बोले मुजफ्फरनगर : शिक्षा के साथ व्यवस्थाओं में सुधार की दरकार
Muzaffar-nagar News - बोले मुजफ्फरनगर : शिक्षा के साथ व्यवस्थाओं में सुधार की दरकार
जनपद में वर्तमान में एक दर्जन से अधिक डिग्री कॉलेजों में करीब 37 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिन्हें शिक्षा के साथ ही व्यवस्थाओं में भी सुधार की दरकार है। इन छात्र-छात्राओं को यूनिवर्सिटी के ऑनलाइन सिस्टम की धीमी रफ्तार के चलते फॉर्म भरने से लेकर परीक्षा परिणाम पाने तक घंटों इंतजार करना पड़ता है और कई बार तो सिस्टम की खामियों का खामियाजा लेट फीस तक भुगतकर उठाना पड़ता है। परीक्षा परिणाम में एडमिट कार्ड नहीं आने, किसी भी विषय में बैक आने के साथ ही परीक्षा में अनुपस्थित दर्शाए जाने तक की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। छात्र-छात्राओं ने मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय के कुलपति से इन समस्याओं का कॉलेज स्तर से ही समाधान कराए जाने की मांग की है।
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सिस्टम की धीमी रफ्तार से मिले निजात तो प्रतिभाएं भरें उड़ान
मुजफ्फरनगर। जनपद के सभी डिग्री कॉलेज पूर्व में मेरठ स्थित चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध थे, जो वर्ष 2021 में जनपद सहारनपुर के पुंवारका में मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय की स्थापना होने के बाद वहां से अटैच कर दिए गए थे। मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय की स्थापना को करीब चार साल होने के बावजूद अभी प्रशासनिक व्यवस्थाएं पूरी तरह पटरी पर नहीं आ पाई हैं, जिनका खामियाजा जिले के डिग्री कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। पूर्व छात्र नेता अमन जैन ने बताया कि छात्र-छात्राओं की सबसे बड़ी समस्या यूनिवर्सिटी की अधिकृत वेबसाइट की बेहद धीमी रफ्तार है। इसका खामियाजा उन्हें फॉर्म व परीक्षा परिणाम पाने से लेकर अन्य सभी छिटपुट समस्याओं में भुगतना पड़ता है। दरअसल, जब एग्जाम फॉर्म भरने का नंबर आता है तो वेबसाइट ओपन ही नहीं हो पाती और होती भी है तो हैंग हो जाती है, जिससे छात्र-छात्राओं को कई-कई घंटे और कई बार पूरे-पूरे दिन तक इंतजार करना पड़ जाता है। इसके बाद फॉर्म किसी तरह भर भी जाता है तो फीस जमा करने की रसीद ऑनलाइन शो नहीं करती। इसी जद्दोजहद में यदि अंतिम तारीख निकल जाती है तो फिर लेट फीस भी भुगतनी पड़ जाती है। यह जद्दोजहद यहीं खत्म नहीं होती, कई बार फॉर्म भरने के बावजूद एडमिट कार्ड जारी नहीं हो पाते तो ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जब पूरी परीक्षा देने के बावजूद छात्र-छात्राओं को परीक्षा से अनुपस्थित ही दर्शा दिया जाता है। इसके अलावा, विवि द्वारा परीक्षा परिणाम के साथ ही अंक तालिकाएं भी समय से जारी नहीं किए जाते और कई बार किसी भी विषय में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की बैक दे दी जाती है। इसके बाद छात्र-छात्राओं के पास समस्याओं के समाधान के लिए बार बार विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं, जिससे समय और पैसा दोनों बर्बाद होते हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी समस्याएं ऐसी हैं, जिनका सामना हर वर्ष छात्र-छात्राओं को करना ही पड़ता है, जिसके बाद स्थानीय कॉलेज भी कई बार इनका समाधान कराने से हाथ खड़े कर देते हैं। वे स्वयं भी इन समस्याओं को लेकर कुछ समय पूर्व विश्वविद्यालय की कुलपति से मिल चुके हैं, जिन्होंने इन समस्याओं के जल्द समाधान का भी आश्वासन दिया, लेकिन धरातल पर अब तक इनके समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। ऐसे में यदि इस तरह की समस्याओं का समय से ही समाधान छात्र-छात्राओं के स्थानीय कॉलेजों से ही हो जाए तो उनका पूरा ध्यान केवल पढ़ाई पर रहे, जिससे वे अपने कॅरियर में उड़ान भर सकेंगे।
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--- शिकायतें और सुझाव ---
शिकायतें ---
- विश्वविद्यालय की अधिकृत वेबसाइट काफी धीमी है, जो फॉर्म भरते समय काफी स्लो या हैंग हो जाती है, जिससे काफी परेशानी होती है।
- धीमी वेबसाइट के बावजूद फॉर्म न भरने की स्थिति में इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को लेट फीस के रूप में भुगतना पड़ता है।
- विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा परिणाम समय से घोषित नहीं किए जाते, या किसी विषय में बैक दे दी जाती है, जिससे परेशानी उठानी पड़ती है।
- कई बार फीस जमा करने के बावजूद इसकी रसीद ऑनलाइन शो नहीं करती, जिससे विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं।
सुझाव ---
- मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय की वेबसाइट समय से और तेज चले, इसके लिए समुचित कदम प्रबंधन को उठाने चाहिए।
- विवि की वेबसाइट हैंग होने या स्लो होने के चलते फॉर्म न भर पाने वाले छात्र-छात्राओं से लेट फीस न ली जाए।
- विवि द्वारा परीक्षाओं के परिणाम समय से घोषित किए जाने चाहिए और बैक आने पर एग्जामिनेशन शुल्क में राहत दी जानी चाहिए।
- फीस जमा किए जाने पर इसकी रसीद तत्काल ऑनलाइन शो करने के साथ ही छात्र-छात्राओं के मोबाइल पर भेजी जानी चाहिए।
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इन्होंने कहा ----
- एग्जामिनेशन फॉर्म की शुरुआत तिथि में बच्चे अपना फॉर्म नहीं भरते है। अंतिम तिथि आने पर सभी एक साथ फार्म भरने की कोशिश करते हैं, जिससे ओवरलोड के कारण वेबसाइट प्रभावित होती है। छात्रों की समस्या का समाधान कराने के लिए कॉलेज प्रशासन हमेशा प्रयासरत रहता है।
डॉ गरिमा जैन, प्राचार्य डीएवी डिग्री कॉलेज
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- प्रत्येक सत्र में विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय से जुड़ी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विश्वविद्यालय को समय से परीक्षा परिणाम जारी करके मूल अंकतालिका वितरण को समय से पूर्ण करना चाहिए।
अमन जैन
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- ऑनलाइन वेबसाइट में रुकावट के चलते एग्जाम फॉर्म भरने में छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिस कारण साइबर कैफे के चक्कर लगाने पड़ते है।
आयुष
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- एडमिट कार्ड समय से जारी नहीं होने के कारण परीक्षा में काफी दिक्कतें आती है। यूनिवर्सिटी को एडमिट कार्ड समय से जारी करने चाहिए।
निकुंज यादव
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- कई बार पेपर देने के बावजूद भी छात्रों की अनुपस्थिति दर्ज कर दी जाती है। एग्जाम के समय ऑनलाइट उपस्थिति दर्ज कराई जानी चाहिए।
अब्दुला
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- कई बार प्रश्न पत्र में पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न आने के कारण बच्चों की अधिकतर बैक आ जाती है। पेपर जारी करने से पहले पूर्ण जांच की जानी बहुत जरूरी है।
रजत शर्मा
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- मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय स्तर से छात्रों की मूल अंक तालिकाएं समय से उपलब्ध नहीं कराई जाती है। मूल अंक तालिकाएं समय से उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
राजा
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- छात्रों के हित में मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय को एग्जामिनेशन शुल्क में छूट देनी चाहिए, जिससे हर वर्ग के छात्र छात्राओं को राहत मिल सके।
अतुल कुमार
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- छात्र-छात्राओं की समस्याओं का जल्द समाधान हो इसके लिए यूनिवर्सिटी को प्रत्येक डिग्री कॉलेज में हेल्पलाइन सेंटर खोलने चाहिए। जिससे छात्रों की समस्याओं का समय से समाधान हो सके।
रौनक कसाना
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- एमसीक्यू पैटर्न को हर विषय पर लागू नहीं किया जाना चाहिए। कुछ विषय में लेखन शैली का महत्व होने के कारण लिखित परीक्षा कराई जानी चाहिए।
विशु कुमार
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- मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय को छात्रों के हित में एग्जामिनेशन शुल्क में छूट देनी चाहिए, जिससे हर वर्ग के छात्र-छात्राओं को राहत मिल सके और शिक्षा प्राप्त हो सके।
माहेनूर
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- मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय स्तर से छात्रों की मूल अंक तालिकाएं समय से उपलब्ध नहीं कराई जानी चाहिए। मूल अंक तालिकाएं समय से उपलब्ध न होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
प्रिंसी शर्मा
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- मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय शहर से अधिक दूर होने के कारण परेशानी होती है। समस्याओं को लेकर कई बार यूनिवर्सिटी के चक्कर लगाने पड़ते है।
रीतू
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- पेपर देने के बावजूद भी कई बार छात्र-छात्राओं की अनुपस्थिति दर्ज कर दी जाती है। समस्या के समाधान के लिए परीक्षा केंद्रों पर ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराई जानी चाहिए।
मनतशा
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- विश्वविद्यालय शहर से अधिक दूर होने के कारण आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। छात्रों की सुविधा के लिए यूनिवर्सिटी को हर जिले में हेल्पलाइन सेंटर खोलने चाहिए।
युविका
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- स्कॉलरशिप फॉर्म भरने के बाद भी धनराशि खाते में नहीं आ पाती है। जिस कारण आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते कुछ छात्रों की बीच में ही पढ़ाई छूट जाती है।
आयान
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