बोले मुरादाबाद : हम पर बड़ी जिम्मेदारी, कोई न समझता दुश्वारी
Moradabad News - आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने स्थायित्व और मानदेय की मांग की है। उन्हें ग्राम सभा में उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। कार्यकत्रियों का कहना है कि 20 वर्षों में मानदेय में केवल मामूली वृद्धि हुई है। वे...
आगनबाड़ी कार्यकत्रियां स्थायित्व और मानदेय को लेकर मुखर हैं। अपनी सेवाओं को लेकर विस्तार से बात रखती हैं। इस बात का भी दुख व्यक्त करतीं हैं कि ग्राम सभा में प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव भी उन्हें उपेक्षा की नजर से देखते हैं। यह आरोप लगाने के पहले आंगनबाड़ी कार्यक्त्रिरयां विद्यालय परिसर में आवंटित अपने कक्ष की बदरंग तस्वीर दिखाने से नहीं चूकतीं। शहर में तैनात महिलाओं को यह चिंता सताती है कि 750 रुपये में कौन-सा उत्तम कार्यालय मिलेगा? जहां केंद्र का सुचारू संचालन होगा। ऐसे में कर्मचारी संगठनों की राय और इनके बीच उपजे इन अनगिनत सवालों को लेकर हम बाल विकास परियोजनाओं की इन कड़ियों की जरूरत और उम्मीदों की चर्चा कर रहे हैं। संगठन के सदस्य, सरकारी दस्तावेज में जमीनी स्तर की कर्मचारी अर्थात आंगनबाड़ी कार्यकत्री, मिनी कार्यकत्री व सहायिका की स्थिति बहुत ही दयनीय, असुरक्षित व अनिश्चित बताते हैं। कर्मचारी हित के सवालों पर संगठन के सदस्य जानकारी देते हैं कि राज्य सरकार का महिला एवं बाल विकास विभाग नियमानुसार, विज्ञापन जारी कर उनकी नियुक्ति करता है। इनका कार्य बारहमासी है। कोई अल्पावधि का नहीं। न ही कोई सेवा ब्रेक है। विभाग सहित कई सरकारी विभागों व योजनाओं, बीएलओ आदि बहुयामी कार्य करने की अवधि भी प्रतिदिन 8 घंटे से भी अधिक है। लेकिन, इन्हें जो धनराशि इस कार्य के बदले दी जाती है वो वेतन या पारिश्रमिक न होकर मानदेय कहा जाता है। चौपाल पर यह बात प्रमुखता से सामने आई कि जिन महिला कर्मचारियों ने अपना लंबा जीवन समाज के सबसे गरीब, वंचित बच्चों, महिलाओं की सेवा जैसे बहुत ही पवित्र व महान कार्य में बिताया है, अब उनके अपने, परिवार तथा बच्चों के लिए बिना किसी पेंशन, फंड, किसी एक मुश्त रिटायरमेंट लाभ अथवा ग्रेच्युटी के खाली हाथ, आंखों में आंसुओं का सैलाब लिए एक-एक कर विदा हो रही हैं। सभी टकटकी लगाकर सरकार की तरफ उसके बजट की ओर बड़ी आशा व उम्मीद से देख रही हैं।
आंगनबाड़ी कर्मचारियों के कठिन संघर्ष के चलते मानदेय कई बार बढ़ा है, वह नियमित हुआ है। खातों में भुगतान हुआ है, पक्के आंगनबाड़ी केंद्र बने हैं, फर्नीचर आदि मिला, यूनिफार्म व कुछ अन्य सुविधाएं मिली हैं, लेकिन हमारी मूल मांगों, हकों, अधिकारों व असली सम्मान अर्थात सरकारी कर्मचारी का दर्जा व नियमानुसार वेतन-भत्तों पर केंद्र व राज्य सरकारों की गहरी चुप्पी है। कर्मचारी संगठन, इनके अधिकार के लिए जंग का ऐलान करने वाले इन सभी सवालों पर सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं।
20 साल में मानदेय पहुंचा मात्र सात हजार: परियोजना संचालन के आरंभिक दिनों में हजार रुपये मासिक मानदेय पर जुड़ी कार्यक्त्रिरयों का सफर छह से सात हजार रुपये तक ही सीमित है। 20 सालों के सफर में मामूली वृद्धि को लेकर सदस्य क्षोभ में है। सहायिकाएं तो खुद को और बेबस पा रही हैं। सीता देवी कहती हैं कि पोषाहार वितरण, बच्चों की शिक्षा, टीकाकरण, गोद भराई, अन्नप्राशन, किशोरी दिवस, पोर्टल पर पोषाहार वितरण की जानकारी सहित 15 से अधिक कार्य हमारे जिम्मे है। 14 विभिन्न रजिस्टरों में परियोजना के कार्य का विवरण अंकित करना होता है। कर्मचारी नेता श्रीकांत यादव कहते हैं कि गांवों के घर-घर की जानकारी होने का हवाला देकर सरकार कार्यक्त्रिरयों और सहायिकाओं से मेहनत तो करती है। लेकिन, पारिश्रमिक के नाम पर चंद रुपये का योगदान देती है।
कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा विभाग : जानकी
प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी जानकी देवी कहती हैं कि बाल विकास परियोजना विभाग सरकार की गांव तक जुड़ाव की हम कड़ी है। इस कड़ी के जरिए हम छोटे बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं के सेहत के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। स्वास्थ्य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और पंचायत के अनगिनत कार्य हम इस कड़ी से करते हैं। लेकिन, पूरा विभाग कर्मचारी की कमी से जूझ रहा है। 2770 केंद्र जिले में संचालित हैं। हमारा कार्य शहर और देहात के आधार पर होता है। विकास खंडवार उसकी निगरानी की जाती है।
पदोन्नति सबसे प्रमुख समस्या है : चमन आरा
आंगनबाड़ी कार्यकत्री वेलफेयर एसोसिएशन की प्रांतीय महासचिव चमन आरा ने बताया कि मुख्य सेविका संवर्ग की सबसे प्रमुख समस्या पदोन्नति है। प्रदेश में आईसीडीएस एकमात्र ऐसा विभाग है, जहां वर्ष 2009 से 2024 तक मुख्य सेविका संवर्ग से बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर पदोन्नति नहीं हुई है। जबकि विभाग में बाल विकास परियोजना अधिकारी के पदोन्नति के (कुल 449) 100 प्रतिशत पद रिक्त हैं, जिससे विभागीय योजनाओं का संचालन भी सुचारू से नहीं हो पा रहा है।
सरकार तक पहुचाएंगी अपनी बात : रजनी
आंगनबाड़ी कार्यकत्री एवं सहायिका वेलफेयर एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष रजनी दिवाकर का कहना है कि हमारा संगठन और कर्मचारी सरकार की प्रमुख योजनाओं को जमीन पर उतरने वाले सदस्यों का समूह है। हम बच्चों की सेहत उसकी मां की स्वास्थ्य की चिंता करते हैं। लेकिन, हमें मेहनत का उचित पारिश्रमिक नहीं मिलता है। अभी हम संगठन की एकजुटता को लेकर काम कर रहे हैं। 23 मार्च को महानगर स्थित डॉ.बीआर आंबेडकर पार्क में प्रदेश भर की आंगनबाड़ी कार्यकर्तियां एकत्र होंगी।
काम के बदले मिले उचित मानदेय : रश्मि यादव
कार्यकत्री रश्मि यादव का कहना है कि हम 24 घंटे कार्य के प्रति हम जवाबदेह हैं। हमें निर्धारित मानदेय मिलता है। सरकार हर तरह के सर्वे में हमारी जिम्मेदारी निर्धारित कर दे रही है। हमें काम के बदले उचित मानदेय भी मिलना चाहिए। साल 2009 से विभाग में प्रमोशन नहीं हुआ। सुपरवाइजर को 25 बच्चों की जिम्मेदारी मिलनी चाहिए, लेकिन कई केंद्रों पर 125 से 300 तक यह संख्या है। यह आइडिया ठीक नहीं है। पहले सुपरवाइजर को हर काम के बाद यात्रा भत्ता मिलता था। अब मार्च के महीने में गिने-चुने लोगों को ही यह फंड मिल रहा है। कार्यकत्रियों को स्थायित्व नहीं मिलता : सविता
एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष साविता यादव ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को स्थायित्व और गुजर बसर के राजकीय बंदोबस्त का मलाल है। दुख इस बात का भी है की ग्राम सभा में प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव भी उन्हें उपेक्षा की नजर से देखते हैं। यह आरोप लगाने के पहले आंगनबाड़ी कार्यक्त्रिरयां विद्यालय परिसर में आवंटित अपने कक्ष की बदरंग तस्वीर दिखाने से नहीं चूकतीं। शहर में काम करने वालों को यह चिंता सताती है कि 750 रुपये में कौन सा उत्तम कार्यालय मिलेगा, जहां से केंद्र संचालित होंगे। इन अनगिनत सवालों की चर्चा के बीच हम बाल विकास परियोजनाओं की इन कड़ियों की जरूरत और उम्मीदों की चर्चा कर रहे हैं। कार्यकत्रियों को उच्चीकृत व्यवस्था व सुविधाओं की दरकार है।
----
सुझाव
1. आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को फुल ड्रेस दिया जाए। केवल साड़ी दी जाती है। हर सरकार अपने रंग की साड़ी देती है। हमारा ड्रेस कोड होना चाहिए।
2. ग्राम पंचायत के स्कूल भवन परिसर में बाल विकास परियोजना के लिए सुविधायुक्त कार्यालय भवन की व्यवस्था हो। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की स्थाई कार्य का निर्धारण हो।
3. बिना पारिश्रमिक के हमें ड्यूटी दे दी जाती है। सरकार द्वारा शुरू टीबी निदान की योजना का संचालन 100 दिन होना है। ऐसे में इस कार्य का पारिश्रमिक मिलना चाहिए।
4. पहले कार्यकत्रियों को स्टेशनरी आदि मिलते थे लेकिन अब नहीं मिलते। यह व्यवस्था दोबारा शुरू होनी चाहिए।
शिकायतें
1. मुख्यमंत्री पोर्टल पर पोषाहार वितरण में शिकायत की जाती है। यह कार्य एजेंसी को करनी होती है और जवाबदेही हमारी होती है।
2. गांवों के स्कूलों में आंगनबाड़ी केंद्र का कक्ष बहुत छोटा होता है। परियोजना के कई केंद्रों पर 130 से 300 लाभार्थियों के पोषाहार रखने में दिक्कत होती है।
3. हमारे कार्य का विवरण जिस ऐप और सिस्टम में होता है उसे अक्सर बदल दिया जाता है। वर्जन बदलने की जानकारी हमें नहीं दी जाती है।
4. कर्मचारियों से सभी विभागों में कार्य की जिम्मेदारी देने के पहले उन्हें उस कार्य की ट्रेनिंग दी जाती है जबकि, हमें ऐसे किसी कार्य का प्रशिक्षण नहीं मिलता है। हमें भी प्रशिक्षण मिलना चाहिए।
2770 आंगनबाड़ी केंद्र हैं मुरादाबाद जनपद में
362 कार्यकत्रियों के पद खाली पड़े हैं पूरे जिले में
91628 बच्चे तीन से पांच साल के हैं शामिल
19875 बच्चे पांच से छह साल के हैं जिले में
हमारी भी सुनें
आंगनबाड़ी केंद्रों में टॉयलेट और यूरिनल का कोई इंतजाम नहीं होता। बीएलओ से लेकर राशन कार्ड बांटने में हमारी जिम्मेदारी तय हो जाती है। लेकिन, काम की समीक्षा नहीं होती।
- शीतल, सुपरवाइजर
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सैलरी बहुत कम होती है। पेंशन मिलती नहीं है। 62 साल के बाद काम करने का ऑप्शन नहीं मिलता। हमारी सेवा अवधि बढ़ाई जाए।
-सीमा सिन्हा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
हमें सरकारी मिशन देने के साथ, कपड़ों के रंग से सरकार के प्रचार का जरिया बनाया जाता है। यह ठीक नहीं है। कभी भी ड्रेस का रंग बदल जाता है।
-जैनब, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
हमारे जिम्मे में 18 से अधिक रजिस्टर मेंटेन करने की जिम्मेदारी है। ग्रामीण क्षेत्र में कई तरह की उपेक्षाएं झेलनी पड़ती हैं।
-ममता भारद्वाज, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
स्वास्थ्य, टीकाकरण में हमसे काम लिया जा रहा है। अब मातृ वंदना योजना सहित तरह-तरह के कार्य हमें सौंप दिए गए हैं।
- नाहिद जहां, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सैलरी बहुत कम होती है। पेंशन मिलती नहीं है। 62 साल के बाद काम करने का ऑप्शन नहीं मिलता।
-सविता सक्सेना, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
अब कार्यक्त्रिरयों को मोबाइल के लिए कोई धनराशि नहीं मिलती। जबकि, डाटा भेजने से लेकर के हर तरह की सूचनाओं में मोबाइल का इस्तेमाल होता है।
-मधुबाला शर्मा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
दो साल पहले बच्चों की तौल के लिए जो मशीनें दी गईंर्, वे अधिकतर केंद्रों पर खराब हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के आधार पर उसकी रीडिंग नहीं आती।
-मनोज कुमारी, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
सेवानिवृत कर्मचारियों को सरकार करों में छूट दे। क्योंकि, आदमी सेवानिवृत के बाद लिमिटेड आमदनी पर गुजर बसर को मजबूर होता है।
-मिथिलेश कुमारी, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
हमारे जिम्मे कई रजिस्टर मेंटेन करने की जिम्मेदारी है। स्कूलों में जर्जर भवन आंगनबाड़ी कार्यकत्री को दिया जाता है।
-सीमा गुप्ता, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
हमसे अब मातृ वंदना योजना सहित कई कार्य सौंप दिए गए हैं। हमारा मूल काम छोटे बच्चे और गर्भवती, धात्री की सेवा है।
- कविता टंडन, आंगनबाड़ी कार्यकत्री
सरकार हर तरह के सर्वे में जिम्मेदारी थोप रही है। ऐसे में काम के बदले उचित मानदेय भी मिले। ताकि परिवार चल सके।
- विमला, सहायिका
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।