हर 4 में से एक को हाइपरटेंशन का खतरा, एनएचएफएस की रिपोर्ट यूपी के लिए चिंताजनक
- यूपी में हर 4 में से एक को हाइपरटेंशन का खतरा है। एनएचएफएस की रिपोर्ट हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए बेहद चिंताजनक रही है। प्रदेश में हुई मौतों में हाइपरटेंशन भी एक बड़ा कारण रहा है।
हाइपरटेंशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर यूपी सरकार को भी चिंता में डाल दिया है। एम्स में इलाज के लिए आने वाले प्रत्येक चार व्यक्तियों में से एक को हाइपरटेंशन का खतरा है। इनमें कई ऐसे मरीज हैं, जिन्हें यह पता भी नहीं है कि उन्हें यह गंभीर बीमारी है। एम्स ने ऐसे मरीजों पर काम करना शुरू कर दिया है। ऐसे मरीजों और तीमारदारों की पूरी हिस्ट्री रखी जा रही है, जिससे कि समय रहते इसे नियंत्रित किया जा सके।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट भी हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए बेहद चिंताजनक रही है। प्रदेश में हुई मौतों में हाइपरटेंशन भी एक बड़ा कारण रहा है। इसे मरीज और उनके तीमारदार भी समझ नहीं पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों को कभी ब्रेन स्ट्रोक तो कभी हार्टअटैक का खतरा हो जा रहा है। एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ. यू वेंकटेश ने बताया कि हाइपरटेंशन और ब्लड प्रेशर में बड़ा अंतर है, लेकिन लोग इसे समझ नहीं पाते हैं। आम तौर पर युवाओं के लिए सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 मिमी एचजी होता है, लेकिन अगर ब्लड प्रेशर 140/90 मिमी एचजी या इससे ज्यादा है तो इसे हाइपरटेंशन माना जाता है। एम्स में आने वाले सभी मरीजों और उनके तीमारदारों का ब्लड प्रेशर जरूर नपवाया जा रहा है। इसमें हर चार में से एक व्यक्ति में हाइपरटेंशन की शिकायत मिलती है, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे मरीजों का पूरा डाटा इकट्ठा कर इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा ऐसे मरीजों की पूरी हिस्ट्री ली जा रही है। कारण, जरा भी लापरवाही से ऐसे मरीजों को कई तरह की शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अगर ब्लडप्रेशर जरा भी बढ़ी तो हाइपरटेंशन होना तय है। इसके बाद शरीर के कौन से अंग पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा, यह पहले से बता पाना मुश्किल है।
दो नंबरों से मिलकर बना है ब्लड प्रेशर
डॉ. यू वेंकटेशन ने बताया कि ब्लड प्रेशर दो नंबरों से मिलकर बना होता है, जिन्हें सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर, हृदय की धड़कन पर पड़ने वाले दबाव को मापता है, जबकि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर दो धड़कनों के बीच पड़ने वाले दबाव को मापता है। अगर दोनों संतुलित हैं तो ठीक है। अगर जरा भी घटते-बढ़ते हैं तो कई तरह की शारीरिक दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। ऐसे में हाइपरटेंशन को नजरअंदाज करना बिल्कुल ठीक नहीं है।
मिलकर करेंगे शोध
आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च), डब्ल्यूएचओ और एम्स तीनों मिलकर इस बीमारी को रोकेंगे। इसके लिए ऐसे मरीजों और परिवारों का डाटा लिया जा रहा है। पता किया जा रहा है कि पहले से परिवार में किसी को बीपी, हाइपरटेंशन और शुगर तो नहीं है। अगर रहा है तो परिवार में उसका असर किन लोगों पर हुआ है। ऐसे मरीजों की हिस्ट्री पता करने के बाद उन पर शोध किया जाएगा, जिससे कि हाइपरटेंशन के कारणों का सही पता लगाया जा सके और समय रहते ऐसे मरीजों का इलाज हो सके।