संत, गंगा व भागवत ज्ञान गंगा की त्रिवेणी है शुकतीर्थ: स्वामी ओमानंद
- भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम में चल रही कई भागवत कथाएं और धार्मिक अनुष्ठान महत्वपूर्ण.. संत, गंगा व भागवत ज्ञान गंगा की त्रिवेणी है शुकतीर्थ: स्वामी
भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम के डोंगरे जी भागवत भवन में मुरैना, मध्य प्रदेश के भक्तों के द्वारा आयोजित अष्टोत्तर शत भागवत मूलपाठ तथा भागवत कथा महोत्सव का पीठाधीस्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया। पोथी पूजन के साथ कथाव्यास कान्हा महाराज का व्यासपीठ पर पूजन किया।
इस अवसर पर स्वामी ओमानंद महाराज ने कहा कि अष्टोत्तर शत भागवत मूलपाठ का परायण तथा भागवत कथा वह भी भागवत पीठ में मिलना भगवान की अति विशिष्ट कृपा का ही फल है। पूज्य गुरूदेव स्वामी कल्याणदेव जी महाराज को प्रयाग कुंभ के अवसर पर पूजनीय संतों के सम्मेलन में संतों ने संकल्प दिलाया था कि आप भागवत पीठ शुकतीर्थ का जीर्णोंद्धार करेंगे। उसी संकल्प की पूर्ति के लियॆ स्वामी जी यहां आये और तप किया तथा एक वर्ष तक भागवत मूलपाठ परायण करवाया, इसके साथ साथ एक करोड़ गायत्री मंत्र का जाप करवाया, उसके फलस्वरूप हमें यह पवित्र एवं सिद्ध भागवत पीठ मिल पायी है। क्योंकि भागवत भगवान श्रीकृष्ण का शब्दमयी श्री विग्रह है। शुकतीर्थ संत सान्निध्य, भागीरथी गंगा तथा भागवत ज्ञान गंगा का त्रिवेणी संगम तथा भागवत भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का त्रिवेणी संगम है। जब कलियुग के तीस वर्ष बीत गए तो परमहंस चूड़ामणि श्री शुकदेव जी महाराज ने अभिमन्यु नंदन राजा परीक्षित को सबसे पहले पवित्र शुकतीर्थ में सिद्ध वटवृक्ष के नीचे बैठकर भागवत कथा सुनाई थी। इस अवसर पर सन्त विवेक भारती, कथाव्यास अचल कृष्ण शास्त्री, ठाकुर प्रसाद, आचार्य विकास, आचार्य युवराज आदि मौजूद रहे।
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