राज्यस्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला आज
सोनकपुर स्टेडियम में राज्यस्तरीय सब जूनियर बालिका कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कई प्रतिभाशाली लड़कियों ने फाइनल में जगह बनाई। रितिका, वैष्णवी, स्वाति, नेहा, और रोशनी ने अपने-अपने भार वर्ग में...
सोनकपुर स्टेडियम में राज्यस्तरीय सब जूनियर बालिका कुश्ती प्रतियोगिता में दूसरे दिन कई मैच खेले गए। इस दौरान 40 किग्रा. भार गर्व में आगरा की रितिका ने मिर्जापुर की रूबी को 5-3 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। वहीं वराणसी की वैष्णवी ने स्पोर्ट्स कालेज गोरखपुर की मनु शर्मा को 8-5 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में महासचिव उप्र कुश्ती संघ के सुरेश चंद्र उपाध्याय व विशिष्ट अतिथि डिप्टी कमीशनर आयकर मुरादाबाद अखिलेश यादव उपस्थित रहे। साथ ही क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी नरेश चंद्र यादव व संयुक्त सचिव, उप्र ओलंपिक संघ के डॉ़ अजय पाठक भी उपस्थित रहे। दूसरे दिन 43 किग्रा. भार वर्ग में कानपुर की स्वाति ने मिर्जापुर की खुशबू को 4-0 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। वहीं मुरादाबाद की वैष्णवी ने स्पो़ कॉलेज गोरखपुर की शिवानी को 6-2 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। 46 किग्रा. भार वर्ग में वाराणसी की नेहा पाल ने अयोध्या की आंकाक्षा यादव को 7-3 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। दूसरी तरफ कानपुर की रोशनी ने सहारनपुर की आरजू को 5-2 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। निर्णायक मंडल में राजकुमार मिश्रा, गोरखनाथ यादव, रामसजन यादव, दीपक यादव, आंचल, संगीता सिंह, बेबी सिंह, रवि कुमार, आदेश कुमार इशिका उपाध्याय, अंजुम मलिक रहे। इस अवसर पर पवन सिसोदिया, करतार पहलवान, चौधरी सुनील, अनुपम सिंह, प्रेमशंकर वीर सिंह यादव, भोला सिंह त्यागी डॉ़ आनन्द राघव, देवेन्द्र जौहरी, मेहन्दीहसन, गोविन्द यादव आदि मौजूद रहे।
पिता के सपने को पूरा कर रही हैं तराना
मेरे पिता इरफान भी पहलवान हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पिता को पहलवानी छोड़नी पड़ी। अब वह एक किसान है और हम सात भाई-बहन का पालन कर रहे हैं। लेकिन मैं अपने पिता के अंदर पल रहे सपने को पूरा करना चाहती हूं इसलिए पिछले कई वर्षों से मैं अपने गुरु आर्य भोले सिंह त्यागी से कुश्ती का प्रशिक्षण ले रही हूं। भविष्य में मैं एक पहलवान बनकर देश के लिए लड़ना चाहती हूं।
तराना आर्य, मुरादाबाद मंडल
पिताजी कुश्ती में करते हैं सहयोग
मेरे पिता माजिद पत्थर घिसाई का कार्य करते हैं। हम चार बहनें व दो भाई हैं। कुश्ती लड़ना मेरे पिता का सपना रहा है पर परिवार की स्थिति को देखते हुए पिता ने कुश्ती छोड़ जिम्मेदारी उठाई। लेकिन पिता हमेशा से ही मेरे अंदर एक पहलवान को देखते रहे हैं इसलिए वह मुझे कुश्ती में सहयोग करते हैं। हम चारों बहनों को पिता कुश्ती का प्रशिक्षण देते हैं। यह मेरा पहला स्टेट लेवल है जिसमें मैं बेहतर प्रदर्शन कर अपने पिता का नाम रोशन करना चाहती हूं।
आरजू, सहारनपुर मंडल
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