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बोले मुजफ्फरनगर.. पुलिस-होमगार्ड की तरह मिले सम्मान

Muzaffar-nagar News - बोले मुजफ्फरनगर.. पुलिस-होमगार्ड की तरह मिले सम्मान

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फर नगरWed, 19 Feb 2025 08:29 PM
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बोले मुजफ्फरनगर.. पुलिस-होमगार्ड की तरह मिले सम्मान

कानून व्यवस्था के पालन में पुलिस विभाग के सिपाहियों व होमगार्ड के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समान ड्यूटी करने के बावजूद पीआरडी जवान बदहाल है। जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल के अधीन जनपद में पीआरडी जवानों के 471 पद स्वीकृत हैं। बावजूद पीआरडी जवानों की नियमित ड्यूटी नहीं लगाई जाती और प्रतिमाह 110 जवानों को रोटेशन के नाम पर लगातार अवकाश पर रखा जाता है। यदि इन्हें नियमित ड्यूटी का लाभ मिले तो न केवल इनकी समस्याओं का निराकरण हो सकता है, अपितु पुलिस विभाग में भी अतिरिक्त जवान उपलब्ध होने से कानून व्यवस्था चाक-चौबंद भी होगी। पुलिस विभाग संग कंधे से कंधा मिलाकर करते हैं काम

मुजफ्फरनगर। विकास भवन स्थित जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल पीआरडी जवानों को नियुक्त करने के साथ उनकी ड्यूटी लगाने व मानदेय प्रदान करने का काम करता है। विभाग के अधीन जनपद में पीआरडी जवानों के 471 पद स्वीकृत हैं, जिन्हें वर्तमान में 395 रुपये प्रतिदिन ड्यूटी के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। पीआरडी जवानों की अधिकांश ड्यूटी पुलिस थाने, ट्रैफिक सिग्नल व चौराहों के साथ ही अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में लगाई जाती है। पीआरडी के समान ही आठ घंटे ड्यूटी करने वाले होमगार्ड जवानों को 918 रुपये प्रतिदिन मानदेय प्रदान किया जाता है, जबकि होमगार्ड के सापेक्ष पीआरडी जवानों को आधे से भी कम मानदेय मिलता है। इसके बावजूद ड्यूटी लगाने में इनके साथ भेदभाव बरता जाता है।

जिलेभर में 471 जवानों में से सिर्फ 360 की लगाई जाती है ड्यूटी

पीआरडी जवान रविंद्र सिंह का कहना है कि विभाग द्वारा हर माह 471 में से सिर्फ360 जवानों की ही ड्यूटी लगाई जाती है। बाकी 111 जवानों को रोटेशन का हवाला देकर लगातार अवकाश पर ही रहने को मजबूर किया जाता है। पहले थानों में 11-11 पीआरडी जवानों की ड्यूटी लगाई जाती थी, लेकिन अब मात्र नौ-नौ जवानों को ही थानों में ड्यूटी दी जाती है। इसके अलावा, बिजली विभाग ऑफिस, मंडी समिति व कस्तूरबा आवासीय विद्यालयों में भी दो-दो पीआरडी जवानों की ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन वहां उनके साथ मानदेय जारी करने में भेदभाव होता है। इन संस्थानों में कई बार तो दो से तीन माह तक मानदेय रोक लिया जाता है। इसके अलावा, पीआरडी जवानों की ड्यूटी ब्लॉक क्षेत्र में भी लगाई जाती है, लेकिन मुख्यालय से ब्लॉक तक आने-जाने के लिए किसी तरह का खर्च या भत्ता नहीं दिया जाता। इस संबंध में कई बार आला अफसरों से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

ड्यूटी से लेकर मुआवजे तक में भेदभाव

मुजफ्फरनगर। होमगार्डों के समकक्ष आठ घंटे की ड्यूटी और आधे से भी कम मानदेय पाने वाले पीआरडी जवान कदम-कदम पर विभागीय भेदभाव का शिकार होते हैं। पीआरडी जवान राज सिंह व राशिद ने बताया कि आधे से कम वेतन और समान ड्यूटी देने वाले होमगार्ड जवान की आकस्मिक या हादसे में मौत होने की स्थिति में उनके परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाता है, जबकि पीआरडी जवान के परिवार को महज 20 हजार रुपये की धनराशि ही बतौर मुआवजा दिया जाता है। होमगार्ड जवानों को जहां साल भर लगातार ड्यूटी दी जाती है, वहीं पीआरडी जवानों को रोटेशन के नाम पर लगातार अवकाश पर ही रहना पड़ता है। इसके अलावा, होमगार्ड जवान को साल में एक बार तीन हजार रुपये वर्दी भत्ता भी मिलता है, जबकि पीआरडी जवानों को वर्दी का खर्च भी खुद ही वहन करना पड़ता है। जवानों का कहना है कि यदि उन्हें भी होमगार्ड जवानों की भांति नियमित ड्यूटी और वर्दी भत्ते के साथ ही अन्य लाभ प्रदान किए जाएं तो विभागीय समस्याओं का प्रभावी समाधान हो सकता है।

शिकायतें और सुझाव

शिकायतें

- होमगार्ड व पीआरडी जवान एक समान आठ-आठ घंटे की समान ड्यूटी करते हैं, लेकिन मानदेय आधे से भी कम मिलता है।

- पीआरडी जवानों को रोटेशन के नाम पर नियमित ड्यूटी नहीं दी जाती, हर समय सौ से अधिक जवान अवकाश पर रहते हैं।

- होमगार्ड को प्रति वर्ष तीन हजार रूपये वर्दी भत्ता प्रदान किया जाता है, जबकि पीआरडी को इससे वंचित रखा गया है।

- ब्लॉक में ड्यूटी लगने पर जिला मुख्यालय से ड्यूटी स्थल पर आने-जाने के लिए कोई भत्ता या खर्च नहीं दिया जाता है।

- आकस्मिक या हादसे में मौत होने पर होमगार्ड के परिजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा मिलता है, जबकि पीआरडी के परिजनों को मात्र 20 हजार रुपये ही प्रदान किए जाते हैं।

सुझाव

- पीआरडी जवानों को भी होमगार्ड के ही समकक्ष ड्यूटी देने पर उनके समान मानदेन का भुगतान किया जाना चाहिए।

- रोटेशन प्रक्रिया के स्थान पर जरूरत के हिसाब से सभी पीआरडी जवानों को नियमित ड्यूटी दी जाना अनिवार्य हो।

- होमगार्ड की ही भांति पीआरडी जवानों को भी प्रतिवर्ष वर्दी बनाने के लिए भत्ता प्रदान करने की सुविधा हो।

- जिला मुख्यालय से इतर ड्यूटी लगने पर पीआरडी जवानों को ड्यूटी स्थल पर आने-जाने का खर्च अलग से मिले।

- आकस्मिक या हादसे में मौत होने की स्थिति में पीआरडी जवान के परिवार को भी होमगार्ड के परिवार की तर्ज पर ही एक समान मुआवजा धनराशि आवंटित की जानी चाहिए।

इन्होंने कहा

- पीआरडी जवानों की हर संभव मदद विभाग द्वारा की जाती है। रोटेशन के अनुसार जवानों की ड्यूटी लगाने में लखनऊ विभाग के दिशा-निर्देशों का ही पूरी तरह से पालन किया जाता है। इसके साथ ही जवानों का मानदेय भी ड्यूटी के हिसाब से प्रतिमाह समय से ही कर दिया जाता है। इसके अलावा, जो भी समस्या है उनका भी आपस में वार्ता कर तुरंत समाधान कराया जाता है।

विशाल कुमार, जिला युवा कल्याण अधिकारी एवं पीआरडी कमांडेंट

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- पीआरडी जवानों के लिए भी होमगार्ड के समान ड्यूटी और समान वेतनमान लागू होना चाहिए। समय से ड्यूटी न मिल पाने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

रविन्द्र कुमार

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- पीआरडी जवानों को अन्य कर्मचारियों की तरह ही दुर्घटना बीमा मिलना चाहिए। ड्यूटी भी नियमित रूप से न मिल पाने के कारण काफी परेशानी होती है।

राज सिंह

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- समय से ड्यूटी न मिल पाने के कारण महीनों तक घर ही रहना पड़ता हैं। परिवार की जरूरतें पूरी करने में भी काफी परेशानी होती है।

समुद्र पाल

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- पीआरडी जवानों की ड्यूटी भी अन्य ब्लॉकों के क्षेत्रों में लगाई जाती हैं। ड्यूटी स्थल पर आने-जाने के लिए भी पैसा नहीं मिलता है।

राशिद चौधरी

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- पीआरडी विभाग को युवा कल्याण विभाग से अलग किया जाना चाहिए। पीआरडी के लिए अलग से कार्यालय और अधिकारी नियुक्त किए जाने चाहिए।

सरताज अली

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- पीआरडी जवानों की अलग ब्लॉकों में ड्यूटी लगने के कारण आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। मानदेय भी पर्याप्त नहीं मिल पाता।

धर्मेंद्र सिंह

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- कर्मचारियों की समस्याओं का अधिकारी समय से निस्तारण नहीं करते हैं। कम मानदेय के बावजूद भी ड्यूटी समय से नहीं मिल पाती है।

प्रवीण कुमार

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- कई आंदोलन के बाद भी पीआरडी जवानों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया। समान ड्यूटी हैं, तो समान वेतन भी मिलना चाहिए।

विवेक कुमार

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- कई महीने से ड्यूटी न मिलने के कारण परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है। मानदेय भी मंहगाई के हिसाब से पर्याप्त नहीं मिलता है।

सुषमा

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- पीआरडी जवानों को मानदेय के रूप में महज 395 रुपए प्रतिदिन ही दिए जाते हैं। पीआरडी जवानों का मानदेय बढ़ना चाहिए।

अमित

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- पीआरडी जवानों को अन्य कर्मचारियों की तरह दुर्घटना बीमा भी नहीं दिया जाता है। कई बार आंदोलन के बाद भी इसका कोई समाधान नहीं हो पाया है।

इमरान

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- समान वेतन के साथ ही अन्य मूलभूत सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। पीआरडी को युवा कल्याण विभाग से अलग किया जाना चाहिए।

बाबूराम

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- कई बार दो-तीन महीने तक भी ड्यूटी न मिलती, जिससे खुद को बेरोजगार महसूस करते हैं। नियमित ड्यूटी लगनी चाहिए।

अंकेश कुमार

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- पीआरडी जवानों को काम के हिसाब से अन्य कर्मचारियों की तरह सम्मानजनक मानदेय नहीं मिलता है। मानदेय में वृद्धि होनी चाहिए।

नूर मोहम्मद

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