6. आवास, राशन, पेंशन आदि लाभ में सिर्फ कागजी दावे हैं पर जमीनी स्तर पर लाभ नहीं मिल रहा है।
6. अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधि भी दिव्यांगों से आसानी से नहीं मिलते हैं।
बोले जिम्मेदार
जल्द उपकरण वितरित किए जाएंगे
दिव्यांगों की समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। जिन लोगों ने ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूर्ण नहीं की है उनसे शीघ्र ही प्रक्रिया पूर्ण कराने को कहा गया है। चयनित दिव्यांगों को उपकरण दिए जाएंगे।
- प्रवीण कुमार सिंह, दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी
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