बोले मुजफ्फरनगर : कभी तो मिलेगी नारकीय जीवन से मुक्ति
Muzaffar-nagar News - बोले मुजफ्फरनगर : कभी तो मिलेगी नारकीय जीवन से मुक्ति
ऊंचे-नीचे रास्ते, न सड़कें, न नाले-नालियां, न बिजली के खंभे, न पथ-प्रकाश व्यवस्था, न पेयजल और पानी निकासी न होने के कारण जगह-जगह हर समय रहने वाला जलभराव। यह हकीकत है रुड़की रोड स्थित वार्ड-15 की। यहां 60 हजार की बड़ी आबादी निवास करती है। इस क्षेत्र को नगरपालिका में शामिल हुए डेढ़ साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन यहां के हालात आज भी पूरी तरह से नारकीय ही हैं।
रुड़की रोड से सटा होने के बावजूद हालात पूरी तरह बदतर
शहर के बीच स्थित वार्ड-15 रुड़की रोड से एकदम सटा हुआ है। यह पूरा क्षेत्र पहले ग्राम पंचायत शाहबुद्दीनपुर में शामिल था। करीब दो साल पूर्व यह क्षेत्र सीमा विस्तार के बाद नगरपालिका के वार्ड-15 के रूप में अस्तित्व में आया था, जहां से चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुनीता ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद डेढ़ साल से अधिक समय बीतने के बावजूद इस क्षेत्र के हालात पूरी तरह से नारकीय ही हैं। वार्ड-15 में सिप्त कॉलोनी, एकता विहार, उत्तरी रामपुरी और जाकिर कॉलोनी समाहित हैं, जहां मूलभूत सुविधाएं न के बराबर हैं। महिला सभासद के पति प्रमोद बताते हैं कि वार्ड में करीब 60 हजार की बड़ी आबादी निवास करती है, जिसमें से 12 हजार से अधिक मतदाता हैं। इसके बावजूद पूरे क्षेत्र के हालात पूरी तरह से नारकीय हैं। यहां कच्चे रास्ते पूरी तरह से ऊबड-खाबड़ हैं, जो कहीं-कहीं तो 10-12 फीट तक ऊंचे-नीचे हैं। वार्ड में न तो नालियां हैं और न ही पानी निकासी के लिए नाले। इसके चलते घरों से निकलने वाला गंदा पानी क्षेत्र में ही खाली प्लॉटों में इकट्ठा होकर जलभराव के रूप में रहता है, जिसमें गर्मी के मौसम में मक्खी-मच्छर पनपते हैं। बारिश के दौरान तो यहां से निकलना पूरी तरह असंभव हो जाता है, जिससे लोग घरों में ही कैद होकर रह जाते हैं। पूरे क्षेत्र में बिजली के खंभे न होने से घरों में बिजली करीब आधा किलोमीटर की दूरी से केबल डालकर लाई जाती है। पूरे क्षेत्र में 11 हजार व 33 हजार वोल्ट के बिजली के तार जहां-तहां से होकर घरों की छत से होकर गुजरते हैं, जिनसे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। खंभे न होने से क्षेत्र में पथ-प्रकाश व्यवस्था भी नहीं है। क्षेत्र में एकमात्र एकता विहार और उत्तरी रामपुरी में ही कुछ पक्की सड़कें हैं, जिन्हें छोड़कर सभी बस्तियां कच्चे रास्ते वाली हैं। इसके अलावा, इस पूरे क्षेत्र में एकमात्र पानी की टंकी एकता विहार कॉलोनी में है, लेकिन वहां भी पाइप लाइन न होने के कारण घरों तक पेयजल सप्लाई नहीं होती है। पेयजल का एकमात्र साधन हैंडपंप हैं, जिनसे पानी भरकर घरों तक ले जाना पड़ता है।
सफाईकर्मी 17, ड्यूटी पर आते हैं मात्र छह
मुजफ्फरनगर। शहर के बीच स्थित वार्ड-15 में नगरपालिका द्वारा 17 सफाई कर्मचारी नियुक्त किए हुए हैं। महिला सभासद सुनीता का कहना है कि उनका वार्ड काफी अधिक बड़ा है, जिसमें करीब 60 हजार की आबादी निवास करती है। इसके चलते उनके वार्ड में पालिका द्वारा 17 सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, लेकिन वार्ड में नियमित रूप से सफाई करने के लिए महज छह सफाई कर्मचारी ही आते हैं। इसके चलते मलिन बस्तियों का वार्ड होने के बावजूद उनके क्षेत्र में आवश्यक साफ-सफाई नहीं हो पाती और चारों ओर गंदगी का ही साम्राज्य नजर आता है। इस संबंध में चेयरपर्सन से कई बार शिकायत की गई, लेकिन इसके बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
एक समान सड़क बनी तो जमीन में दफन हो जाएंगे सैकड़ों मकान
मुजफ्फरनगर। मूलभूत सुविधाओं के बिना शहर के बीच लोगों की नारकीय जीवनशैली देखनी हो तो वार्ड-15 का दौरा जरूर करना चाहिए। यहां मूलभूत सुविधाएं तो छोड़ ही दीजिए, घरों से गंदा पानी निकालने के लिए भी मोटर का इस्तेमाल करना पड़ता है। दरअसल, इस क्षेत्र में कच्चे रास्ते काफी ऊंचे-नीचे हैं, जिस कारण घरों के निर्माण में भी असमानताएं हैं। एक घर रास्ते से चार फीट ऊंचाई पर बना है तो उसके पास का ही दूसरा मकान दस फीट ऊंचाई पर स्थित है। इस असमानता के चलते घरों से गंदा पानी निकालना भी चुनौती भरा है, जिसके लिए लोगों को मोटर का इस्तेमाल करना पड़ता है। महिला सभासद सुनीता का कहना है कि वार्ड के रास्ते ऊंचे-नीचे होने के कारण यदि क्षेत्र में एक समान स्तर पर सड़क बनवाई जाए तो सैकड़ों मकान जमीन में दफन हो सकते हैं, जिन्हें तोड़कर उनका दोबारा नए सिरे से ही निर्माण करना पड़ेगा।
शिकायतें और सुझाव
शिकायतें
- शहर के बीच होने के बावजूद वार्ड-15 की मलिन बस्तियों में किसी भी तरह की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
- बस्तियों के रास्ते काफी ऊंचे-नीचे हैं, जिससे मकानों के निर्माण में भी असमानताएं हैं और एक समान सड़क निर्माण संभव नहीं है।
- पेयजल सप्लाई के लिए केवल एक टंकी है, लेकिन पाइप लाइन न होने के कारण आज भी पेयजल के लिए हैंडपंप ही एकमात्र साधन है।
- सफाई कर्मचारी नियमित रूप से नहीं आते हैं, जिस कारण बस्तियों में चारों ओर गंदगी और जलभराव की स्थिति हर समय रहती है।
- बरसात के समय बस्तियों में भारी जलभराव रहता है, जिससे घरों से बाहर निकलना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- हाई वोल्टेल बिजली की लाइनें घरों के ऊपर से गुजर रही हैं, जिससे हर समय हादसा होने का खतरा बना रहता है।
सुझाव
- नगरपालिका द्वारा सुनियोजित तरीके से मलिन बस्तियों का विकास कराकर लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए।
- क्षेत्र के लोगों से बात करते हुए सड़कों का निर्माण कराया जाना चाहिए, जो मकान अधिक नीचे हो, वहां बेसमेंट की सुविधा देनी चाहिए।
- पेयजल सप्लाई के लिए पानी की टंकियों के साथ ही क्षेत्र में पाइप लाइन डलवाकर घरों तक आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।
- वार्ड में सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उनसे नियमित ड्यूटी कराकर सफाई व्यवस्था सुचारू करानी चाहिए।
- पानी निकासी के लिए मलिन बस्तियों में आवश्यकता के अनुसार नालों का निर्माण कराकर जलभराव की दिक्कत दूर की जानी चाहिए।
- बिजली विभाग से बात कर घरों के ऊपर से जा ही हाई वोल्टेज लाइन को हटाकर अन्य स्थान पर ले जाना चाहिए।
इन्होंने कहा
- वार्ड-15 में महिला सभासद से वार्ता कर क्षेत्र की समस्याओं के बारे में जानकारी ली जाएगी। इसके बाद एजेंडा बनाकर बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित करते हुए सुनियोजित तरीके से क्षेत्र का विकास कराया जाएगा।
मीनाक्षी स्वरूप, चेयरपर्सन, नगर पालिका
- नगर पालिका प्रशासन द्वारा उनके वार्ड में विकास को लेकर उदासीन रवैया बरता जाता है। अन्य वार्डों की भांति उनके वार्ड में विकास के लिए पर्याप्त बजट भी नहीं दिया जाता है।
सुनीता, सभासद, वार्ड-15
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- क्षेत्र में सड़कों की मुख्य समस्या है। नाले-नालियां न होने के कारण गंदा पानी सड़क के बीच से गुजरता है, जिससे आने-जाने में परेशानी होती है।
ओमकार सिंह
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- गंदे पानी की निकासी के लिए क्षेत्र में नाले-नालियां नहीं हैं, जिससे गंदा पानी खाली प्लॉटों में भरा रहता है। इससे गंदगी पसरी रहती है।
मदन पाल सिंह
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- हाई वोल्टेज लाइन के तार घरों के ऊपर से और केबल दीवारों से सटकर जा रहे हैं, जिससे हादसा होने का खतरा मंडराता रहता है।
किरण पाल सिंह
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- मलिन बस्ती होने के कारण यहां की समस्याओं को लेकर नगर पालिका गंभीर नहीं है, जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
राकेश
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- क्षेत्र में गंदे पानी का जलभराव क्षेत्र की प्रमुख समस्या है। बरसात के समय जलभराव के कारण घरों से बाहर तक नहीं निकल पाते हैं।
गगन
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- मकान निर्माण को लेकर काफी असमानताएं हैं, जिससे गंदा पानी बाहर निकालने के लिए भी मोटर का सहारा लिया जाता है।
विजय कुमार
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- क्षेत्र में पेयजल सप्लाई की समस्या काफी गंभीर है। टंकी न होने के कारण दूर स्थित हैंडपंप से पानी लाना पड़ता है।
अखिलेश कुमार
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- क्षेत्र में मलिन बस्तियां होने के कारण मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। इसके चलते काफी कठिनाइयों में जीवन-यापन करना पड़ रहा है।
विनय कुमार
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- मोहल्ले में घरों के बाहर गंदे पानी का जमावड़ा रहता है। बारिश में तो भारी जलभराव से बाहर निकलना तक मुश्किल हो जाता है।
सतीश कौशिक
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- सफाई कर्मचारी समय से नहीं आते हैं, जिसके चलते क्षेत्र की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है।
बबीता देवी
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- क्षेत्र में बिजली के खंभे नहीं हैं, जिससे स्ट्रीट लाइटें भी नहीं हैं। इसके चलते रात्रि में रास्तों पर काफी अंधकार रहता है।
रीना देवी
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- सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है। सफाई कर्मचारी नियमित रूप से नहीं आते हैं, जिससे चारों ओर गंदगी का आलम रहता है।
राखी
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- पेयजल सप्लाई न होने के कारण गर्मी के मौसम में पेयजल को लेकर काफी दिक्कत होती है। हैंडपंप से पानी खींचकर लाना पड़ता है।
कमला देवी
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