बोले मुजफ्फरनगर : दिहाड़ी पर श्रमिकों को नहीं मिल पा रहा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी का लाभ
Muzaffar-nagar News - बोले मुजफ्फरनगर : दिहाड़ी पर श्रमिकों को नहीं मिल पा रहा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी का लाभ
जनपद में पंजीकृत श्रमिकों की कुल संख्या 4.81 लाख है। वहीं इससे कहीं अधिक श्रमिक ऐसे हैं जिन्होंने श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं कराया है, या कहें कि उन्हें पंजीकरण नियमों की जानकारी ही नहीं है। उत्तर प्रदेश में अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मानक मजदूरी 783 रुपये प्रतिदिन हैं, लेकिन रोजाना शहर स्थित सेंटरों पर दिन निकलने से पहले पहुंचकर काम तलाशने वाले श्रमिकों को महज 550 रुपये प्रतिदिन ही बामुश्किल मिल पाते हैं। गंभीर स्थिति यह है कि न्यूनतम मानक मजदूरी से भी कम पाने वाले इन श्रमिकों को निरंतर काम भी नहीं मिल पाता और महीने में दस से अधिक दिन उन्हें खाली हाथ ही घर लौटना पड़ता है।
---------- विश्व श्रमिक दिवस ---- मुजफ्फरनगर। जनपद के श्रम विभाग में 4.81 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं, जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इससे कहीं अधिक संख्या ऐसे श्रमिकों की है, जिन्हें पंजीकरण के साथ ही इससे मिलने वाले अनुदान की जानकारी ही नहीं है। जनपद में ऐसे श्रमिकों की संख्या हजारों में है, जिनकी दिन निकलने से पहले ही रोजगार पाने के लिए जद्दोजहद शुरू हो जाती है और अलसुबह काम की तलाश में उन्हें घर से निकलकर कई किलोमीटर दूर चलकर शहर के भोपा रोड, बकरा मार्केट व शामली रोड स्थित सेंटरों पर पहुंचना पड़ता है। यहां भी रोजगार पाने के लिए उन्हें साथी श्रमिकों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। यह सब करने के बावजूद रोजगार मिलने पर उन्हें पूरा दिन काम करने के महज 550 रुपये ही मिल पाते हैं, जो अकुशल श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी मानक 783 रुपये से कहीं कम होते हैं। इस पर भी दुर्भाग्य यह कि यह रोजगार भी उन्हें नियमित नहीं मिल पाते और कई बार घंटों की जद्दोजहद के बावजूद उन्हें खाली हाथ ही घर लौटना पड़ता है। श्रमिकों के लिए जनपद के श्रम विभाग में पंजीकृत कर उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाता है, लेकिन अधिकांश श्रमिकों को अपने इन अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती, जिसके चलते वे श्रम विभाग में पंजीकरण ही नहीं करा पाते। पंजीकरण न कराने के चलते इन श्रमिकों को श्रम विभाग से सरकार की ओर से दिए जाने वाले किसी भी प्रकार से लाभ नहीं मिल पाते। वहीं, कई बार पंजीकरण कराने वाले श्रमिकों को भी अपरिहार्य कारणों से सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पाता, जिससे श्रमिक श्रम विभाग में पंजीकरण कराने से बचते हैं। हिंदुस्तान टीम ने ऐसे मजदूरों से बात कर उनकी पीड़ा जानी तो अधिकांश मजदूर ऐसे मिले, जिनका कहना था कि उन्हें रोजाना परिवार के लिए रोटी का जुगाड़ करना पड़ता है। काम मिलता है तो उनके घर चूल्हा जलता है, अन्यथा कई बार फाकाकशी तक करनी पड़ जाती है। जहां दो रोटी के लिए सुबह से ही मशक्कत करनी पड़ रही हो, वहां पंजीकरण कराने के बारे में तो सोचने की नौबत ही नहीं आ पाती। वहीं, कुछ मजदूरों का यह भी कहना था कि उन्होंने श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन तो कराया हुआ है, लेकिन विभागीय चक्कर लगाने के बावजूद उन्हें किन्हीं कारणों से सरकारी योजनाओं का लाभ मिल ही नहीं पाता। इसके चलते वे पंजीकरण की फिक्र छोड़ अब केवल अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने के इंतजाम में लगे रहते हैं। --------------- श्रमिकों के लिए ये चल रहीं योजनाएं --- - मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना के तहत पंजीकृत महिला श्रमिक को तीन हजार रूपये के साथ ही लड़का होने पर 20 हजार रूपये और लड़की होने पर 25 हजार रुपये की एकमुश्त धनराशि दी जाती है। पहली व दूसरी संतान लड़की होने पर श्रम विभाग द्वारा शिशु की 25 हजार रूपये की एफडी भी कराई जाती है। - अटल आवासीय विद्यालय योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों के छह से 14 साल उम्र के बच्चों को सीबीएसई पैटर्न पर नि:शुल्क शिक्षा, नि:शुल्क आवास, वस्त्र, भोजन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। - संत रविदास शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों के दो बच्चों को कक्षा एक से पांच तक दो हजार रूपये, कक्षा छह से हाईस्कूल तक 2,500 रूपये, इंटरमीडिएट तक तीन हजार रुपये और स्नातक होने पर एकमुश्त 12 हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं। इसके साथ ही बच्चों को साइकिल खरीद के लिए सब्सिडी भी दी जाती है। - कौशल विकास तकनीकी उन्नयन एवं प्रमाणन योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों व उनके परिवार को नि:शुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस दौरान उन्हें न्यूनतम मजदूरी का भी भुगतान किया जाता है। - कन्या विवाह अनुदान योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों के दो पुत्रियों के विवाह हेतु 55 हजार रुपये, अंतरजातीय विवाह में 61 हजार रूपये और सामुदायिक विवाह के लिए 65 हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं। - गंभीर बीमारी सहायता योजना के तहत आयुष्मान योजना में पंजीकरण न करने वाले श्रमिकों को शासकीय चिकित्सालयों में शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति प्रदान की जाती है। - महात्मा गांधी पेंशन योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों को 60 वर्ष आयु पूरी होने पर दस साल तक लगातार अंशदान करने पर एक हजार रूपये आजीवन मासिक पेंशन प्रदान की जाती है। - निर्माण कामगार मृत्यु व दिव्यांगता सहायता योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों की हादसे में मौत होने पर आश्रित को पांच लाख रुपये, सामान्य मौत होने पर दो लाख रुपये, स्थायी अपंगता की स्थिति में तीन लाख रुपये, आंशिक दिव्यांगता पपर दो लाख रूपये की सहायता प्रदान की जाती है। योजना के तहत अपंजीकृत श्रमिकों को भी कार्यस्थल पर मृत्यु होने पर आश्रित को एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। ------------- इन्होंने कहा --- - विभाग द्वारा श्रमिकों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जाती है, जो विभाग में पंजीकरण कराने पर दी जाती हैं। श्रमिकों को इसके लिए जन सेवा केंद्रों पर भी पंजीकरण कराने की सुविधा प्रदान की गई है, लेकिन बड़ी संख्या में श्रमिक पंजीकरण ही नहीं कराते, जिससे उन्हें श्रमिकों के लिए चल रही सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। विभाग द्वारा इसके लिए विभिन्न स्थानों पर और समय-समय पर जागरूकता शिविर लगाए जाते हैं। देवेश सिंह, सहायक श्रमायुक्त ---------- मजदूरों ने किया दर्द बयां - कई बार ठेकेदार काम पर ले जाते हैं, लेकिन दिनभर मजदूरी करने के बाद कई बार उन्हें मेहनत के रुपए तक नहीं दिए जाते हैं। श्रमिकों के हित में श्रम विभाग को हेल्पलाइन नंबर जारी करना चाहिए। पप्पू ---------- - मजदूरी के काम में समय पर रोजगार नहीं मिल पाता है। स्थाई रोजगार मिल जाए तो रोज की परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा। विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए। जान मोहम्मद ---------- - श्रम विभाग कार्यालय में पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। इस कारण सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ता है। पंजीकरण प्रक्रिया आसान हो जाए तो राहत मिल सकती है। इमरान ---------- - श्रम विभाग से पंजीकरण के लिए सही जानकारी न होने के कारण सरकार से मिलने वाली योजनाओं से भी वंचित रहना पड़ रहा है। विभाग को समय-समय पर जागरूकता शिविर लगाने चाहिए। कपिल ---------- - श्रमिकों को नियमित रोजगार की आवश्यकता है, जिससे उन्हें रोज सुबह काम पाने के लिए सड़कों पर खड़ा न होना पड़े। श्रम विभाग को इसके लिए उचित निर्णय लेने चाहिए। कृष्णपाल ---------- - सरकार द्वारा दी जा रही किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। ई-श्रम पंजीकरण कराने के लिए भी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। जिस कारण सुनवाई में देरी होती है। योगेश ---------- - रोजगार की तलाश में रोज सुबह इधर-उधर भटकना पड़ता हैं। नियमित रोजगार मिलना शुरू हो, तो ही श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन के बारे में सोचा जा सकता है। आस मोहम्मद ---------- - पंजीकरण कराने के बावजूद सरकार की तरफ से चलाई जा रही कल्याणकारी योजना का लाभ प्रशासनिक स्तर से नहीं मिल पा रहा है। विभाग द्वारा बार-बार चक्कर लगवाए जाते हैं। दीपक ---------- - बेरोजगार होने के कारण उनकी सुबह रोजाना काम की चिता से शुरू होती है। श्रम विभाग की तरफ से सहायता राशि नहीं मिल पाती है। ई-श्रम कार्ड भी नही बन पा रहा है। अरसलान ---------- - ई-श्रम विभाग में पिछले एक वर्ष से पंजीकरण होने के बावजूद चक्कर काटने के बाद भी सहायता राशि नहीं मिली है। न ही अक्सर समय से रोजगार ही मिल पा रहा है। बादल ---------- - बेरोजगार होने के कारण उनकी सुबह रोजाना काम पाने की चिंता से शुरू होती है। श्रम विभाग की तरफ से सहायता राशि नहीं मिल पाती है। ई-श्रम कार्ड भी नही बन पा रहा है। मनोज ---------- - परिवार की रोजी-रोटी चलाने के लिए रोजाना काम की तलाश करनी पड़ती है, जिस कारण सुबह होते ही काम की भागदौड़ शुरू हो जाती है। जिसके चलते पंजीकरण का समय नहीं मिलता। धनीराम ---------- - कई बार ठेकेदारों के माध्यम से ही काम मिल पाता है, लेकिन बताए गए काम से अलग काम ठेकदारों द्वारा कराया जाता है। मेहनत के पर्याप्त पैसे नहीं मिलने से दिक्कत होती है। सुमित -------------------
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