कोरोना काल में रिजल्ट की डिजिटल बधाई
यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परिणाम में बेटियों का दबदबा रहा। दोपहर बारह बजे के बाद रिजल्ट घोषित होते ही सबकी धड़कने तेज हो गईं। रिजल्ट जानने की बेसब्री मन में पनपने लगी। इसके बावजूद कोरोना...
यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परिणाम में बेटियों का दबदबा रहा। दोपहर बारह बजे के बाद रिजल्ट घोषित होते ही सबकी धड़कने तेज हो गईं। रिजल्ट जानने की बेसब्री मन में पनपने लगी। इसके बावजूद कोरोना महामारी ने खुशियों पर ऐसा ग्रहण लगाया कि आमतौर पर परीक्षा परिणाम के दिन गुलजार नजर आने वाले विद्यालय सूने ही नजर आए। हालांकि, प्रावीण्य सूची में शामिल होने वाले बच्चे जरूर विद्यालय पहुंचे। पर इन्होंने भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा। फोटो क्लिक कराने से लेकर बातचीत के वक्त मुंह पर मास्क ने भावों की अभिव्यक्ति पर विराम लगा दिया। दिन भर बधाईयों का सिलसिला डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से ही जारी रहा। वीडियो कॉलिंग के साथ ही व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से खुशियां बांटी गईं। बच्चों और उनके परिवारों ने इसी माध्यम से अपनी प्रसन्नता जाहिर की। कोरोना से मिलकर लड़ने का संदेशटॉप टेन में शुमार बच्चों ने भी बातचीत में कोरोना महामारी से मिलकर लड़ने का संदेश दिया। सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही वायरस के समूल नाश तक नियम व सतर्कताएं बरतने की सलाह दी। इसी के चलते सामान्य तौर पर परीक्षा परिणाम के दिन आयोजित होने वाले फैमिली गेट-टू-गेदर भी आयोजित नहीं हो सके। सबने परिवार में ही रहकर अपनी खुशियों को डिजिटल माध्यम से व्यक्त किया। दूर बैठे रिश्तेदारों से वीडियो कॉलिंग के जरिए बात की। दोस्तों को मैसेज किए। कुल मिलाकर माहौल बेहद सादगी भरा रहा। विद्यालयों में भी कुछ समय के लिए ही विद्यार्थी पहुंचे। गुरुजन का आभार व्यक्त करने के साथ ही आशीर्वाद लिया और घर वापसी की। मास्क के अंदर से मुस्कुराई मेधाकोरोना काल के चलते पहली शर्त चेहरे पर मास्क भी मुस्कुराहट की अभिव्यक्ति में बाधा बना। मास्क उतारा भी नहीं जा सकता था। हालांकि, फोटो क्लिक करने के लिए कुछ देर को बच्चों ने मास्क जरूर उतारा। पर फोटो क्लिक होते ही दोबारा से मास्क पहन लिया। गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई देने की जगह दूर से ही भावनाएं व्यक्त कीं। इस तरह दोस्तों संग आंखों का ही आंखों से संवाद हुआ। बड़ी सफलता हासिल करने के बाद मुंह से निकलने वाली खुशी की चीख भी मास्क में दबी-दबी नजर आ रही थी। स्कूलों में कम ही रही संख्याविद्यालयों ने भी सोशल डिस्टेंसिंग और बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर अधिक संख्या नहीं होने दी। हालांकि, हर तरफ मलाल जरूर नजर आया। सामान्य तौर पर रिजल्ट का दिन उत्सव का दिन बन जाया करता था। इस बार उत्सव तो था पर अभिव्यक्ति के लिए खुली हवा की सांस नहीं थी।
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