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बोले मुरादाबाद : दिनभर मेहनत, रातें भी काली फिर भी इनकी जेब खाली

Moradabad News - उत्तर प्रदेश के प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) जवानों की स्थिति बहुत खराब है। उन्हें उचित मानदेय और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में, सरकार ने ड्यूटी भत्ते में बढ़ोतरी की घोषणा की है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुरादाबादThu, 20 Feb 2025 08:57 PM
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बोले मुरादाबाद : दिनभर मेहनत, रातें भी काली फिर भी इनकी जेब खाली

ठसक यह कि हमारे संगठन (पीआरडी) की स्थापना 1948 में की गई। इसके बाद वर्ष 1952 में भौतिक संस्कृति परिषद का प्रांतीय रक्षक दल में विलय कर दिया गया। यह विभाग प्रांतीय रक्षक दल अधिनियम और नियमों के तहत संचालित है। प्रदेश में युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) विभाग इसकी देखरेख करता है। रिकार्ड में इस बात का भी दावा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक सद्भाव एवं शांति बनाए रखने, उन्हें आत्मनिर्भर और अनुशासित, आत्म सुरक्षा और अपराधों को रोकने की महती जिम्मेदार इसके सदस्य हैं। मगर सच कुछ अलग है। पुलिस के साथ सुरक्षा व्यवस्था में कदम से कदम मिलकर चलने वाले प्रांतीय रक्षक दल ( पीआरडी) जवानों की हालत सबसे खराब है। पुलिस थानों की सुरक्षा व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, मेलों, तीर्थ स्थलों और अन्य स्थानों पर सुरक्षा के लिए तैनात होने वाले इन जवानों की संख्या मुट्ठी भर है, लेकिन समस्याओं के बीच अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद योगी आदित्य नाथ ने उत्तर प्रदेश के 40 हजार प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) जवानों के ड्यूटी भत्ते में 20 रुपये का बढ़ोतरी की थी। इसके बाद पीआरडी जवानों का प्रतिदिन का ड्यूटी भत्ता 375 रुपये से बढ़कर 395 रुपये हो गया। तब सरकार ने अनुपूरक बजट में पीआरडी जवानों के ड्यूटी भत्ते में बढ़ोतरी की व्यवस्था की थी। लेकिन, शासनादेश जारी न होने के कारण पीआरडी जवान इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था। इससे पहले मार्च 2019 में सरकार ने पीआरडी जवानों का ड्यूटी भत्ता बढ़ाया था। इसमें ड्यूटी भत्ता 250 से बढ़ाकर 375 रुपये किया गया था। हालांकि पीआरडी जवान इस बढ़ोतरी से खुश नहीं थे। अब सरकार की ओर से मानदेय प्रति माह पांच सौ रुपये करने का ऐलान हुआ है। मगर, यह आदेश अगले वित्तीय वर्ष से प्रभावी होने की बात कही गई है।

ठाकुरद्वारा के संजय कुमार, डिलारी के कुलरतन सिंह, मुरादाबाद ब्लॉक के हरिराज सिंह, दीपक कुमार, धनेश कुमार, हीरा सिंह, योगेंद्र सिंह, आदित्य कुमार, सतवीर सिंह, अजय पाल सिंह, शेर सिंह, मनोज कुमार, पवन कुमार, सपना कुमारी, ज्योति रानी, प्रेमलता, सावित्री, अशोक देवी, गुड्डी, पूनम, शीतल और मनोरमा देवी सिलसिलेवार नियमित ड्यूटी के मौके नहीं मिलने पर अपनी पीड़ा बयां करती हैं। हालांकि पहले सभी खुलकर बोलने से बचते हैं और जब बात शुरू होती है तो पीड़ाओं का पहाड़ खड़ा हो जाता है। सच तो यह कि ग्रामीण खेलकूद, जिम के माध्यम से शारीरिक विकास एवं और युवा आन्दोलन की अहम कड़ी यहां उदास और हताश है। बात नौकरी की और वेतन की शुरू होते ही सदस्यों के चेहरे का रुआब छिन जाता है। पीआरडी के जवानों ने हिन्दुस्तान से अपना दर्द बयां किया है।

नाम और पहचान है जवान, डंडा भी नहीं देता विभाग

प्रांतीय रक्षक दल के सदस्यों को नौकरी नहीं, काम का अवसर मिलता है। सुरक्षा की सेवा वाले लोगों को जवान की पदवी हासिल है। लेकिन, उसके बाद भी विभाग की ओर से एक डंडा तक भी नहीं दिया जाता है। वर्दी और जूते की तो बात ही अलग है। रक्षक दल के सदस्य इन सब सवालों को लेकर अवसाद में नजर आते हैं। किसी जमाने में उन्हें सेवा के अवसर के आधार पर ब्लॉक कमांडर का पद हासिल था। मगर अब सभी की पहचान जवान के ही रूप में है।

गलत व्यवहार की शिकायत पर मिलती है नसीहत

मुरादाबाद। पीआरडी के जवानों ने कहा कि चौराहे और तिराहें पर ड्यूटी करने के दौरान लोग राहगीर और वाहन चालक उनके साथ अमार्यादित व्यवहार करते है। उसके बाद भी कोई अधिकारी सुनने वाला नहीं है। अधिकारियों से शिकायत करने पर भी उनको ही सही तरह से काम करने की नसीहत दी जाती है। सुनवाई नहीं होने की स्थिति में वह सबकुछ सहन करते हुए ड्यूटी करने के लिए विवश है। इस पर अंकुश लगना चाहिए।

ट्रैफिक व्यवस्था को चला रहे पीआरडी जवान

शहर की यातायात व्यवस्था को पीआरडी जवान चला रहे हैं। कई तिराहा और चौराहा ऐसे हैं,जिन पर सिर्फ पीआरडी को ही तैनात किया गया है। पूरी जिम्मेदारी के साथ दिनभर ट्रैफिक व्यवस्था इन्हीं के हाथों में होती है। वहीं,कुछ चौराहों और तिराहों पर भी पीआरडी के साथ होमगार्ड के जवान भी तैनात होते है। इन स्थानों पर पुलिस कर्मी नहीं रहते हैं। तहसील क्षेत्रों में भी ये अहम जिम्मेदारियां निभाते हैं।

भर्ती के लिए प्रमाणपत्र

शारीरिक फिटनेस के अलावा, मानसिक स्वास्थ्य भी पीआरडी जवान के चयन प्रक्रिया का मानदंड है। इसके लिए सरकारी एजेंसी या किसी अन्य सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया फिटनेस प्रमाणपत्र सदस्यों के लिए अनिवार्य किया गया है। सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी की न्यूनतम लंबाई 167 और आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी के लिए 160 सेमी निर्धारित की गई है। महिलाओं के लिए सामान्य श्रेणी में 152 सेमी और आरक्षित श्रेणी में 147 सेमी लंबाई अनिवार्य है।

यह मिलता है मानदेय

30 दिन की ड्यूटी पर रुपये 11850, 31 दिन की ड्यूटी पर रुपये 12245

दैनिक मानदेय: 395

पुरुष जवान: 302

महिला जवान: 30

अप्रैल माह में होगा: 500

तैनाती ट्रैफिक पुलिस: 50

थाने: पांच-पांच

अन्य स्थान: स्टेडियम, मंडी, पॉलिटेक्निक- महिला और पुरुष, आईटीआई, एमडीए, पराग केंद्र, बिजली विभाग।

सुझाव

1.सरकार की ओर से पीआरडी जवानों को भी होमगार्ड के बराबर मानदेय दिया जाए। तो इनका मनोबल बढ़ेगा।

2.ड्यूटी के दौरान होमगार्ड और पुलिस के बराबर का सम्मान मिलना चाहिए, इससे पीआरडी जवान खुद को सम्मानित महसूस करेंगे।

3.पीआरडी जवानों से चतुर्थ श्रेणी का काम नहीं लिया जाए। इससे वे अपमानित महसूस करते हैं।

4.सरकर वर्दी के लिए भी रुपये दे। तो इससे उनके ड्यूटी के लिए मिलने वाले रुपयों की बचत होगी।

5.यातायात व्यवस्था चलाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए। इससे वे काम करने के लिए अधिक सक्षम होंगे।

6.सरकार पीआरडी जवानों के लिए सुविधाएं बढ़ाए। तो इनमें काम करने के लिए जुनून बढ़ेगा और सुरक्षा व्यवस्था में अधिक सहयोग कर सकेंगे।

शिकायतें

1.यातायात व्यवस्था के दौरान पीआरडी जवानों के साथ दुर्ष्ववहार किया जाता है। इससे वे अपमानित महसूस करते हैं लेकिन, शिकायत पर नसीहत मिलती है।

2.मानदेय काफी कम है। इससे परिवार को पालना मुश्किल है। मांग के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है।

3.मौसम के अनुकूल वर्दी खुद ही बनानी पड़ती है। सरकार से इसके लिए कुछ नहीं मिलता है।

4.पीआरडी जवानों को अवकाश मिलने का भरोसा नहीं है। ये प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं।

5.पीआरडी जवानों का मानदेय इतना कम है कि एक मजदूर भी इनसे अधिक रुपये कमा लेता है।

6.पीआरडी जवानों से चपरासी स्तर का काम करवाया जा रहा है। अनसुनी करने पर अधिकारियों की सुननी पड़ती है। इससे ये पीड़ित हो रहे हैं।

हमारी स्भी सुनें

हमें अपनी ड्यूटी का पता ही नहीं रहता। कब काम मिलेगा और कब अवकाश पर जाना पड़ेगा, यह तय होना चाहिए। इस व्यवस्था में सुधार हो तो हमें सहूलियत मिले सकेगी।

-जितेंद्र सिंह

हमें प्रशासनिक ड्यूटी मिलनी चाहिए। अन्य सभी विभागों में समय से पैसा भी नहीं मिलता है। काम करने वाले का भी तो घर परिवार और अपनी जरूरतें हैं।

-राकेश कुमार

जब मैं नौकरी में आया। तभी से अभी तक नौकरी को लेकर यह बात तय नहीं हो पाई कि इस सेवा की गांरटी है या नहीं। सरकार को इस विषय पर सोचना चाहिए। इसमें सुधार की जरूरत है।

-भूपेंद्र सिंह

हमें पुलिस विभाग की भर्ती में कोटा मिलना चाहिए। पीआरडी जवानों के साथ उचित व्यवहार नहीं होता है। इससे हम लोग असम्मानित महसूस करते हैं। हमें भी उचित सम्मान मिलना चाहिए।

-धर्म सिंह

निजी ड्यूटी के दौरान हमारे साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता है। घरेलू कार्य कराया जाता है। वर्दी में काम करने वालों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए। हमें उचित सम्मान मिलना चाहिए।

-अनेक पाल

समान वेतन और समान कार्य का सिद्धांत हम लोगों के साथ लागू नहीं होता है। हमारा मानदेय बढ़ाया जाना चाहिए। इस विषय पर सरकार विचार करे तो हमारी उम्मीद कायम रहेगी।

-नेमपाल सिंह

ड्यूटी के दौरान घायल होने पर हमें कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती है। पुलिस और सुरक्षा से संबंधित सभी लोगों को यह सुविधा मिलती है। हमें भी यह सुविधा मिले तो राहत मिलेगी।

-नानक चंद

इंटर पास होने के बाद नौकरी मिली। कई लोगों का परिवार है। खर्चा नहीं चल पाता। प्राइवेट ड्यूटी में हमें समय से मानदेय नहीं मिलता है। हमारा मानदेय समय पर मिलना चाहिए।

-अजय पाल

सबसे खराब स्थिति पराग डेयरी, मंडी समिति, कस्तूरबा गांधी विद्यालय और पॉलिटेक्निक में काम करने की है। इस केंद्रों पर मानदेय कई महीने बाद मिलता है।

-मैनपाल

हर दिन महंगाई बढ़ रही है। नौकरी के बाद भी हम बेरोजगार जैसे ही हैं। हमें मानदेय बहुत कम मिलता है, इस कमाई से परिवार का खर्च चलना मुश्किल हो रहा है। मानदेय बढ़ना चाहिए।

-महेंद्र पाल सिंह

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