बोले मिर्जापुर : किराया क्या बढ़ाया, संकट में फंस गई रोजी रोटी
Mirzapur News - विंध्याचल के नाई समाज के लोग नवरात्र के बाद बेरोजगार हो जाते हैं। दुकान के किराए में चार गुना वृद्धि और स्थाई रोजगार की कमी से ये लोग पलायन के लिए मजबूर हैं। यजमानी प्रथा खत्म होने और अन्य व्यवसायियों...
धार्मिक आयोजनों से लेकर लोगों के सिर के बाल और डाढ़ी बनाने वाले विंध्याचल के नाई समाज के लोग नौ दिनों के नवरात्र के बाद बेरोजगार हो जाते है। विंध्यकारिडोर बनने के बाद दुकानों का किराया चार गुना हो जाने से नाई समाज के लोग सैलून भी नहीं खोल पा रहे है। इनकी संख्या लगभग पांच सौ के करीब है। इनमें कई ऐसे नाई है जिनकों प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना का भी लाभ नहीं मिल पाया है। स्थाई रोजीरोटी की व्यवस्था न होने से नाई समाज के लोग अन्यत्र पलायन के लिए विवश है। नाई समाज का आम लोगों से संबंध प्राचीन काल से ही है। धार्मिक आयोजन हो या फिर बाल-डाढ़ी बनाने का कार्य हो नाई समाज के बगैर कोई कार्य नहीं हो पाता है। फिर भी इस समाज के लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है। अब यजमानी प्रथा भी लगभग समाप्त हो गई है। इससे नाई समाज के लोगों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या भी खड़ी हो गई है। विंध्याचल मंदिर परिसर में जुटे नाई समाज के लोगों ने हिन्दुस्तान से चर्चा में अपनी समस्याओं को खुल कर रखा। अंकित का कहना है कि नवरात्र में केवल नौ दिन ही मुण्डन और यज्ञोपवित संस्कार से थोड़ा बहुत कमाई हो जाती है। इसके बाद पूरे छह माह कोई काम नहीं मिल पाता है। स्थाई रोजगार न होने से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। आकाश का कहना है कि विंध्य कारिडोर का निर्माण कराए जाने के बाद विंध्याचल में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इससे आय में भी इजाफा हुआ है, लेकिन दुकानों का किराया बढ़ा दिए जाने से अब सैलून खोलने के लिए किराए पर दुकान लेना मुश्किल साबित हो रहा है। नवरात्र में जहां मुंडन कराने वालों की भीड़ रहती है। वहीं नौ दिनों बाद यह धंधा मंदा हो जाता है। इससे दुकान का किराया निकाल पाना मुश्किल हो रहा है। हरिओम का कहना है कि जब तक नाई समाज के लिए स्थाई रोजगार की व्यवस्था नहीं होगी। तब तक आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होने वाला है। दीपक का कहना है कि नगर पालिका क्षेत्र में होने के बावजूद शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। शासन से प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना शुरु की गई है। नाई समाज के कई ऐसे गरीब परिवार है जिनके पास रहने के लिए बेहतर आवास नहीं है। फिर भी ऐसे लोगों का चयन नहीं किया जा रहा है। इससे नाई समाज के लोग काफी चिंतित है।
नगर पालिका की तरफ से बनवाई जाए दुकान
पवन का कहना है कि विंध्याचल में नगर पालिका की तरफ से किसी भी स्थान पर दुकान बनवा कर एक निश्चित किराए पर नाई समाज के लोगों को दुकानों का आवंटन कर दिए जाने से उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। इसके लिए नगर पालिका प्रशासन को प्रस्ताव तैयार कर दुकानों का निर्माण कराना चाहिए। तभी नाई समाज के लोगों को रियायती दर पर किराए पर दुकान मिल सकती है। इससे नाई समाज के लोगों को नवरात्र के बाद रोजगार की तलाश में अन्यत्र पलायन नहीं करना होगा। साथ ही उन्हें घर के करीब ही स्थाई रोजगार मिल जाएगा।
व्यवसायिक बिजली बिल बना मुसीबत
विकास का कहना है कि नाई समाज के जिन लोगों ने सैलून खोल रखा है। उनसे बिजली विभाग व्यवसायिक बिजली का बिल वसूलता है। जबकि सैलून कोई उद्योग नहीं है। यह छोटा कारोबार है। फिर भी बड़े उद्योगों की तरह सैलून खोलने वाले नाई समाज के लोगों से बिजली का महंगा बिल वसूला जा रहा है। इस समस्या की डीएम और बिजली विभाग के इंजीनियरों से कई बार शिकायत की गई। फिर भी समाधान नहीं किया गया। इससे नाई समाज के लोगों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। इससे नाई समाज के लोगों को आर्थिक क्षति हो रही है।
सर्वे कराके नाई समाज के गरीबों को दिया जाए आवास
शनि का कहना है कि नाई समाज के गरीबों को भी शासन की आवास योजना का लाभ मिलना चाहिए। नगर पालिका प्रशासन को ऐसे लोगों का नये सिरे से सर्वें कराके प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास के लिए चयन करना होगा। तभी नाई समाज के गरीबों को बेहतर आवास मिल पाएगा। इससे उन्हें जहां रहने की बेहतर सुविधा हो जाएगी। वहीं सामाजिक विषमता भी दूर होगी। नाई समाज लंबे समय से समाज में उपेक्षित हो गया है। जब से यजमानी प्रथा समाप्त हुई है तब से काफी दिक्कतें हो रही है। अब गांव के लोग भी कोई मदद नहीं करते है।
पेशे में अन्य लोगों के आ जाने से बढ़ी मुश्किल
योगेश का कहना है कि नाई समाज के पेशे में अन्य लोगों के शामिल हो जाने से उनके पुस्तैनी धंधें पर भी संकट खड़ा हो गया है। खासकर बड़ी-बड़ी कंपनियों के आ जाने से अब स्थानीय नाई समाज के लोगों से बाल काटने का धंधा भी छिन जा रहा है। वातानुकूलित सैलून में पैसे वाले लोग अपना बाल और डाढ़ी बनवाने के साथ ही मसाज भी करा रहे है। मसाज आदि के सामान महंगे होने के कारण छोटे सैलून में कार्य करन वाले नाई की लागत भी नहीं निकल पाती है। वहीं शासन से कोई आर्थिक मदद न मिलने के कारण नाई समाज अपने पुस्तैनी धंधे को बेहतर नहीं बना पा रहा है।
सुझाव :
नाई समाज को स्थाई रोजगार की व्यवस्था की जाए। तभी आर्थिक स्थिति मजबूर हो पाएगी।
विंध्याचल में नगर पालिका की तरफ से दुकान का निर्माण कराके रियायती किराए पर नाई समाज को दिया जाए।
नाई समाज के गरीबों को प्रधानमंत्री आवास, मुख्यमंत्री आवास की सुविधा दिलाई जाए।
सैलून संचालित करने वाले नाई समाज के लोगों से घरेलू बिजली का बिल लिया जाए।
व्यवसाइयों की तरह नाई समाज की आर्थिक मदद के लिए बैंकों से स्वरोजगार के लिए ऋण की व्यवस्था कराई जाए।
शिकायतें :
रोजगार की स्थाई व्यवस्था न होने से नाई समाज की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। इससे वे बच्चों को शिक्षा नहीं दिला पा रहे है।
विंध्य कारीडोर का निर्माण कराए जाने के बाद दुकानों के किराए में काफी वृद्धि कर दी गई है। इससे सैलून के लिए दुकान नहीं मिल पा रहा है।
नाई समाज के गरीबों को आवास की सुविधा न दिलाए जाने से काफी दिक्कत हो रही है। बारिश में जर्जर मकान में रहने वालें सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते है।
सैलून को व्यवसायिक बिजली के बिल से मुक्त रखा जाए। यह कोई बड़ा व्यवसाय नहीं है। केवल पंखा और लाइट का ही उपयोग किया जाता है।
बढ़ई का कारोबार करने वालों की तरह नाई समाज के लिए भी बैंकों से आर्थिक मदद दिलाई जाए। जिससे वे सैलून खोल सकें।
सुनाई पीड़ा :
नाई समाज के लोगों के लिए रोजगार की स्थाई व्यवस्था की जाए। जिससे रोजीरोटी आसानी से कमा सकें।
अंकित
नाई के पेशे में बड़ी कंपनियों के आ जाने से पुस्तैनी व्यवसाय पर संकट खड़ा हो गया है। इस संकट का समाधान किया जाए।
आकाश
सैलून के लिए व्यवसायिक बिल की वसूली पर रोक लगाई जाए। घरेलू बिजली के उपकरणों का प्रयोग सैलून में होता है।
हरिओम
दुकानों का किराया बढ़ा दिए जाने से नाई समाज के समक्ष विंध्याचल में सैलून खोलना मुश्किल हो गया है।
दीपक
नाई समाज के गरीबों को नगर पालिका की तरफ से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास मुहैया कराया जाए।
पवन
सैलून खोलने वाली बड़ी कम्पनियों से प्रतिस्पर्धा के लिए स्थानीय नाई समाज के लोगों को आर्थिक मदद दिलाई जाए।
अभिषेक
नाई समाज को स्थाई रोजगार मुहैया कराने की व्यवस्था की जाए। तभी अन्यत्र पलायन पर रोक लग पाएगी।
अनिल
नवरात्र के बाद नाई समाज का रोजगार काफी कम हो जाता है। इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
लवकुश
माला-फूल और प्रसाद की तरह मुंडन के लिए भी शुल्क निर्धारित कर दिया जाए। जिससे मुंडन करने के बाद कोई दिक्कत न हो।
समीर
नाई समाज को स्थाई रोजगार मुहैया कराने की व्यवस्था की जाए। तभी वे बेहतर ढंग से जीवनयापन कर सकेगें।
विकास
विंध्याचल ही नहीं बल्कि मिर्जापुर नगर में भी नगर पालिका की तरफ से नाई समाज को सैलून खोलने के लिए दुकान आवंटित की जाए।
योगेश
नाई समाज की समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन को बेहतर कदम उठाना चाहिए। तभी नाई समाज का उत्थान हो पाएगा।
शनि
नाई समाज को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास मुहैया कराने के लिए दस जून से सर्वें कराया जाएगा। उसमें पात्र व्यक्ति मिलने वालों को प्राथमिकता के आधार पर आवास दिलाया जाएगा।
जी लाल, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका मिर्जापुर
कोट
सचित्र-14
सैलून और अन्य प्रतिष्ठानों के लिए शासन से ही व्यवसायिक बिल तय किया गया है। इसमें स्थानीय अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं है। यदि किसी का बिल अधिक आ रहा है तो वह शिकायत कर दस अप्रैल को कैंप में बिल का परीक्षण करा सकता है।
मनीष श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड-2
प्रस्तुति- गिरजा शंकर मिश्र/ वतन शुक्ला
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