खेत में खड़ी फसल पर पोकलैन चलता देख किसान को हार्ट अटैक, मौत
अदलहाट थाना क्षेत्र के जादोपुर गांव में रेलवे की ओर से अधिग्रहित भूमि पर तैयार खड़ी फसल पर पोकलैन चलता देख किसान को हार्ट अटैक आ गया जिससे जिससे...
अदलहाट। हिन्दुस्तान संवाद
अदलहाट थाना क्षेत्र के जादोपुर गांव में रेलवे की ओर से अधिग्रहित भूमि पर तैयार खड़ी फसल पर पोकलैन चलता देख किसान को हार्ट अटैक आ गया जिससे जिससे उसकी मौत हो गई। विदित हो कि जमीन चार साल पहले रेलवे ने अधिकग्रहित की थी और अधिग्रहित जमीन का किसान को मुआवजा भी दे दिया था। उसने काम शुरू नहीं कराया था। किसान ने इस भूमि पर फसल लगा दिया था। जब शुक्रवार को रेलवे ने अपना काम शुरू कराने के लिए खड़ी फसल को रौंद दिया तो किसान को हार्ट अटैक आ गया जिससे उसकी मौत गई। किसान की मौत से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसडीएम चुनार सुरेंद्र बहादुर सिंह ने अंतिम संस्कार के लिए मृतक के परिजनों को एक लाख रुपये मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।
थाना क्षेत्र के जादोपुर गांव निवासी 60 वर्षीय कौशल पटेल पुत्र संतू पटेल की जमीन रेलवे चौड़ीकरण में अधिग्रहित किया गया था। शुक्रवार को रेलवे विभाग की ओर से जमीन पर खड़ी फसल को जेसीबी व पोकलेन लगाकर रौंदता देख किसान दुखी होकर अपने घर चला गया। पत्नी से जमीन पर खड़ी फसल रौंदने व लड़की की शादी कैसे होगी। इस बात का चिंता व्यक्त करते करते ही किसान को हार्ट अटैक आ गया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। किसान की मौत से घर में कोहराम मच गया। किसान की मौत की खबर रेलवे विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथ पांव फूलने लगे। सूचना मिलने ही थाना प्रभारी निरीक्षक अभय कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुँच गए। परिजनों से बातचीत कर शव कब्जे में लेकर थाने ले आए। घटना के बाद मौके पर पहुंचे उपजिलाधिकारी चुनार व सीओ चुनार की मौजूदगी में छोटे भाई मनोहर की तहरीर पर शव का पंचनामा कराने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
24 अप्रैल को बेटी की थी शादी
मृतक को दो पुत्री हैं। जिनकी अभी शादी नहीं हुयी है। बड़ी पुत्री की शादी अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में होना सुनिश्चित हुआ था। अब बेटी के सिर से पिता का छाया उठने से परिवार पर मानो पहाड़ टूट पड़ा है। पिता की मौत से बेटियों का रो रो कर हाल बेहाल हो गया। मृतक को तेरह बीस्वा जमीन थी। रेलवे चौड़ीकरण में 9 बीस्वा जमीन चली गई थी। जिसका मुआवजा मिल चुका था। मात्र 4 बीस्वा ही जमीन बची थी। किसान परिवार के एक सदस्य की नौकरी की आस लगाए बैठा था। जिसके लिए विगत माह पूर्व किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन भी किया था।
मृत किसान के परिजनों को मुआवजा देने की मांग
भाकियू जिलाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि 2010 भूमि अधिग्रहण के अनुसार किसानों को नौकरी के नाम पर कम मुआवजा दिया गया व सुखाधिकार भुगतान (इजीमेंट) दिए गए। मुआवजे का 10 प्रतिशत भुगतान अभी तक नहीं हुआ। 2014 में किए गए अधिग्रहण पर किसानों के पुनर्वास के लिए पांच लाख रुपये एक्ट में देने का प्रावधान था। जो अभी तक नहीं मिला। जिसके लिए किसानों ने लगभग 11 माह पूर्व पूर्व इन्ही मांगों को लेकर किसानों, अधिकारियों व कंपनी के बीच वार्ता हुई थी। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया था। किसान की पेट पर मशीन चलाया गया है। मृतक के परिजनों को बीस लाख रुपये देने की मांग की है।
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