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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़More than one lakh samples will be tested soon UP government labs will be set up every division

यूपी में जल्द एक लाख से अधिक सैंपलों की होगी जांच, हर मंडल पर बनेगी सरकारी लैब

  • यूपी में मिलावटखोरी करना अब आसानी नहीं हो पाएगा। मिलावटखोरी के खिलाफ अब मुहिम और तेज की जाएगी। खाद्य पदार्थों और दवाओं में हुई मिलावट की जांच का दायरा बढ़ेगा।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, लखनऊ। विशेष संवाददाताThu, 19 Sep 2024 10:15 AM
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यूपी में मिलावटखोरी करना अब आसानी नहीं हो पाएगा। मिलावटखोरी के खिलाफ अब मुहिम और तेज की जाएगी। खाद्य पदार्थों और दवाओं में हुई मिलावट की जांच का दायरा बढ़ेगा। यूपी में मार्च से 15 नई सरकारी लैब और क्रियाशील हो जाएंगी। यूपी के हर मंडल मुख्यालय पर सरकारी जांच लैब होगी। तब सेंपलों की जांच की मौजूदा क्षमता एक लाख आठ हजार हो जाएगी। फिलहाल प्रदेश में 36 हजार सेंपलों की ही जांच हो सकती है।

खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मसालों से लेकर घी, दूध, पनीर, तेल, आटा सहित शायद ही कोई चीज बची हो, जिसमें मिलावट के मामले सामने न आए हों। इसी तरह तमाम कंपनियां दवाएं भी अधोमानक बना रही हैं, जिनका या तो मरीजों को लाभ नहीं हो रहा या फिर वे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रही हैं। अभी तक प्रदेश में सरकारी स्तर पर इस गड़बड़ी की जांच की सुविधा सीमित थी। फिलवक्त प्रदेश में केवल छह सरकारी लैब हैं, जिनमें लखनऊ, आगरा, झांसी, गोरखपुर, मेरठ और वाराणसी शामिल हैं। इन लैबों में फिलहाल 36 हजार सेंपलों की हर महीने जांच की जा सकती है जबकि मिलावट खोरी का दायरा बहुत बढ़ गया है। ऐसे में सेंपल या तो दूरस्थ सरकारी लैबों में भेजे जाते हैं या फिर निजी लैबों से जांच कराई जाती है।

मगर अब हर मंडल पर सरकारी लैब खुलने जा रही है। इनका काम काफी हद तक पूरा हो चुका है। सब कुछ तय कार्यक्रम के हिसाब से हुआ तो मार्च से यह सभी लैब क्रियाशील हो जाएंगी। झांसी और गोरखपुर की लैब नए भवन में शिफ्ट हो जाएंगी। इसके अलावा राजधानी लखनऊ में एक लैब और खुलने जा रही है।

अब पेस्टीसाइड्स व हैवी मेटल जांच की भी सुविधा

पहले प्रदेश में सरकारी लैबों में सेंपलों की जांच के संसाधन सीमित थे। खाद्य पदार्थों में पेस्टीसाइड्स या हैवी मेटल आदि की जांच भी नहीं हो सकती थी। उदाहरण के तौर पर हल्दी आदि मसालों की जांच में सिर्फ कलर की मिलावट का ही पता चल पाता था। धीरे-धीरे सरकारी लैबों में संसाधन बढ़े हैं। लखनऊ की सरकारी लैब में वर्ष 2020 के बाद पेस्टीसाइड्स व हैवी मेटल की जांच का सिलसिला शुरू हो गया था। अब प्रदेश की नई खुलने वाली सभी लैब में भी यह सुविधा उपलब्ध होगी।

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