पुरकाजी व मीरापुर में सीएचसी नहीं, कई केन्द्रों पर चिकित्सक व दवाओं की कमी
Muzaffar-nagar News - पुरकाजी व मीरापुर में सीएचसी नहीं, कई केन्द्रों पर चिकित्सक व दवाओं की कमी
भले ही जनपद मुजफ्फरनगर औद्योगिक एवं कृषि के क्षेत्र में विकसित होने के साथ रोजगार के संसाधन जुटाने में आगे हो लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं अभी काफी पीछे है। जहां एक तरफ केन्द्र व प्रदेश सरकार से मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल की विस्तारीकरण की मांग की जा रही है वहीं पुरकाजी व मीरापुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तक नहीं है। जबकि पुरकाजी व मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के साथ बिजनौर संसदीय क्षेत्र में शामिल है। ऐसे में यहां के मरीजों को अपने इलाज के लिए निजी और झोलाछाप चिकित्सकों पर निर्भर रहना पड़ता है। शाहपुर, जानसठ और भोपा सीएचसी पर चिकित्सकों व जांच उपकेन्द्रों के साथ दवाईयों की कमी बताई जा रही है। चार किमी दूर सफर करना पड़ता है स्वास्थ्य सेवाओं के लिए
पुरकाजी। पुरकाजी सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र, नगर पंचायत परिषद के अलावा खंड विकास क्षेत्र है। हरिद्वार और यूपी का बार्डर क्षेत्र है , फिर भी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मोहताज है। यहां के लोगों को करीब चार किलोमीटर दूर ग्राम फलौदा में सामुद्रिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार कराने के सफर तय करना पड़ता है। हालांकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फालौदा में चिकित्सकों की कमी है। दवाईयां नहीं मिल पाती है।
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विस क्षेत्र के बावजूद सीएचसी को तरस रहा मीरापुर
मीरापुर। मीरापुर कस्बे की आबादी लगभग पचास हजार है। मीरापुर विधानसभा सीट भी है, जिसके चलते यह राजनीति का भी केन्द्र है। विधानसभा सीट के अलावा मीरापुर नगर पंचायत भी है, बावजूद यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है। कस्बें में सिर्फ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। यहां भी चिकित्सक कभी कभी आते हैं । मीरापुर के लोगों को उपचार के लिए 13 किलोमीटर दूर जानसठ सीएचसी जाना पड़ता है। यहां बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। लोगों को रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए भी जानसठ सीएचसी जाना पड़ता है। वहीं मीरापुर क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं में घायल लोगों को भी प्राथमिक उपचार के लिए जानसठ सीएचसी भेजा जाता है।
जानसठ सीएचसी पर चिकित्सकों की कमी
जानसठ । वैसे तो सीएचसी पर पांच चिकित्सकों की तैनाती है जिनमें से दो महिला चिकित्सक विशेषज्ञ हैं। लेकिन हड्डी रोग , बाल रोग, त्वचा रोग, नेत्र रोग आदि विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। ऐसे में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को उपचार के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। सीएचसी प्रभारी अजय कुमार का कहना है कि सीएचसी पर चिकित्सकों की कमी है,उसके लिए कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।
भोपा सीएचसी पर भी सुविधाओं की दरकार
मोरना। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भोपा पर अभी सुविधाओं की अभी दरकार है। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतेन्द्र कुमार की मानें तो
यहां पर महिला चिकित्सक, कार्डियोलॉजी एवं नर्सिंग स्टाफ की जरूरत है। हालांकि खून की जांच नियमित होती है। भोपा मेंप्रतिदिन लगभग 200मरीजोंका उपचार किया जा रहा है।
शाहपुर में स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं
शाहपुर। सामुदायिक केंद्र पर वैसे तो रोजाना 250 मरीजों का ओपीडी होता है। खून की जांच की सुविधा है लेकिन स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती न होने से महिला मरीज परेशान हैं। जबकि महिला मरीजों की संख्या काफी बताई जा रही है। केंद्र पर डिजिटल एक्सरे मशीन की सुविधा भी है। रोजाना 40 से 50 मरीजों के एक्सरे किये जाते हैं ।
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खतौली सीएचसी पर चिकित्सक और उपकरण का अभाव
खतौली। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर नगर व देहात से हर रोज पांच सौ से अधिक मरीजों की ओपीडी होती है। ओपीडी में मरीजों को देख तो लिया जाता है लेकिन अस्पताल में चिकित्सक व उपकरण के अभाव से मरीजों को परेशान होना पडता है। गर्भवती महिलाओं का आपेशन तो अस्पताल में कर दिया जाता है लेकिन उसकी जांच अस्पताल से बाहर प्राइवेट चिकित्सक के पास करानी पडती है। सीएचसी के चिकित्सका के मुख्य चिकित्सका प्रभारी डा अवनीश कुमार बताया कि अस्पताल में वैसे तो मरीजों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है लेकिन कुछ उपकरणों का अभाव भी है।
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