अब हजारों भगीरथों को साथ लेकर आरिल उद्धार की तैयारी
Moradabad News - संभल जिले की आरिल नदी के उद्धार के लिए हजारों भगीरथों को तैयार किया जा रहा है। मनरेगा से जलाशयों का निर्माण होगा, जिससे पानी संकट दूर होगा। 23 गांवों से गुजरने वाली इस नदी को पुनर्जीवित करने की योजना...

संभल जिले के गुमसानी से निकली, मुरादाबाद के बिलारी-कुंदरकी क्षेत्र को प्राकृतिक उपहार देकर कभी बदायूं के दातागंज तक कलकल ध्वनि के साथ बहने वाली आरिल नदी के दिन बहुरेंगे। क्योंकि, इसके उद्धार के लिए अब हजारों भगीरथों को तैयार किया जा रहा है। सुखद है कि अबकी यह पहल सरकारी है। क्योंकि, प्रदेश में नदी, झील, तालाब और जल स्रोतों के वास्तविक स्वरूप बहाली की योजना पर काम शुरू हो चुका है। मनरेगा से नदी क्षेत्र के दोनों ओर पानी संकट दूर करने को जलाशयों का निर्माण होगा। लोगों के श्रमदान से नदी को इसका पुराना स्वरूप दिया जाएगा। गांवों के नजदीक पर्यटन स्थल बनाने की कोशिश होगी। योजना है कि यहां आने-जाने के लिए सड़क का निर्माण पंचायतों की ओर से कराया जाएगा। इस कार्य में मनरेगा का साथ होगा। तकनीकी सहयोग के लिए इस कार्य में डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के सदस्यों की भूमिका तय की गई है। मुख्य विकास अधिकारी सुमित यादव द्वारा डीसी मनरेगा आरपी भगत को नोडल अधिकारी बनाया गया है। क्षेत्र के खंड विकास अधिकारी, रोजगार सेवक, ग्राम पंचायतों के सचिव और मुख्य रूप से भूमि संरक्षण अधिकारी को जवाबदेह बनाया गया है।
बिलारी और कुंदरकी के 23 गांवों से होकर गुजर रही नदी
गुमसानी के प्राकृतिक झील से निकली यह धारा आरिल नदी की पहचान रखती है। मुरादाबाद जनपद के बिलारी और कुंदरकी ब्लॉक के 23 गांवों से होकर यह नदी गुजर रही है। जनपद के देवरी खानपुर गांव के बाद यह नदी जिले से पार चली जाती है। बिलारी क्षेत्र के 11 गांव से यह नदी जुड़ी है। जनपद क्षेत्र में 42 किलोमीटर लंबा नदी का क्षेत्र है। दो साल पहले जिले के 36 किलोमीटर लंबे क्षेत्र का सीमांकन हो गया था।
साल 2023 में अफसरों ने भिंडवारी गांव के सामने चलाया था फावड़ा
मुरादाबाद। जून 2023 में मनरेगा और श्रमदान से आरिल नदी से कब्जे हटवाने का प्रयास हुआ था। तब यहां के डीएम रहे शैलेंद्र सिंह और मुख्य विकास अधिकारी सुमित यादव ने बिलारी के भिंडवारी गांव में फावड़ा चलाया था। उस समय जिला और स्थानीय स्तर के अधिकारी इस कार्य में शामिल रहे। आरंभ में राजस्व अभिलेखों के अनुसार चिह्नांकन कर नदी की भूमि खोजी गई थी। लेकिन, तब यह प्रयास स्थानीय प्रशासन की ओर से किया गया। कोशिश क्षेत्र के अभनपुर नरौली, सतारन अमरपुरकाशी गांव तक पहुंची और लगभग सात किलोमीटर नदी की खोदाई के बाद काम बंद हो गया।
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नदी क्षेत्र के सीमांकन का कार्य किया जाएगा। क्षेत्र के सामाजिक लोग और प्रधानों की मदद ली जाएगी। एडीओ पंचायत बैठकें कर रहे हैं। किसान अपने खेतों की नापजोख की मांग कर रहे हैं। इसके लिए नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं। यह कार्य नदी और जल स्रोतों के बचाव की खास पहल है।
सुमित यादव, मुख्य विकास अधिकारी
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