रमजान का तीसरा रोजा: बरसी रहमत, जुड़े दिल, मांगी गई दुआएं
Mirzapur News - मिर्जापुर, संवाददाता। रमजान के पाक महीने का तीसरा दिन जिले भर में इबादत, सुकून

मिर्जापुर, संवाददाता। रमजान के पाक महीने का तीसरा दिन जिले भर में इबादत, सुकून और सामूहिक सौहार्द्र के रंग में रंगा नजर आया। मंगलवार सुबह की सहरी से लेकर शाम के इफ्तार तक पूरा शहर अल्लाह की रहमत और रहमदिली का एहसास कर रहा था। मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की गई, जबकि घरों में भी कुरआन की तिलावत और दुआओं का सिलसिला जारी रहा।
तीसरे रोजे के दौरान गर्मी के बावजूद लोगों ने सुकून और सब्र के साथ अपना दिन गुजारा। रोजेदारों ने अपने कामकाज के साथ इबादत को भी तरजीह दी। दिन में कुरआन की तिलावत और जिक्र-ओ-फिकर में लोग मगन रहे। शाम होते ही इफ्तार की तैयारियां जोरों पर रहीं। सामाजिक संगठनों ने गरीबों के लिए इफ्तार पैकेट वितरित किए। तरावीह की नमाज के लिए भारी संख्या में लोग मस्जिदों की ओर बढ़े। घोड़े शहीद, रमईपट्टी, वासलीगंज समेत शहर भर के मस्जिद में सैकड़ों लोगों ने सामूहिक इबादत की। इमामों ने रमजान की फजीलत पर तकरीर की, जिसे सुनकर लोग भाव-विभोर हो गए।
तीसरा रोजा रहमत का संदेश, चौथा रोजा सब्र की परीक्षा
इमाम अबुतलहा बताते हैं कि इस्लाम में रमजान के तीसरे और चौथे रोजे को खास रहमत और सब्र से जोड़ा जाता है। तीसरा रोजा आत्मसंयम और इबादत की गहराई को दर्शाता है, जिसमें रोजेदार अल्लाह से रहमत और मगफिरत की दुआ मांगते हैं। यह दिन इंसान को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। चौथा रोजा इबादत में निरंतरता और सब्र की परीक्षा का प्रतीक है। यह रोजेदार को न सिर्फ भूख-प्यास बल्कि बुरे विचारों से भी बचने की सीख देता है। इन दिनों की इबादत से अल्लाह की खास रहमत मिलती है और नेकियों का दरवाजा खुलता है।
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