सेहत की मुश्किल बढ़ा देगी मिठाई की 'आउटसोर्सिंग'
दीवाली के त्योहार पर मिठाई का चलन बढ़ गया है, लेकिन आउटसोर्सिंग से बनी मिठाइयों की गुणवत्ता चिंता का विषय है। विशेषज्ञों के अनुसार, पुरानी मिठाइयां सेहत के लिए हानिकारक हो सकती हैं। शुगर रोगियों को...
दीवाली के त्योहार की खुशी मुंह मीठा कर लेने से बढ़ जाती है। इसी के मद्देनजर त्योहार पर मिठाई का चलन बेतहाशा बढ़ गया है। चिकित्सकों के मुताबिक थोड़ी और सीमित मात्रा में मिठाई खाना सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं है, लेकिन आउटसोर्सिंग से बनने वाली मिठाई की कम गुणवत्ता मुश्किल पैदा कर सकती है। मुरादाबाद में परामर्श चिकित्सक डॉ.आरसी अग्रवाल ने बताया कि बड़े पैमाने पर मिठाई की बिक्री होने के मद्देनजर इसे तैयार करने में आउटसोर्सिंग का बढ़ता चलन सेहत की दिक्कतें बढ़ा रहा है। कई दिनों पहले ही आउटसोर्सिंग से तैयार कराई गईं मिठाइयां ज्यादा पुरानी होने के चलते सेहत को खतरे में डाल सकती हैं। ऐसी मिठाई की जगह थोड़ी मात्रा में खील और चीनी से बने खिलौनों का सेवन कर लेना बेहतर है। शुगर आदि बीमारी से पीड़ित मरीजों को अधिक मीठे और पकवानों से परहेज करना जरूरी है। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.संजीव सक्सेना ने बताया कि धान से बनी खील मीठे खिलौनों के साथ खाना इस मौसम में शरीर के बढ़े पित्त को घटाने में फायदेमंद है। डॉ.बलराज सिंह ने बताया कि खील-खिलौने शीतवीर्य होने से पित्त नाशक हैं। ड्राई फ्रूट्स और गुड़ के उपयोग से बनी मिठाइयां सीमित मात्रा में सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
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