बोले मुरादाबाद : कड़े हों सुरक्षा के इंतजाम, बढ़ाई जाएं सुविधाएं
Moradabad News - बेटियों ने अपने सपनों को साकार करने के लिए अनेक चुनौतियों का सामना किया है। सुरक्षा की कमी, करियर संबंधी जानकारी की कमी और परिवार के दबाव जैसी समस्याओं का सामना करते हुए वे आगे बढ़ने का प्रयास कर रही...
बेटियों ने ढेरों सपने आंखों में संजोए हैं। वे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए तमाम परेशानियों से मुकाबला भी कर रही हैं। कहीं असुरक्षा तो कहीं समाज की व्यवस्था उनके हौसले को तोड़ने का कदम-कदम पर प्रयास करती हैं। लेकिन वे अपने मजबूत इरादे से हौसलों को उड़ान दे रही हैं। हालांकि, बेटियों को मौके के साथ ही सुरक्षा देने की जिम्मेदारी पूरे समाज की है। बेटों से देर से घर आने पर सवाल नहीं किया जाता लेकिन, बेटियों से सवाल होते हैं। इस सोच को बदलना होगा। साथ ही बेटियों की सुरक्षा के लिए समुचित प्रबंध होने चाहिए। कुछ बेटियों ने यहां तक कहा कि करियर को लेकर काउंसलिंग बेहतर हो। साथ ही घर वालों की भी काउसलिंग होनी चाहिए। बेटियों को आगे बढ़ने का मौका मिले तो वे समाज को दिखाएंगी कि उनमें कितना साहस है। उन्हें फैसला लेने का अधिकार मिलना चाहिए। बेटियों का सवाल है कि उनकी रुकावटें आखिर कौन दूर करेगा।
स्कूल में पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज में कदम रखने के साथ उनके करियर की उड़ान शुरू हो जाती है। हिन्दुस्तान ने कॉलेज गोइंग इन बेटियों से बात की तो उन्होंने कहा कि हमें जिस दिशा में बढ़ना है वहां फैसले लेने में भी रुकावटें हैं। ऐसी बेटियां परिवार का फैसला मानकर अपनी राह बदल लेती हैं तो वहीं कुछ बेटियों को अपने करियर से संबंधित जानकारी ही उपलब्ध नहीं हो पाती। इस कारण वे अपने सपनों को नहीं पूरा कर पातीं। पढ़ाई के लिए घर से जाती हैं तो उन्हें पड़ोसियों से ताने सुनने पड़ते हैं। इन सबसे जूझते हुए वे समाज की कुरीतियों और रुढ़िवादी सोच को पार कर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही हैं। ऑटो से कॉलेज जाने वाली लड़कियां घबराती हैं कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। बेटियों में व्याप्त इस डर को खत्म करने की जरूरत है। इस दिशा में हम सभी को प्रयास करने होंगे। बेटियों का मानना है कि उन्हें समानता का अधिकार दिलाना है तो उनके माता-पिता की भी काउंसलिंग होनी चाहिए। पढ़ाई में उन्हें बेटों के समान सहूलियतें मिलें। चौराहों से कॉलेज और घर तक ऐसा माहौल बने कि वे बेफिक्र होकर कहीं भी आ जा सकें। करियर काउंसलिंग के लिए और बेहतर व्यवस्था हो। कॉलेज जाने वाली एक बेटी ने बताया कि सरकार की सख्ती के बाद भी अभी कुछ स्थानों पर लड़कियां परेशानी झेल रही हैं। उनको सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए और घर वालों से सहयोग चाहिए। इससे उन्हें अपने सपने पूरे करने में आसानी होगी।
पुलिस की बराबर गश्त हो तो मिलेगा सुरक्षित माहौल
कॉलेज जाने वाली कुछ बेटियों ने बताया कि सरकार द्वारा महिला सुरक्षा के लिए चलाए जा रहे नित नए अभियान के बाद भी कुछ लोगों की मानसिकता अभी भी नहीं बदली है। नुक्कड़ व चौराहों पर तमाम शोहदे खड़े मिलते हैं, जो आने जाने वाली बेटियों के साथ छेड़छाड़ की घटना को अंजाम देते हैं। इसकी रोकथाम के लिए पुलिस की गश्त बराबर होनी चाहिए जिससे अराजक तत्वों पर लगाम लग सके और एक बेहतर माहौल मिल सके। वहीं एक बेटी ने बताया कि कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहां छोटी उम्र के बच्चे भी नशा का सेवन करते हैं। ऐसे में वहां से गुजरने पर असुरक्षा का भय बना रहता है। ऐसी जगहों पर पुलिस को एक्शन लेना चाहिए। इन घटनाओं पर पूरी तरह से लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे जिससे अपराधियों व अराजक तत्वों के हौसले पस्त हों।
शहर में बने पिंक टॉयलेट नहीं हैं उपयोग के लायक
मुरादाबाद। बेटियां घर से लेकर नौकरी और बड़े से बड़े विभाग की कमान संभाल रही हैं। लेकिन बात अगर उनके सम्मान की करें तो शौचालयों की बात करना लाजमी है। बेटियों के सम्मान में कॉलेजों व बाजार आदि स्थानों पर पिंक शौचालय बने तो हैं पर हालत बेहद खस्ता है। वहीं कॉलेज में कुछ बेटियों ने बताया कि घर से निकलने पर हम कहीं भी आपातकाल स्थिति में शौचालय नहीं जा सकते। कॉलेज में बने शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है। वहीं भीड़ भाड़ वाले स्थान पर भी महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं और व्यवस्था है भी तो उनकी स्थिति बेहद खराब है। ऐसे में संबंधित विभाग को शौचालयों की व्यवस्था करानी चाहिए। पिंक टॉयलेट तो हैं लेकिन लगे रहते हैं ताले: मुरादाबाद की बेटियों ने बाजार व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पिंक टॉयलेट की मांग की है। उन्होंने बताया कि जो कुछ पिंक टॉयलेट शहर में हैं उनमें भी ताले लगे रहते हैं। जिससे हम उनका उपयोग नहीं कर पाते। निगम को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। पिंक टॉयलेट की सुविधा मिलने से हम सेफ महसूस करते हैं। इस तरह की सुविधा शहर में व्यस्त चौराहों और बाजारों में होनी चाहिए। शहर में बनाए गए पिंक टॉयलेट पर निगम को ताले नहीं लगाने चाहिए।
कॉलेज में कैंटीन नहीं, पानी की गुणवत्ता खराब
कॉलेज में पढ़ने के लिए आएं और लंच टाइम में दोस्तों संग गपशप न हो तो कॉलेज लाइफ फीकी सी लगती है। लेकिन लंच टाइम के लिए उचित स्थान भी होना जरूरी है। जहां लड़कियां बैठकर खाना खा सकें, पर जिले के डिग्री कॉलेजों में कैंटीन व पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में घर से टिफिन न लाने पर कॉलेज के बाहर आकर खाना पड़ता है। यह एक बड़ी समस्या है। हर कॉलेज में एक कैंटीन की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए जिससे कॉलेज में पढ़ने आए छात्रों को कॉलेज के बाहर जाना न पड़े। वहीं पीने के पानी में गंदगी से पानी पीने का मन नहीं करता। कई जगह तो टोटियां ही खराब हैं। जबकि गर्मी के मौसम में इन्हीं से बंदर व अन्य जानवर भी पानी पीते हैं।
खुद निर्णय लेने में कोई बाधा न बने
आज के दौर में बेटियों को माता-पिता उड़ने के लिए पंख तो दे रहे हैं पर आज भी उन्हें थोपे फैसलों पर निर्भर रहना पड़ता है। तभी उनके सपनों को रफ्तार नहीं मिलती। कुछ बेटियां ने कहा कि उन्हें अपने करियर के चुनाव में खुद निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। अपने करियर में बनना कुछ चाहती हैं और माता-पिता की अनुमति के कारण उन्हें अपने सपनों को ताख पर रखना पड़ता है। बेटियों से देरी का कारण पूछा जाता है तो बेटों से क्यों नहीं।
सुरक्षा मिले या ऐसे ऑटो चलें जिसमें छात्राएं ही बैठें
घर से कॉलेज के लिए ऑटो लेना भी एक बड़ी चुनौती है, जब खुद ऑटो चालक लड़कियों को देखकर ऑटो में ज्यादा सवारियां बैठाते हैं। तो कहीं सवारियां ज्यादा होती हैं। ऐसे में या सुरक्षित सफर हो या ऐसे आटो का कान्सेप्ट हो जहां लड़कियों के लिए सेप्रेट आटो की व्यवस्था हो। जिससे असुरक्षा की भावना पूरी तरह से खत्म हो जाए।
सुझाव
1. हर क्षेत्र में एक लाइब्रेरी आवश्य होनी चाहिए, जिससे पढ़ाई के लिए घर से ज्यादा दूर न जाना पड़े। लड़कियों को आने-जाने में दिक्कत न हो।
2. क्षेत्र में पुलिस कर्मी या महिला पुलिस कर्मी की तैनाती हो, जिससे नुक्कड़ पर खड़े शोहदों के मन में खौफ रहे। साथ ही बेटियां अपने घर सुरक्षित पहुंच सकें।
3. ऑटो में कम से कम चार लोग ही बैठाएं जाएं जिससे छेड़छाड़ जैसी घटनाओं पर रोक लगे। ऑटो चालक लड़कियों को देखकर ज्यादा लोगों को बैठाते हैं।
4. इंटर के बाद बेटियों के साथ माता-पिता की काउंसिलिंग होनी चाहिए, जिससे बेटियों के सपनों में कोई भी सेंध न लगा सके।
5. समय-समय पर बेटियों के लिए करियर काउसिलिंग होनी चाहिए, जिससे इंटर के बाद विषय व क्षेत्र चुनने में उन्हें कोई दिक्कत न हो सकें।
शिकायतें
1. क्षेत्र में लाइब्रेरी न होने से घर से दूर पढ़ने जाना पड़ता है, जिससे आने और जाने में आधे से ज्यादा समय खराब हो जाता है।
2. हर समय परिवार हमारी सुरक्षा को लेकर चितिंत रहता है। कई बार सुरक्षा को देखते हुए घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता है।
3. ऑटो में सफर के दौरान ऑटो चालक जानबूझकर अधिक लोगों को बैठाता है, जिससे तमाम दिक्कतें होती हैं।
4. करियर में अपने माता-पिता के कहने पर अपने सपनों को एक तरफ रखना पड़ता है क्योंकि उनकी अनुमति नहीं मिलती।
5. इंटर के किसी क्षेत्र में जाने की जानकारी नहीं होना भी बड़ी समस्या है। बेहतर गाइडेंस मिले तो समस्या खत्म होगी।
05 डिग्री कॉलेजों में शिक्षा ले रही हैं करीब 10 हजार बेटियां
02 निजी कॉलेजों में अध्ययनरत हैं 6 हजार बेटियां
02 हजार बेटियां टेक्निकल व स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़ रही हैं आगे
मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। जानकारी न होने के कारण इंटर गणित से किया। जब पढ़ाई के लिए बड़े कॉलेज में दाखिला लेना चाहा तो मिल न सका। मेरा सपना अधूरा सा लगता है। व्यवस्था होनी चाहिए। -सुष्मिता सिंह
आज के दौर में भी बेटियों को अपने करियर के चुनाव का अधिकार नहीं है। मेरी एक दोस्त डॉक्टर बनकर समाज सेवा करना चाहती थी पर उसके माता-पिता ने उसे बीएड करा दिया।
-आंचल
मेरा घर लाइनपार में है लेकिन अक्सर कॉलेज के लिए मुझे स्टेशन पार करके आना पड़ता है। स्टेशन पर कुछ लोग आए दिन लड़कियों के साथ अभद्रता करते हैं। इन पर लगाम लगाने की जरूरत है।
-शिक्षा शर्मा
घर के आस-पास या क्षेत्र में कोई लाइब्रेरी नहीं है, जिससे परिवार के लोग हमारी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। कई बार घर आने में भी देरी हो जाती है। इससे परिवार के लोग डरे रहते हैं।
-तान्या पांडेय
सोशल मीडिया पर भी लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं। आज के दौर में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी लड़कियां अपनी फोटो नहीं शेयर कर सकतीं। कुछ मनचले अभद्र टिप्पणी करते हैं। इनको सुधारने की जरूरत है।
-शगुन
इस दौर में मोबाइल फोन एक बड़ी समस्या है। छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल फोन पर देखकर गलत व्यवहार सीखते हैं और वही समाज में गंदगी फैलाते हैं। उन्हें सभ्य बनाया जाए। इनके लिए सोचना चाहिए।
-रवलीन कौर
मेरा घर कॉलेज से बहुत दूर है, मुझे ऑटो से सफर करना पड़ता है। चालक लड़कियों को देखकर ऑटो देर से चलाते हैं। ऑटो में अत्यधिक लोगों को बैठा लेते हैं। इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
-उर्मिला यादव
मुझे अपने जीवन में एक सफल इंसान बनना है। लेकिन, मेरे माता-पिता मेरी सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित रहते हैं। जिसकी वजह से मुझे कभी-कभी मानसिक तनाव की स्थिति रहती है।
-रिया
समाज में आज भी कुछ लोगों की सोच रूढ़िवादी है। लड़कियों को अपने सपने पूरे करने के लिए इस तरह की सोच की अनसुनी कर आगे बढ़ना पड़ रहा है। लोगों को सोच बदलनी चाहिए।
- शिविका
सभी को अपने करियर में एक गोल सेट करना चाहिए, जिससे वह अपने सपनों को बिना किसी अड़चन के पूरा कर सकें व समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकें। सभी को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
-कीर्ति
लड़कियों की सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार अनेक अभियान चला रही हैं, फिर भी कई जगह लड़कियां असुरक्षित हैं। सरकार को लड़कियों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाने होंगे।
-शिवि त्यागी
नौवीं के बाद से ही लड़कियों के लिए करियर संबंधी काउसिलिंग होनी चाहिए, जिससे इंटर के बाद लड़कियों को अपने कॅरियर चुनाव में दिक्क्त न हो। इसके लिए सरकार की तरफ से पहल की जानी चाहिए।
-कंग
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