इस्लामिक जिहाद के लिए कई राज्यों में फैला धर्मांतरण का नेटवर्क, ‘संख्या को बढ़ाने का उद्देश्य’
इस्लामिक जिहाद के लिए कई राज्योंं उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, दिल्ली, हरियाणा एवं महाराष्ट्र तक धर्मांतरण का नेटवर्क फैला है। एटीएस की वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी नागेंद्र गोस्वामी मौजूद थे। उन्होंने अदालत को बताया कि आरोपियों के कृत्य बहुत ही गंभीर एवं राष्ट्र विरोधी है।
लखनऊ में सुरक्षा के मद्देनजर सभी 16 दोष सिद्ध अभियुक्तों को विशेष वाहन से अदालत लाया गया। इसके पहले अदालत के चारों ओर पुलिस एवं पीएससी के जवान मुस्तैद थे। किसी भी अप्रिय घटना एवं सुरक्षा के कारणों को देखते हुए बाहरी लोगों का अदालत अंदर सुनवाई के दौरान प्रवेश रोक दिया गया। सुनवाई के दौरान कहा गया कि इस्लामिक जिहाद को लेकर धर्मांतरण करने का नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैल चुका है। वर्ग विशेष की संख्या बढ़ाने का उदेश्य है।
आरोपियों को सजा के प्रश्न पर सुनने के दौरान अभियोजन की ओर से एटीएस की वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी नागेंद्र गोस्वामी मौजूद थे। उन्होंने अदालत को बताया कि आरोपियों के कृत्य बहुत ही गंभीर एवं राष्ट्र विरोधी है, अगर इसे इस्लामिक जिहाद कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी। यह भी कहा गया कि आरोपी बड़े पैमाने पर इस्लामिक राष्ट्र स्थापित करने के लिए धर्मांतरण कर रहे थे। जिससे कि उनके वर्ग विशेष की संख्या को बढ़ाया जा सके तथा वह अपने उद्देश्य में सफल हो जाए। गोस्वामी ने बताया कि इस्लामिक जिहाद को लेकर धर्मांतरण करने का नेटवर्क उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, दिल्ली, हरियाणा एवं महाराष्ट्र के अलावा देश के कई राज्यों में फैल चुका है।
सजा सुनाते वक्त दोषियों के चेहरे थे भावशून्य मोहम्मद उमर गौतम सहित सभी 16 दोष सिद्ध अभियुक्त अदालत के कटघरे में खड़े थे। अदालत ने जब उन्हें उम्र कैद एवं 10 साल की सजा के साथ-साथ भारी जुर्माने की सजा सुनाना शुरू किया तब उनके चेहरों पर किसी भी प्रकार का भाव नहीं था। सभी आरोपी जड़ शून्य होकर सिर झुकाए खड़े रहे।
किस धारा में जबरन धर्मांतरण के दोषियों को कितनी सजा सुनाई गई
● 121 ए आईपीसी में आजीवन कारावास एवं 10 हजार रुपए जुर्माना
● 123 आईपीसी में 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं 50 हजार रुपए जुर्माना
● 153 ए आईपीसी में 3 वर्ष के कारावास,10 हजार जुर्माना,
● 153 बी आईपीसी मे 3 वर्ष के कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए जुर्माना
● 295 आईपीसी में 3 वर्ष के कठोर कारावास एवं 10 हजार जुर्माना
● 298 आईपीसी में 1 वर्ष का साधारण कारावास
● 120 बी आईपीसी में 3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए जुर्माना
● 471 आईपीसी में 1 वर्ष का साधारण कारावास
● 5 उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन( प्रतिषेध) अधिनियम 2021 में 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 50 हजार जुर्माना
● 8 उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन (प्रतिषेध) अधिनियम 2021 के अंतर्गत 3 वर्ष के कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपए जुर्माना
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