प्रेगनेंसी के हाइपरटेंशन में लापरवाही खतरनाक
मुरादाबाद। रविवार को हॉलीडे रीजेंसी में आयोजित हुई मुरादाबाद ऑब्सटेट्रिक्स गायनॉकॉलॉजिकल सोसाइटी की वार्षिक सीएमई (सतत चिकित्सा शिक्षा) में महिला...
मुरादाबाद। रविवार को हॉलीडे रीजेंसी में आयोजित हुई मुरादाबाद ऑब्सटेट्रिक्स गायनॉकॉलॉजिकल सोसाइटी की वार्षिक सीएमई (सतत चिकित्सा शिक्षा) में महिला चिकित्सकों ने महिलाओं से जुड़ी बीमारियों के कारण व इलाज पर विस्तृत मंथन किया। प्रेगनेंसी में होने वाले हाइपरटेंशन को खतरनाक बताते हुए विशेष एहतियात बरतने को कहा।
वार्षिक सीएमई में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने तेजी के साथ आधुनिक जीवनशैली की वजह से होने वाली बीमारियों के इलाज व बचाव पर प्रकाश डाला। मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज की डॉ.भारती माहेश्वरी ने बताया कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को होने वाला हाइपरटेंशन लापरवाही बरतने पर जच्चा-बच्चा दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है। गर्भवती महिला की नियमित जांच होना जरूरी है। प्रेगनेंसी के हाइपरटेंशन के इलाज की अलग दवाएं हैं। अगर कोई महिला प्रेगनेंसी के पहले से हाइपरटेंशन यानि हाई बीपी की मरीज है तो भी उसे प्रेगनेंसी के समय हाइपरटेंशन से पीड़ित होने पर दूसरी दवाएं दी जाएंगी। प्रेगनेंसी के हाइपरटेंशन की समस्या घटाने के लिए अब बेहतर और अधिक कारगर दवाएं मौजूद हो गई हैं। हाइपरटेंशन का इलाज नहीं होने पर पैदा होने वाला बच्चा बेहद कम वजन का हो सकता है उसकी मृत्यु भी हो सकती है। सरगंगा राम अस्पताल की डॉ.चंद्रा मनसुखानी व डॉ.गीता मेहंदीरत्ता, मेरठ मेडिकल कॉलेज की डॉ.प्रियंका गर्ग, मानस अस्पताल बरेली की डॉ.नीरा अग्रवाल, गाजियाबाद की डॉ.गुंजन गुप्ता आदि ने महिला रोगों व अत्याधुनिक इलाज के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया। सीएमई की अध्यक्षता मुरादाबाद ऑब्सटेट्रिक्स गायनोकॉलॉजिकल सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ.निधि ठाकुर ने की। संचालन डॉ.मनीषा जैन व डॉ.शाजिया मोनिस ने किया। डॉ.नीना मोहन, डॉ.अनीता रस्तोगी, डॉ.अर्चना अग्रवाल, डॉ.उमा भरतवाल, डॉ.चंचल गुप्ता, डॉ.लीना चौहान, डॉ.ऋचा गंगल समेत शहर की कई महिला चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।
अधिक उम्र में गर्भवती होने पर दें खास ध्यान:डॉ.भारती
फोटो::
मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में गायनॉकॉलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ.भारती माहेश्वरी ने बताया कि जो महिलाएं अधिक उम्र में धारण करती हैं। इसके साथ ही जिनका वजन अधिक है। उन्हें प्रेगनेंसी में नियमित जांच के साथ ही प्रोटीन की जांच भी करानी चाहिए। अमूमन, प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में महिलाओं का बीपी तेजी से बढ़ता है। जिसके चलते बच्चे की ग्रोथ रुक जाने की समस्या पैदा हो जाती है। डॉ.भारती ने यह भी बताया कि कोरोना संक्रमित महिलाओं की डिलीवरी काफी सुरक्षित होने की स्थिति सामने आई है। उन्होंने अपने मेडिकल कॉलेज में अस्सी कोरोना संक्रमित महिलाओं की डिलीवरी कराई इनमें से किसी को भी कोई समस्या नहीं आई। इन हालात में महिलाओं को विशेष दवाएं दी गईं।
ट्यूब में रुकना हो सकता बच्चे के लिए जानलेवा:डॉ.नीरा
फोटो::डॉ.नीरा अग्रवाल
मानस अस्पताल, बरेली की डॉ.नीरा अग्रवाल ने बताया कि प्रेगनेंसी के दौरान बच्चा मां की बच्चेदानी में ही रुकता है, लेकिन, इमरजेंसी कारणों से अगर यह फेलोपियन ट्यूब में रुक जाता है तो इसका तत्काल उचित इलाज जरूरी होता है अन्यथा, आगे चलकर नली के फटने पर बच्चे की मौत हो सकती है। इस तरह की समस्या का पता चलने पर तत्काल पास के डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। नली में रुकने पर बच्चे की ग्रोथ रुक जाती है। इस समस्या के इलाज की बेहतर दवाएं आ गई हैं। जो नली को सुखा देती हैं और दूरबीन विधि से बच्चे को निकाल दिया जाता है। जो महिलाएं संतान नहीं होने की समस्या का इलाज कराती हैं उन्हें यह समस्या ज्यादा आती है। ऐसी महिलाओं को नियमित जांच पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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