बोले मुजफ्फरनगर...एमएसएमई उद्यमियों को औद्योगिक क्षेत्र की दरकार
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जनपद में 30 हजार से अधिक एमएसएमई उद्यमी हैं, जिन्हें सुचारू रूप से उद्योग चलाने को लेकर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सबसे बड़ी समस्या उद्योग स्थापना को लेकर स्थान चयन का है, क्योंकि जनपद में नए इंडस्ट्रियल एरिया को लेकर स्थान ही उपलब्ध नहीं है। प्रदेश सरकार के निवेश मित्र पोर्टल और भारी भरकम टैक्स को लेकर भी एमएसएमई उद्यमियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यदि सरकार इन समस्याओं का समय से और उचित समाधान करे तो निश्चित ही जनपद में एमएसएमई उद्यमी सफलता की एक नई इबारत लिख सकते हैं।
जनपद में नए इंडस्ट्रियल एरिया के लिए जमीन की दरकार
जनपद में 30 हजार से अधिक एमएसएमई उद्योग जिला उद्योग केंद्र में पंजीकृत हैं, जबकि बड़ी संख्या में युवा व अन्य उद्यमी नए उद्योग लगाने के लिए प्रयासरत हैं। जनपद में नए उद्योग लगाने की तैयारियों के बीच सबसे बड़ी समस्या स्थान चयन को लेकर आ रही है, जिसके चलते नए उद्योग संचालित होने में समस्याएं उत्पन्न हो रही है। आईआईए मुजफ्फरनगर चैप्टर के चेयरमैन पवन गोयल ने बताया कि जनपद में एमएसएमई उद्यमी तो बहुत हैं, जो नया उद्योग स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन जनपद में नए इंडस्ट्रियल एरिया के लिए स्थान ही उपलब्ध नहीं है। शहर क्षेत्र में स्थान नहीं हैं और ग्रामीण क्षेत्र में नया उद्योग लगाने में ग्रामीण समस्याएं उत्पन्न करते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में नए उद्यम को जरूरत के अनुसार सुविधाएं भी नहीं मिल पाती, जिससे ग्रामीण एरिया में नया उद्योग लगाना अनुकूल नहीं रह गया है। माइक्रो और स्मॉल यूनिट्स अधिकांश मामलों में माल बनाकर बड़ी इकाइयों को सामग्री की आपूर्ति करती हैं, लेकिन समय पर बड़ी कंपनियां उन्हें भुगतान नहीं करती, जिससे माइक्रो एवं स्मॉल यूनिट्स को संचालित करने में परेशानियां होने लगती हैं। वहीं, जब माइक्रो व स्मॉल यूनिट्स भुगतान के लिए दबाव बनाती हैं तो बड़ी इकाइयाँ एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में चली जाती हैं। वहां जब सुनवाई होती है तो इसमें काफी समय लगता है, जिससे समय से भुगतान न होने और भुगतान एनसीएलटी में फंसने से छोटी इकाइयां स्वत: ही बंद हो जाती हैं। इससे नया उद्योग लगाने वाले युवा एमएसएमई के समक्ष उद्योग चलाने वाले युवा व नए उद्यमी को काफी परेशानियों का सामना करना पडता है। वहीं, उद्योगों में उपयोग होने वाली सीएनजी पर सरकार द्वारा जीएसटी क्रेडिट की सुविधा नहीं दी जा रही है। इससे नए उद्योग लगाने वाले उद्यमी परेशान हैं।
निवेश मित्र पोर्टल से भी परेशानी
जनपद में नए उद्योग लगाने के इच्छुक एमएसएमई उद्यमियों को निवेश मित्र पोर्टल से भी निराशा ही हाथ लग रही है। युवा उद्यमी समर्थ जैन ने बताया कि जनपद में नए उद्योग लगाने में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। राज्य सरकार द्वारा उद्यमियों के लिए शुरू किया गया निवेश मित्र पोर्टल भी समाधान के बजाये समस्या ही अधिक दे रहा है। दरसअल, जब नया उद्यमी उद्योग लगाने के लिए पहल करता है तो निवेश मित्र पर डिटेल अपलोड करने के दौरान यह पोर्टल काफी देर से शुरू होने के साथ ही काफी समस्याओं को भी उजागर करता है, जिससे युवा उद्यमियों को परेशानियां होती है। वहीं, जीएसटी की जटिलता के कारण भी जनपद में चल रहीं छोटी इकाईयों को अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। देश में जीएसटी की विभिन्न दरें लागू हैं, जिन्हें संशोधित करते हुए केवल शून्य से 18 प्रतिशत के स्लैब बनाए जाने चाहिए। इसके साथ ही जीएसटी की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए, ताकि माइक्रो उद्योगों को जीएसटी फाइल करते समय अधिक समस्याओं का सामना न करना पड़े।
शिकायतें और सुझाव
शिकायतें
- नए इंडस्ट्रियल एरिया बनाने के लिए जनपद में स्थान की कमी है। ग्रामीण एरिया में एमएसएमई उद्योग लगाने पर सुविधाएं नहीं मिलती हैं।
- जीएसटी की जटिलता से नए उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को कारोबार जमाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- सरकार के निवेश मित्र पोर्टल पर समस्याएं अपलोड करने पर नए उद्यमियों को समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हो पाता है।
- बड़ी कंपनियों से माइक्रो एवं स्मॉल उद्योगों को समय पर भुगतान नहीं मिल पाता और मामला एनसीएलटी में जाकर फंस जाता है।
सुझाव
- जनपद में भी सरकार की महत्वाकांक्षी प्लेज पार्क योजना को धरातल पर उतारने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए।
- जीएसटी की जटिलताओं को खत्म करते हुए टैक्स के केवल तीन स्लैब बनाए जाने चाहिए और टैक्स में रियायतें दी जानी चाहिए।
- निवेश मित्र पोर्टल पर समस्याएं अपलोड किए जाने पर नए उद्यमियों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाना चाहिए।
- बड़ी कंपनियों से भुगतान संबंधी विवाद होने की स्थिति में एनसीएलटी में लेन-देन विवाद का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए।
इन्होंने कहा
जनपद में प्लेज पार्क योजना के तहत इंडस्ट्रियल पार्क बनाने के लिए प्रति एकड़ 50 लाख की सब्सिडी दी जाती है। यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन इंडस्ट्रियल पार्क बनाने के लिए देता है तो उसे 50 लाख प्रति एकड की दर से मात्र एक प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण भी प्रदान किया जाता है। निवेश मित्र पोर्टल पर जो भी समस्याएं आती हैं, उनका त्वरित समाधान किया जाता है। इसे लेकर हर माह डीएम की अध्यक्षता में मीटिंग भी की जाती है, जिसमें एमएसएमई के समक्ष आने वाली समस्याओं का समाधान किया जाता है।
जैस्मीन, कमिश्नर, जिला उद्योग केंद्र मुजफ्फरनगर
- जनपद में नई इंडस्ट्री लगाने के लिए अनुकूल स्थान की कमी है। ग्रामीण क्षेत्र में उद्योग लगाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, जीएसटी की जटिलताओं से भी नए उद्योगों की स्थापना को लेकर मुश्किलें आती हैं।
पवन गोयल, आईआईए चेयरमैन
- सरकार को एमएसएमई उद्योगों के लिए टैक्स संबंधी जटिलताओं को दूर कर माइक्रो उद्योग को टैक्स में रियायतें देनी चाहिए।
मनीष भाटिया
- निवेश मित्र पोर्टल पर स्मॉल उद्योगों को लेकर अपलोड की जाने वाली समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाना चाहिए।
राहुल गुप्ता
- जनपद में शहर के पास नए इंडस्ट्रियल एरिया की स्थापना की जानी चाहिए, ताकि नए स्थान पर उद्योग लगाने में आसानी रहे।
अनमोल अग्रवाल
- नए उद्योगों को स्थापना के बाद कुछ समय तक सरकार द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स में कमी करते हुए उद्यमियों को रियायतें देनी चाहिए।
मृदुल भाटिया
- स्मॉल उद्योगों को बड़ी कंपनियों से भुगतान समय पर और पूरा मिले, इसके लिए सरकार को भुगतान संबंधी नियम बनाने चाहिए।
अमन गुप्ता
- जीएसटी की जटिलताओं को कम करते हुए टैक्स के केवल तीन स्लैब ही लागू किए जाने चाहिए, ताकि नए उद्यमियों को आसानी रहे।
समर्थ जैन
- एनसीएलटी में भुगतान संबंधी विवादों का त्वरित समाधान होना चाहिए, ताकि मिनी उद्योगों के समक्ष बंद होने की नौबत न आए।
प्राचीर अरोरा
- स्मॉल व माइक्रो उद्योगों को स्थापित करने के लिए सरकार को युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन हेतु टैक्स छूट दी जानी चाहिए।
अमित जैन
- नए उद्योग लगाने के लिए सरकार को नए उद्यमियों को उनके आवेदन पर सस्ती दरों पर भूखंड आवंटित किए जाने चाहिए।
राहुल सिंघल
- नए इंडस्ट्रियल पार्क बनाने के लिए सरकार को शहर के पास स्थित भूमि को चिन्हित कर उसका अधिग्रहण करना चाहिए।
राहुल अग्रवाल
- कंपनियों के भुगतान संबंधी विवादों का जल्द निपटारा करने के लिए सरकार को कड़े और सर्वमान्य कदम उठाने चाहिए।
वैभव मित्तल
- निवेश मित्र पोर्टल पर ध्यान देते हुए सरकार को उस पर अपलोड की जाने वाली शिकायतों का समय से निस्तारण कराना चाहिए।
आशीष सिंघल
- जीएसटी फाइल करने के नियमों में बदलाव कर जीएसटी को सरल किया जाना चाहिए, ताकि नए उद्यमियों को सहूलियत मिल सके।
अनमोल गर्ग
- ग्रामीण क्षेत्र में नए उद्यम लगाने के लिए युवा एमएसएमई को प्रोत्साहन स्वरूप टैक्स छूट व अन्य सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
सुशील अग्रवाल
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